अयोध्या विवादः 8 फरवरी 2018 को होगी फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई अगले साल 8 फरवरी तक टल गई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी पक्ष को जल्द से जल्द अनुवाद किए हुए दस्तावेज जमा कराने को कहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अयोध्या विवाद मामले की 5 दिसंबर से शुरू हुई रोजाना सुनवाई अगले साल तक टल गई है। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 8 फरवरी 2018 को सुनवाई करेगा। कोर्ट ने सभी पक्षों को अनुवाद किए हुए सभी दस्तावेज जल्द से जल्द जमा कराने के लिए कहा है। हालांकि, मामले में एक पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मामले को राजनीतिक बताते हुए इसकी सुनवाई जुलाई 2019 के बाद निर्धारित करने की मांग की। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष आज मामले की नियमित सुनवाई का पहला दिन था।

सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को पढ़ा और कहा कि सभी सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं किए गए हैं। सिब्बल ने कहा, “आखिर इस मामले की सुनवाई की इतनी जल्दी क्यों है। इसे टाला क्यों नहीं जा सकता?” इस पर पीठ ने कहा कि आखिर कहीं से तो शुरुआत करनी ही होगी। सिब्बल ने मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ के समक्ष किए जाने की भी मांग की। सिब्बल ने कहा कि मामला धर्मनिरपेक्षता से जुड़ा है जो कि संविधान के मूल तत्वों में से एक है। इसलिए मामले को संविधान पीठ में भेजा जाना चाहिए।

इस पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मौजूदा 3 जजों की पीठ में ही सुनवाई की पैरवी करते हुए कहा कि संविधान के तहत कोर्ट के पास सुनवाई की प्रक्रिया तय करने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने मामले को बड़ी पीठ में भेजने के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े वकीलों के बीच काफी गर्मागर्म बहस हुई। वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन, कपिल सिब्बल और दुष्यंत दवे ने कहा कि उन्हें केस तैयार करने के लिए समय दिया जाए। तीनों वरिष्ठ वकीलों ने सुनवाई का विरोध करते हुए कोर्ट से कहा कि अगर सुनवाई ऐसे ही चलेगी तो वे इसमें भाग नहीं लेंगे और इसलिए कोर्ट उन्हें जाने की अनुमति दे। इसके बाद तीनों वकील अदालत से बाहर जाने के लिए खड़े हो गए लेकिन पीठ ने उन्हें अनुमति नहीं दी। तीनों वकीलों ने मांग की कि मामले को 7 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजा जाए और सुनवाई 2019 के बाद की जाए, क्योंकि ये एक राजनीतिक मामला है जिसका इस्तेमाल आम चुनावों में किया जा सकता है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 8 फरवरी तक टालते हुए सभी पक्षों को अनुवादित दस्तावेज जल्द जमा कराने को कहा है।

एक दिन बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं बरसी को देखते हुए अयोध्या समेत कई जगह प्रशासन को हाई एलर्ट रखा गया है। विशेषकर उत्तर प्रदेश में। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में बाबरी विध्वंस की पहली बरसी है। यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही अयोध्या लगातार सुर्खियों में है। इस सबको देखते हुए प्रशासन हाई अलर्ट पर है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक 4 दिसंबर को देर रात फैजाबाद शहर में सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। इस दौरान भारी संख्या में तैनात पुलिसबल के साथ शहर के होटलों, धर्मशालाओं और लॉज की सघन तलाशी ली गई।

अयोध्या क्षेत्राधिकारी ने नेतृत्व में पुलिस ने नयाघाट से लेकर टेढ़ी बाजार में चेकिंग अभियान चलाया और वहां सभी दो पहिया और चार पहिया वाहनों की तलाशी ली। वहीं रेलवे स्टेशन पर घूम रहे संदिग्धों पर भी पुलिस नजर रख रही है। अयोध्या क्षेत्राधिकारी राजकुमार राव ने बताया कि बाबरी विध्वंस की बरसी को ध्यान में रखते हुए शह में संदिग्ध गाड़ियों और लोगों पर नजर रखी जा रही है। शहर को हाई अलर्ट जोन में तब्दील किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

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