डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट: ‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा झूठा, समावेशी विकास में नेपाल से भी पीछे भारत

पीएम मोदी और बीजेपी का नारा ‘सबका साथ-सबका विकास’ भी एक जुमला ही है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के मुताबिक समावेशी विकास के मोर्चे पर भारत पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी पीछे है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के करीब सवा सौ लोगों के लश्कर के साथ वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम यानी विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक में हिस्सा लेने दावोस पहुंचे हैं। लेकिन डब्ल्यूईएफ ने अपनी इन्क्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स रिपोर्ट यानी समावेश विकास सूचकांक की रिपोर्ट में भारत को नेपाल और पाकिस्तान से भी नीचे दर्जा दिया है। इस सूचकांक को ऐसे समझा जा सकता है कि जब किसी देश में समाज के सभी वर्गों, जैसे गरीब, अमीर, महिला, सभी जाति और संप्रदाय के लोगों का समान विकास हो रहा हो तो उसे समावेशी विकास कहते हैं। लेकिन भारत में समावेशी विकास बेहद बुरे दौर में है।

विश्व आर्थिक मंच की इस रिपोर्ट में भारत को 103 देशों की सूची में 62वां स्थान मिला है, जबकि पड़ोसी पाकिस्तान 47वें स्थान पर और नेपाल 22वें स्थान पर है। भारत के दो और पड़ोसी श्रीलंका और बांग्लादेश भी क्रमश: 40वें और 34वें स्थान पर हैं। वहीं चीन इस सूचकांक में 26वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक समावेशी विकास करने वाले देशों में नॉर्वे शीर्ष पर है जबकि लिथुआनिया उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर।

विश्व आर्थिक मंच ने दावोस में अपनी सालाना बैठक शुरु होने से पहले यह रिपोर्ट जारी की है। डब्ल्यूईएफ ने कहा कि इस इंडेक्स यानी सूचकांक में रहन सहन का स्तर, पर्यावरण की स्थिति और कर्ज के बोझ से संरक्षण आदि पहलुओं को शामिल किया जाता है।

डब्ल्यूईएफ ने अपनी रिपोर्ट में विश्व नेताओं से कहा कि वे तेजी से समावेशी वृद्धि और विकास के नए माडल की ओर बढ़ें। मंच का कहना है कि आर्थिक मोर्चे पर उपलब्धि हासिल करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पर निर्भरता बढ़ने से असमानता की स्थिति पैदा हो रही है। गौरतलब है कि पिछले साल 79 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भारत 60वें स्थान पर था, जबकि चीन 15वें और पाकिस्तान 52वें स्थान पर था।

इस साल यानी 2018 के लिए इंडेक्स में 103 अर्थव्यवस्थाओं के विकास का आंकलन किया गया है। यह आंकलन तीन निजी मानकों, वृद्धि और विकास, समावेशन और अंतर पीढ़ी इक्विटी के आधार पर किया गया है। इसे दो हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में 29 विकसित अर्थव्यवस्थाएं और दूसरे में 74 उभरती अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया है। इस सूचकांक में विभिन्न देशों के पांच साल के समावेशी विकास और वृद्धि को पांच सब-कैटेगरी में बांटा गया है। ये कैटेगरी हैं समावेश में कमी होना, धीरे-धीरे कमी होना, स्थिर, धीमी वृद्धि या वृद्धि।

इंडेक्स में शीर्ष पर छोटे यूरोपीय देश हैं। जबकि टॉप-10 में नौवें स्थान पर आस्ट्रेलिया एकमात्र गैर यूरोपीय देश है। जी-7 की अर्थव्यवस्थाओं में जर्मनी 12वें, कनाडा 17वें, फ्रांस 18वें, ब्रिटेन 21वें, अमेरिका 23वें, जापान 24वें और इटली 27वें स्थान पर है। टॉप-5 समावेशी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में लुथिआना, हंगरी, अजरबैजान, लातविया और पोलैंड है। ब्रिक्स देशों में रूस 19वें, चीन 26वें, ब्राजील 37वें, भारत 62वें और दक्षिण अफ्रीका 69वें स्थान पर है.

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