गुजरात: उना के दलितों ने राष्ट्रपति से की इच्छामृत्यु की मांग, बीजेपी सरकार पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप

गुजरात के उना में 2016 में हिंसा के शिकार हुए दलित परिवारों का कहना है कि बीजेपी सरकार ने उनसे किए एक भी वादे को पूरा नहीं किया। मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इन लोगों ने अब इच्छामृत्यु की मांग की है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

गुजरात के उना में 2016 में हिंसा के शिकार हुए दलित परिवारों ने बीजेपी पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। पीड़ित परिवार के लोगों ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अब इच्छामृत्यु की मांग की है। राष्ट्रपति को लिखे पत्र में यह भी कहा गया कि एक आदमी 7 दिसंबर से दिल्ली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेगा।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अपने परिवार की तरफ से लिखे पत्र में वशराम सर्वैया ने कहा है कि उस समय की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की तरफ से किए गए वादे को पूरा करने में राज्य सरकार नाकाम रही है और बीजेपी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है।

वशराम ने चिट्ठी में लिखा है, “उन्होंने (आनंदीबेन पटेल) आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार हर पीड़ित को 5 एकड़ जमीन देगी। पीड़ितों को उनकी योग्यता के मुताबिक सरकारी नौकरियां मिलेंगी और मोटा समधियाला को विकसित गांव बनाया जाएगा। घटना के गुजरे दो साल 4 महीने हो चुके हैं लेकिन सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया और न ही इस दिशा में कोई प्रयास किया।”

वशराम सर्वैया, उनके छोटे भाई रमेश, उनके पिता बालू और मां कुंवर उन 8 दलितों में शामिल थे, जिन्हें कथित गोरक्षकों ने निशाना बनाया था। वशराम का कहना है कि हमले की वजह से उन्हें चमड़े का पुश्तैनी धंधा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसकी वजह से उनके पास रोजगार का समस्या खड़ा हो गया है। उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में वे भुखमरी का भी शिकार हो सकते हैं।

वशराम के मुताबिक, उन्होंने गुजरात सरकार से इस बारे में लिखित और मौखिक तौर पर कई बार शिकायत की। लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वशराम ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वह और बाकी पीड़ित इस बात से आहत हैं कि सरकार ने हमले के विरोध में हुए प्रदर्शनों के मामले में दलितों पर दर्ज किए गए 74 केस वापस नहीं लिए।

बता दें कि 11 जुलाई, 2016 को गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के मोटा समधियाला गांव में गौरक्षकों ने वशराम, वशराम के भाई रमेश, उनके पिता और मां को निशाना बनाया था। हमलावरों ने इनपर गौहत्या का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में पुलिस जांच में सामने आया कि वे लोग पशुओं के शव से चमड़ा उतार रहे थे। उस समय इस हमले का वीडियो पूरे देश में वायरल हो गया था। जिस के बाद दलितों के बीच काफी नाराजगी थी। इस हमले को लेकर दलितों में काफी गुस्सा था और पूरे राज्य में इस हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया। इनमें से कुछ लोगों ने आत्महत्या का भी प्रयास किया था और एक शख्स की मौत भी हो गई थी।

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