अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में 200 सीटों पर सिमट गई बीजेपी तो नहीं बनेगी सरकार!

उत्तर प्रदेश को छोड़कर हिंदी पट्टी के बाकी राज्यों में कम से कम 50 सीटों का नुकसान बीजेपी को होगा और अभी तक मज़बूत जान पड़ता समाजवादी पार्टी-बीएसपी का गठबंधन यूपी में 2014 के चुनावी जनादेश को सिरे से पलट सकता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एक जमाने में मशहूर चुनाव गणितज्ञ के रूप में विख्यात प्रोफेसर योगेन्द्र यादव वैसे तो पूर्णकालिक नेता बन चुके हैं और फिलहाल स्वराज इंडिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन चुनाव विश्लेषक के रूप में उनकी राय को अभी भी काफी गंभीरता से लिया जाता है। उनका अनुमान है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कम से कम 100 सीटें कम हो जाएंगी।

वेबसाइट ‘द प्रिंट’ के लिए लिखे एक लंबे लेख में उन्होंने विस्तार से इसके कारण गिनाए हैं। उनका मानना है कि 2019 के चुनावी मुकाबले की बुनियादी बातों को समझने के लिए किसी को चुनाव विश्लेषक यानी सेफोलॉजिस्ट का जामा पहनने की ज़रूरत नहीं, बस राजनीति की बुनियादी सूझ-बूझ होनी चाहिए।

उन्होंने कुछ टीवी चैनलों और चुनावी गणित में लगी संस्थाओं के सर्वे और अपनी पुरानी संस्था सीएसडीएस की रिपोर्ट को आधार बनाकर अपना आकलन रखा है।

लोकसभा की 543 सीटों में 132 सीटें दक्षिण भारत में है, 78 पश्चिम भारत में, 88 पूर्वी भारत में, 19 उत्तरी भारत में हैं। लेकिन सबसे ज्यादा 226 सीटें हिंदी पट्टी में हैं, जिसमें बिहार, झारखंड, यूपी, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश आते हैं।

उनका कहना है कि इस चुनाव में सभी पांच प्रमुख क्षेत्रों पर नज़र डालना ज़रूरी नहीं। साल 2019 के चुनावी दंगल का फैसला इन पांच क्षेत्रों में से एक में होना है और वह क्षेत्र है हिंदी पट्टी।

उनके गणित के हिसाब से पूर्व में 2014 के मुकाबले बीजेपी की सीटें कुछ बढ़ सकती हैं, जबकि पश्चिम में सीटों का हल्का सा नुकसान हो सकता है। दक्षिण और पूर्वोत्तर में नुकसान कुछ ज्यादा हो सकता है।

उन्होंने लिखा कि अगर हम यह मान लें कि गैर-हिंदी भाषी इलाकों में बीजेपी को उतनी ही सीटें मिलती हैं, जितनी (91) 2014 में मिली थीं तो अंतिम परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि बीजेपी का प्रदर्शन हिंदी पट्टी के राज्यों में कैसा होता है।

बीजेपी ने इस क्षेत्र से 192 सीटें जीती थीं। अगर बिहार और यूपी में एनडीए के साथी दलों को जोड़ लें तो सीटों की संख्या 204 हो जाती है।

उनका साफ-साफ कहना है कि बीजेपी 2014 में जहां पहुंची थी, वहां से उसे नीचे ही खिसकना है।

हिंदी पट्टी के सभी राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन की सरकार है और लगभग सारी ही अलोकप्रिय हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में कम से कम 50 सीटों का नुकसान बीजेपी को होगा और अभी तक मज़बूत जान पड़ता समाजवादी पार्टी-बीएसपी का गठबंधन यूपी में 2014 के चुनावी जनादेश को सिरे से पलट सकता है।

उनके विश्लेषण के अनुसार, अभी की हालत में बीजेपी यूपी में 50 सीटें गंवाती जान पड़ रही है।

योगेन्द्र यादव के विश्लेषण और निष्कर्ष से यह बात साफ तौर पर निकलकर आ रही है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 200 सीटों पर सिमट जाएगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी सीटों के साथ क्या मोदी फिर से सत्ता पर काबिज हो पाएंगे?

मोदी ने अपनी नीतियों की वजह से विपक्षी पार्टियों को पहले ही काफी नाराज कर रखा है। वे इस सरकार से छुटकारा पाने की हरसंभव कोशिश में लगे हैं। और जब भी ऐसा मौका आएगा तो वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

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