क्या एक महीने में मंत्री सत्यपाल सिंह ने बंदर को आदमी बनते देख लिया है !

मंत्री सत्यपाल सिंह को विज्ञान सम्मेलन में बुलाया गया था कि महाराज, आइए एक बार और यहां भी डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को चुनौती देकर दिखाइए। कहिए कि आज तक किसी ने बंदर को आदमी बनते नहीं देखा।

फोटो: सोशल मीडिया 
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विष्णु नागर

मैं अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैं मोदीजी जैसे विद्वान प्रधानमंत्री और उतने ही विद्वान सत्यपाल सिंह जी जैसे तमाम मंत्रियों-राज्यमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, सांसदों,विधायकों के युग में भी जी रहा हूं। इस युग में रोज विद्वत्ता की अभी तक अनुपलब्ध नई-नई खुराक मिलती रहती है, जिससे दिन में कम से कम 4 से 6 बार मन दुरुस्त होता रहता है। लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसा अवसर पूर्व आईपीएस अफसर, एमएससी के पूर्व छात्र और वर्तमान मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर उपलब्ध कराने से चूक गए, जबकि मौका सुनहरा था।

उन्हें इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी और इंडियन एकेडमी आफ साइंस जैसी संस्थाओं ने बुलाया था कि महाराज आइए एक बार और यहां भी डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को चुनौती देकर दिखाइए। कहिए कि आज तक किसी ने बंदर को आदमी बनते नहीं देखा।

आइए और कहिए कि यह सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। आइए और फिर से कहिए कि डार्विन के सिद्धांत पर अंतरराष्ट्रीय बहस की जरूरत है। आइए और कहिए कि न्यूटन से बहुत पहले हिंदू मंत्रों में ‘गति का सिद्धांत’ मौजूद रहा है। ऐसे दुर्लभ अवसर का उन्होंने लाभ नहीं उठाया। दूसरी तरफ उनके मुख्य अतिथि होते हुए राष्ट्रविरोधी जेएनयू का एक प्रोफेसर डार्विन को सही बता गए और दिल्ली विश्वविद्यालय का एमएससी का यह पूर्व छात्र और मोदीजी का मंत्री चुपचाप खिसकने के अलावा कुछ न कर पाया। उनके अपने, मोदीजी और संघ के ज्ञान की बेइज्ज़ती उसके बाद सरेआम होती रही और सहन की जाती रही।

सत्यपाल सिंह ले जाते अपने साथ कई लोगों को, जो इन वैज्ञानिकों के विज्ञान ही नहीं, भारतीय संस्कृति और हिंदू संस्कृति का ज्ञान मिनटों क्या सेकंडों में करा देते। अगर वह इतना आगे न भी बढ़ते तो इतना तो कर ही सकते थे कि वहां से वाक आउट करने की बाकायदा घोषणा करके जाते। कुछ न कुछ करके दिखाते, हिंदुत्व की सेवा करके जाते, कुछ भी नहीं किया। न आप डार्विन के बारे में कुछ बोले, न न्यूटन के बारे में एक शब्द कहा। यहां तक कि संवाददाताओं के पूछने पर भी आप चुप रहे।

आखिर हुआ क्या है मंत्रीजी आपको? क्या इस एक महीने में ही आपने बंदर को आदमी बनते देख लिया है, जबकि हम तो आजकल बहुत से आदमियों को बंदर बनते देख रहे हैं। या क्या ऐसा हुआ है कि डार्विन और न्यूटन आपके सपने में आए और उन्होंने आपसे माफी मांगते हुए कहा कि सर आप ही ठीक हैं और हम पुराने लोग गलत थे। या आप अपने टाइप के लोगों के बीच जो कहते हैं, दूसरे टाइप के लोगों के बीच कहने से कतराते हैं। या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रह चुका मंत्री अपने वरिष्ठ मंत्री की धौंस में आ गया और इस बारे में चुप रहने की उनकी सलाह मानने की गलती कर बैठा?

यह तो मुंबई की पुलिस फोर्स का अपमान है, जिसके कभी वह मुखिया थे। वैसे आप यह सफाई दे चुके थे कि यह आपका व्यक्तिगत मत है, सरकार या बीजेपी का नहीं और मोदीजी तथा बीजेपी तो व्यक्तिगत मत प्रकट करने का स्वागत ही नहीं करती, उसकी प्रेरणा भी निरंतर देती है कि कुछ तो समझ से परे, मूर्खतापूर्ण करके दिखाओ, कुछ तो हिंदुत्व की लाज रखो मगर सचमुच आपने निराश किया, देश को तो निराश किया ही, सबसे अधिक मोहन भागवत, मोदीजी और अमित शाह को निराश किया और अब कहीं वोटर भी आपको निराश न कर बैठें सिंह साहब।

मुझे सचमुच डर लग रहा है। कुछ तो करो, कुछ भी नहीं कर सकते तो कम से कम एमएससी प्राप्त ज्ञान की रक्षा ही करके दिखाओ। देश आपकी तरफ आशा से देख रहा है। तो देखता रहे या आपकी तरफ से अपनी आंखें मूंद ले। कुछ तो ज्ञान देते रहा करो, मंत्रीजी। मोदीजी के मंत्री भी ज्ञान नहीं देंगे तो फिर ज्ञान लेने हम सेकुलर कहां जाएं क्या इसके लिए भी पाकिस्तान ही जाना पड़ेगा।

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