गुजरात में दलित युवक की हत्या: प्रदेश में दलितों के खिलाफ तेजी से बढ़ी है हिंसा

भावनगर में दलित युवक की हत्या की घटना गुजरात में दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अपराध के लंबे सिलसिले का हिस्सा है। एनसीआरबी के मुताबिक, गुजरात में जातिगत आधार पर भेदभाव और अत्याचार में काफी इजाफा हुआ है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

गुजरात में दलितों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऊना की घटना की तस्वीरों को लोग अभी भूले नहीं हैं। उस घटना के बाद गुजरात समेत देशभर में हुए आंदोलन के बाद ऐसा लगा था कि दलितों के खिलाफ हिंसा में कमी आएगी, लेकिन लगातार आ रही खबरें कुछ और ही इशारा कर रही हैं।

29 मार्च को गुजरात के भावनगर जिले में कुछ तथाकथित ऊंची जाति के लोगों ने घोड़ा रखने और घुड़सवारी करने पर 21 वर्षीय दलित युवा प्रदीप राठौर की हत्या कर दी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उमराला तहसील के टिंबी गांव में इस घटना को लेकर काफी तनाव है। पुलिस ने कहा कि इस मामले में पास के गांव से तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और आगे की जांच के लिए भावनगर अपराध शाखा से मदद मांगी गई है।

यह घटना गुजरात में दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अपराध के लंबे सिलसिले का हिस्सा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि पूरे गुजरात में जातिगत आधार पर भेदभाव और अत्याचार में जबरदस्त इजाफा हुआ है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में जहां गुजरात में दलितों के खिलाफ 1094 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2016 में ये आंकड़ा 1322 तक पहुंच गया है।

इसके अलावा पूरे देश में अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या औसतन 10 फीसदी बढ़ गई है, लेकिन गुजरात में अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या में 2015-16 के दौरान 106 फीसदी इजाफा हुआ है। दलित महिलाओं पर बलात्कार के मामले में तो यह आंकड़ा 279 फीसदी बढ़ा है।

पारदर्शी और भ्रष्टाचार-अपराध मुक्त शासन का वादा करने वाली सत्ता पर काबिज बीजेपी के ‘गुजरात मॉडल’ के दावे इस सामाजिक सच्चाई के साये में काफी गलत प्रतीत होते हैं।

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