गौतम नवलखा की अपील पर सुनवाई से चार दिन में पांच जज हुए अलग, सीजेआई भी किनारा करने वालों में शामिल

भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की अपील पर सुनवाई से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जज रविंद्र भट्ट ने खुद को अलग कर लिया। इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत सुप्रीम कोर्ट के चार जज इस केस की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

सामाजिक कार्यकर्ता गोतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रविंद्र भट्ट ने खुद को अलग कर लिया। जस्टिस भट्ट सुप्रीम कोर्ट के पहले जज नहीं है, जिन्होंने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया हो। बीते चार दिनों के दौरान नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करने वाले भट्ट पांचवें जज हैं। उनसे पहले बीते तीन दिनों में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रामाना, जस्टिस आर.सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी.आर.गवई और यहां तक कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए सुनवाई से इंकार कर चुके हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने बीते सोमवार को नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। खास बहात ये है कि सीजेआई ने अपने फैसले का कोई कारण भी नहीं बताया। सीजेआई के बाद 3 दिनों में अन्य चार जजों ने भी नवलखा के केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।


गौतम नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट द्वारा भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने माना था कि सरकारी वकील द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेज में नवलखा के खिलाफ प्रथमदृष्टया कुछ तथ्य हैं। वहीं महाराष्ट्र पुलिस भी दावा करती रही है कि उसके पास ऐसे सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि नवलखा के माओवादियों के साथ गहरे संबंध हैं।

बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में एल्गर परिषद द्वारा एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसके अगले दिन वहां भारी हिंसा शुरू हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने हिंसा की साजिश का आरोप लगाते हुए पांच प्रमुख वामपंथी सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इनमें पी वारवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वेरोन गोंजालवेज और गौतम नवलखा का नाम शामिल है। पुलिस का दावा है कि इन सभी वामपंथी कार्यकर्ताओं ने ही एल्गर परिषद के आयोजन के लिए फंड मुहैया कराया था।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia