सुप्रीम कोर्ट में हाई वोल्टेज ड्रामाः जजों को रिश्वत देने के मामले में आया नया मोड़

10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। जजों को रिश्वत मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और सामाजिक कार्यकर्ता और जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। यह घटना मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान हुई जिसके बाद भूषण खुद को नहीं सुने जाने का आरोप लगाते हुए कोर्ट का बहिष्कार कर बाहर निकल गए।

इससे पहले मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने जस्टिस चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 9 नवंबर को दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया। जस्टिस चेलामेश्वर की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिश्वत देने के आरोपों में एसआईटी जांच की मांग वाली दो याचिकाओं को संविधान पीठ को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था।

10 नवंबर को जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने आदेश दिया कि मुख्य न्यायाधीश ही कार्यसूची के मालिक हैं और याचिकाओं को अपनी पसंद की पीठ को स्थानांतरित करने का अधिकार भी उन्हीं के पास है। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायिक पक्ष के द्वारा मुख्य न्यायाधीश के कार्यकारी अधिकार को नहीं छीना जा सकता है।

कैंपेन फॉर ज्युडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) नामक संस्था की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश मिश्रा, और न्यायाधीश आर के अग्रवाल, अरुण मिश्रा, अमिताव रॉय और एएम खानविल्कर की 5 सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा, “आपने एक घंटे तक उन लोगों को सुना जो मामले में पक्षकार भी नहीं हैं। अगर माननीय न्यायाधीश मेरा पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित करना चाहते हैं तो ठीक है। इतना कहकर प्रशांत भूषण अदालत के बाहर निकल गए। इस दौरान कोर्ट के मार्शल उन्हें एस्कॉर्ट कर रहे थे।

वकीलों के दो समूह के बीच इस जोर-आजमाइश को कोर्ट में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के वकील और अन्य लोग बड़े कौतुक से देख रहे थे। अदालत कक्ष से सीधे लिखे गए कई ट्वीट इस ड्रामे की झलकियां दे रहे थे।

एक ट्वीट में बताया गया कि वकील प्रशांत भूषण सुनवाई को बीच में ही छोड़कर चले गए। खुद को एक घंटे से बोलने की अनुमति नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए भूषण ने कहा कि अदालत जो भी चाहे आदेश पारित कर दे। वह चीखे, चिल्लाए और बाहर निकल गए।

प्रशांत भूषणः आपके खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज है।

मुख्य न्यायाधीशः क्या बकवास है! एएफआईआर में मेरा या किसी अन्य का नाम तक नहीं है। अब आप अवमानना के लिए उत्तरदायी हैं।

भूषणः तो जारी करें अवमानना का नोटिस

मुख्य न्यायाधीशः आप उसके लायक नहीं हैं।

वकील प्रशांत भूषण ने इस बारे में खुद ट्वीट करते हुए लिखाः

वकील प्रशांत भूषण सुनवाई के बीच में ही चल गए और उनकी शिकायत थी कि उन्हें एक घंटे तक बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि बेंच जो चाहे वह आदेश पारित कर सकती है।

बिल्कुल अकल्पनीय! चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में बनी 5 सदस्यों की बेंच ने चीफ जस्टिस के खिलाफ न्यायिक भ्रष्टाचार के मामले में जस्टिस चेलामेश्वर द्वारा दिए गए जांच के आदेश को वापस ले लिया। कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकांउटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) और कामिनी जायसवाल ने एक सेवानिवृत चीफ जस्टिस के नेतृत्व में विशेष जांच दल बनाने का आग्रह किया, जिससे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिश्वत देने के मामले में पर्दा डालने के लिए सीबीआई की भूमिका की जांच हो सके।

सीबीआई ने सितंबर में उड़ीसा हाई कोर्ट के जज औक कुछ और लोगों को दो करोड़ नकद के साथ गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने यह आरोप लगाया था कि सेवानिवृत जज और कुछ बिचौलिये मिलकर एक ट्रस्ट को मेडिकल कॉलेज की मान्यता लेने में मदद कर रहे थे। मेडिकल कॉलेज ऑफ इंडिया ने मान्यता देने से इंकार कर दिया था और वे मामले हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

सारे आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है, लेकिन सीबीआई ने जमानत के आदेश को चुनौती नहीं दी और इसके खिलाफ अपील नहीं की, जिसने प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल को विशेष जांच दल द्वारा जांच की मांग करने के लिए उकसाया।

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Published: 10 Nov 2017, 9:57 PM