यूपी में लॉकडाउन के बीच में गरीबों के राशन पर मची है लूट, अफसर से लेकर कोटेदार सब शामिल!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते तो हैं कि आम लोगों को लाॅकडाउन के दौरान आसपास में रह रहे गरीबों का ध्यान रखना चाहिए ताकि कोई भूखा न रहे लेकिन उत्तर प्रदेश में अफसर से लेकर कोटेदार तक गरीबों का राशन हजम करने में लगे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते तो हैं कि आम लोगों को लाॅकडाउन के दौरान आसपास में रह रहे गरीबों का ध्यान रखना चाहिए ताकि कोई भूखा न रहे लेकिन उत्तर प्रदेश में अफसर से लेकर कोटेदार तक गरीबों का राशन हजम करने में लगे हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में ही ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। कई कोटेदार और अफसरों को जेल भी भेजा गया है। इससे यह साफ हो जाता है कि रसूखदार राशन माफिया इस संकट को किस तरह बड़े अवसर के रूप में देख रहा है और कैसे करोड़ों रुपये के खाद्यान्न की कालाबाजारी हो रही है।

योगी आदित्यनाथ सरकार अंत्योदय, पात्र गृहस्थी, मनरेगा मजदूर, रेहड़ी वालों, दिहाड़ी मजदूर आदि को राशन बांटने का दावा कर रही है। अप्रैल महीने में दो चरणों में कोटे का राशन बांटा जा रहा है। पहले चरण के बाद खाद्यान्न वितरण का दूसरा चरण 15 अप्रैल से चालू हो गया है। इसमें प्रति यूनिट 5 किलो चावल और एक किलो अरहर का दाल दिया जा रहा है। 15 अप्रैल से यह अनाज सभी जरूरतमंदों को फ्री में दिया जा रहा है। इसके पहले 11 अप्रैल तक 2.37 लाख परिवारों को 4633 मीट्रिक टन तो वहीं 36 हजार श्रमिक-मजदूर परिवारों में 852 मीट्रिक टन अनाज निःशुल्क दिए जाने का दावा है। सरकार कह रही है कि कुल अनाज का 18 प्रतिशत अनाज निःशुल्क अंत्योदय कार्ड धारकों और श्रमिकों-मजदूरों को वितरित किया गया है। दावा जरूरतमंद एक लाख दिहाड़ी मजदूरों को सरकारी अनाज मुहैया कराने के लिए नए राशन कार्ड बनाने का भी है।

लेकिन इन दावों के उलट लखनऊ से लेकर वाराणसी और कुशीनगर से नोएडा तक खाद्यान्न की कालाबाजारी की शिकायतें आम हैं। जिलाधिकारी से लेकर सत्ताधारी दल के सांसद, विधायक ही गोलमाल की कलई खोल रहे हैं। नतीजतन, सूबे में 300 से अधिक कोटेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। राशन बांटने के लिए बायोमेट्रिक व्यवस्था है। पर, कोटेदार बायोमेट्रिक पर अंगूठा तो पूरे राशन पर लगवाते हैं, देते हैं आधा-अधूरा। लखीमपुर खीरी के जयंतीपुर नई आबादी निवासी रेशमा पांच यूनिट के उसके कार्ड पर कोटेदार ने अंगूठा लगवाकर 20 किलो गेहूं दे टरका दिया जबकि मिलना चाहिए था 24 किलो। खुद मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में ही बायोमेट्रिक के बाद भी कोटेदार द्वारा गरीबों से अधिक दाम वसूलने की शिकायतें आम हैं। ऐसी ही एक शिकायत के बाद योगी के करीबी विधायक डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल ने पंचायत लगाकर 50 से अधिक गरीबों से ली गई अधिक रकम की वापसी कराई। लेकिन कोटेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।


सरकार भले ही सभी गरीबों को राशन देने का दावा कर रही हो लेकिन कई ऐसे हैं जिन्हें राशन नहीं मिल रहा है। राजधानी लखनऊ तक में लोगों को सही से राशन नहीं बांटा जा रहा। तालकटोरा निवासी रुकसाना के परिवार में छह लोग हैं। कार्ड में परिवार के सदस्यों का नाम होने के बावजूद राशन नहीं मिला। कोटेदार की दलील है कि ऑनलाइन सिस्टम में नाम दर्ज होने के बाद ही राशन मिलेगा। छितवापुर निवासी सीता निषाद, आशा, शांती, राजकुमारी, गुंजन निषाद और विद्यापाल ने भी कार्ड में दर्ज यूनिट से कम राशन मिलने की शिकायत की है। लखनऊ के मोहनलाल गंज सीट से बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने जन शिकायतों के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कोटेदारों और अफसरों की मनमानी से अवगत कराया है। मुरादाबाद जिले के इस्लाम नगर करूला स्थित सरकारी सस्ते गल्ले रोज लंबी कतारें दिखती हैं। यहां के इस्लामनगर के शकील अहमद कहते हैं कि कम राशन के साथ ही राशनकार्ड निरस्त करने की धमकी मिल रही है। वहीं सलीमा कहती हैं कि आठ यूनिट पर कोटेदार सिर्फ 21 किलो राशन देता है।

कार्रवाई का कोई खौफ नहीं

निरीक्षण के दौरान जौनपुर डीएम दिनेश कुमार सिंह से जब्बार और तबस्सुम ने 7 यूनिट पर सिर्फ 10 किलो खाद्यान्न मिलने की शिकायत की। डीएम ने तत्काल ही मडियाहूं के कोटेदार रामलखन कन्नौजिया को जेल भेजवाया। गोंडा जिले के सप्लाई इंस्पेक्टर अतुल श्रीवास्तव ने वजीरगंज के रामचेरापुर गांव में अनिमियता पाने पर कोटेदार रमाकांत पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। कानपुर देहात में तहसीलदार गौतम सिंह घटतौली की शिकायत पर कोटेदार की दुकान संस्पेंड कर दी। बहराइच के महसी तहसील के नथुवापुर गांव के कोटेदार शंकर दयाल शुक्ल के खिलाफ भी वहां के डीएम शंभु कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया। बाराबंकी जिले के डीएम आदर्श सिंह ने तीन कोटेदारों के खिलाफ घटतौली के बाद दरियाबाद थाने पर मुकदमा दर्ज कराया। खाद्यान्न घोटाले के लिए बदनाम कुशीनगर जिले में अप्रैल के शुरूआती सात दिनों में दस मुकदमे दर्ज हुए हैं। कोटेदार के साथ खुद मार्केटिंग इंस्पेक्टर विजय प्रकाश अग्रहरि को 55 कुंतल राशन की कालाबाजारी के आरोप में जेल भेजा गया। स्थानीय बीजेपी विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने खुद मार्केटिंग इंस्पेक्टर को रंगे हाथ गोदाम से खाद्यान्न को बिहार के ब्लैक मार्केट में भेजते हुए पकड़ा था।


प्रदेश भर से शिकायतों के बाद अपर मुख्य सचिव गृह और सूचना अवनीश कुमार अवस्थी रस्मी बयान दे रहे हैं, ‘मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुनाफाखोरी और कालाबाजारी करने वाले कोटेदारों पर सख्त कार्रवाई हो रही है। इसके लिए अधिकारी अपने स्तर पर स्टिंग आपरेशन भी कर रहे है। पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि कोटेदारों और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है, लेकिन राजनीतिक दलों से जुड़े कोटेदारों को लगता है कि लूट के बाद भी उनके आका उनका कुछ नहीं होने देंगे।

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