हरियाणा में कोरोना रिलीफ फंड के नाम पर कर्मचारियों के काटे जा रहे वेतन, कांग्रेस ने मांगा जवाब

हरियाणा सरकार के एक नए फरमान पर बवाल हो गया है। यह फरमान है कोरोना रिलीफ फंड में सरकारी कर्मचारियों के वेतन से योगदान के नाम पर कटौती करना।

फोटो: सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा सरकार के एक नए फरमान पर बवाल हो गया है। यह फरमान है कोरोना रिलीफ फंड में सरकारी कर्मचारियों के वेतन से योगदान के नाम पर कटौती करना। इसमें स्‍पष्‍ट लिखा है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को छोड़कर यदि किसी अन्‍य वर्ग का कर्मचारी रिलीफ फंड में अपना रजिस्‍ट्रेशन नहीं करवाता है तो उसका मार्च माह का वेतन रोक लिया जाए। इसमें सफाई और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारियों को भी नहीं बख्शा गया है जो करोना से इस लड़ाई में फ्रंट लाइन योद्धा की तरह लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने खट्टर सरकार को इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि कोरोना रिलीफ फंड को लेकर खट्टर सरकार द्वारा हरियाणा के साढ़े तीन लाख कर्मचारियों से जबरन वसूली उसकी जोर जबरदस्ती की मानसिकता का दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है।

हरियाणा में कोरोना रिलीफ फंड के नाम पर कर्मचारियों के काटे जा रहे  वेतन, कांग्रेस ने मांगा जवाब

भारतीय परंपरा और संस्कृति में दान सदैव ऐच्छिक रहा है। यह पहला मौका है कि एक तरफ तो हरियाणा के कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों से परेशान हैं और दूसरी तरफ सरकारी फरमान के जरिए 20 प्रतिशत तक वसूली की जा रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री यह भूल गए कि हरियाणा की परंपरा ही दानी और दरियादिली है। कारगिल युद्ध हो, सूनामी हो, केदारनाथ त्रासदी हो या कोरोना से लड़ाई। हरियाणा के सरकारी कर्मचारी और जनता अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार न केवल दान दे रहे हैं, बल्कि जरूरतमंद लोगों तक राशन-पानी-दवाइयां भी पहुंचा रहे हैं। यही सामाजिक सोच हरियाणा की असली आत्मा है।

हरियाणा में कोरोना रिलीफ फंड के नाम पर कर्मचारियों के काटे जा रहे  वेतन, कांग्रेस ने मांगा जवाब

कोरोना से जंग में हरियाणा के कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर आगे खड़े हैं। पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट यानि एन-95 मास्क, गॉगल, ग्लव्स, बॉडी कवरऑल आदि उपलब्ध न होने के बावजूद भी डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं। पुलिस के कर्मचारी औक अधिकारी दिन रात चप्पे-चप्पे पर ठीकरी पहरा लगाए बैठे हैं। विद्युतकर्मी बिजली व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने की निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, तो जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पानी की आपूर्ति करने में लगे हैं। शिक्षक घर-घर जाकर मिड-डे मील बच्चों तक पहुंचा रहे हैं। गांव और शहर के सफाई कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने का बीड़ा उठाया है।

इस सबके बावजूद भी 07 अप्रैल, 2020 तक खट्टर सरकार द्वारा कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं दी गई है। ऊपर से वेब पोर्टल बना 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत या उससे अधिक उनसे उगाही की जा रही है। 4 अप्रैल, 2020 तक प्रदेश के 1,64,718 कर्मचारियों से 63,68,26,479 रुपए की उगाही की जा चुकी है और बाकी जारी है।

सुरजेवाला ने कहा है कि चौंकानेवाली बात तो यह है कि इस जबरन वसूली से स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों और दूसरे अधिकारियों तक को नहीं बख्शा गया है। एक तरफ तो पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट के अभाव में डॉक्टर और नर्स कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। वह रेनकोट और हेलमेट पहनकर कोरोना का इलाज करने को बाध्य हैं, तो दूसरी तरफ उनसे की जा रही यह वसूली सरकार के अमानवीय तथा असंवेदनशील रवैये को साबित करती है। यही हाल पुलिस कर्मियों और सफाई कर्मचारियों का भी है।

जबरदस्ती के फरमान का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जबरन दान न देने वाले कर्मचारियों की मार्च, 2020 की तनख्वाह रोकने का आदेश जारी कर दिया गया है। यही नहीं, हर विभाग के प्रमुख को यह हिदायत दी गई है कि कर्मचारियों के व्हाट्सऐप ग्रुप में सख्ती से आदेश कर जबरन वसूली करें। इसका सबूत सरकारी कर्मचारियों के व्हाट्सऐप ग्रुप को देखने से मिल जाएगा।

एआईसीसी मीडिया प्रभारी ने कहा कि अच्छा होता कि खट्टर सरकार दान की यह पहल गवर्नर, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, सभी विधायक, सांसद, बोर्ड/कॉर्पोरेशन/कमीशन के सभी अध्यक्ष और सदस्यों की तीन महीने की तनख्वाह इस कोरोना फंड में दान कर शुरू करती। इसके साथ साथ प्रदेश के उद्योगपतियों, मिल मालिकों, बड़ी-बड़ी माईनिंग और शराब की कंपनियों और दूसरे पूंजीपतियों को दान के इस यज्ञ में आहुति डालने के लिए प्रोत्साहित करती।


सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार से पांच सवाल पूंछे हैं। उन्‍होंने पूछा है कि दान के नाम पर खट्टर सरकार कर्मचारियों से जबरन वसूली क्यों कर रही है? क्या सरकारी फरमान जारी कर दान न देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकना या काटना उचित है? क्या मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसदों, विधायकों, बोर्ड/कॉर्पोरेशन/कमीशन के चेयरमैनों और सदस्यों द्वारा अपनी तनख्वाह से कोरोना रिलीफ फंड में राशि दान की गई है? अगर हां, तो यह राशि कितनी है?

क्या इस रिलीफ फंड का इस्तेमाल डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट और एन-95 मास्क आदि खरीदने के लिए किया गया है? यदि हां, तो इस पर कितनी राशि खर्च हुई है? खट्टर सरकार ने आज तक इस फंड से किस मद में कितना पैसा खर्च किया? किस कंपनी तथा किस सप्लायर को किस एवज में कितना भुगतान हुआ? क्या कोरोना रिलीफ फंड की वेबसाईट बनाकर प्रतिदिन पैसे के इस्तेमाल और खर्चे की सूचना जनता से साझा करेंगे

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