पंजाब में महिलाओं ने कायम की मिसाल, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला आवाज’ दिवस के रुप में मनाया 8 मार्च

पंजाब की हजारों महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एकदम अनूठे ढंग से मनाया। लुधियाना, मलेरकोटला और मानसा में इन दिनों बाकायदा ‘शाहीन बाग’ बने हुए हैं। एक पखवाड़े के ज्यादा अरसे से तीनों ‘शाहीन बाग’ में राज्य के कोने-कोने से महिलाएं बड़ी तादाद में आकर शिरकत करती हैं।

फोटो: अमरीक 
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अमरीक

पंजाब की हजारों महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एकदम अनूठे ढंग से मनाया। लुधियाना, मलेरकोटला और मानसा में इन दिनों बाकायदा 'शाहीन बाग' बने हुए हैं। एक पखवाड़े के ज्यादा अरसे से तीनों ‘शाहीन बाग’ में राज्य के कोने-कोने से महिलाएं बड़ी तादाद में आकर शिरकत करती हैं। 8 मार्च यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर तीनों जगह मंजर अलहदा था और महिलाओं ने दुनिया भर में महिला गरिमा के लिए मनाए जाने वाले इस दिन को एनआरसी, सीएए और एनपीआर विरोधी दिवस में मनाया।

तीनों जगह महिलाओं ने पुरजोर होकर कहा कि उनके लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस तब तक बेमानी है जब तक ऐसे काले कानूनों को खत्म नहीं कर दिया जाता। मलेरकोटला में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्त्री जागृति मंच और संविधान बचाओ संघर्ष मोर्चे की अगवाई में विशाल रोष प्रदर्शन निकाला गया। सब समुदायों की महिलाओं ने इसमें शिरकत की। स्त्री जागृति मंच की महासचिव अमनदीप कौर देओल ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह अभूतपूर्व 'महिला विरोध प्रदर्शन' था। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि पंजाब में इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं ने एकजुट होकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को इस रूप में मनाया हो। संघ परिवार के इशारे पर मोदी सरकार एनआरसी, सीएए और एनपीआर जैसे कानून लागू करके लोगों को बेवतन करना चाहती है। मौजूदा केंद्र सरकार का सिर्फ एकमात्र एजेंडा हिंदू राष्ट्र की स्थापना है। नारी शक्ति इसे कभी कामयाब नहीं होने देगी।”


ज्वाइंट एक्शन कमेटी की सादिया खानम ने कहा कि केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि जब पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को परंपरागत तौर पर मना रही है तो हम इसे विरोध दिवस के रूप में मना रहे हैं। एडवोकेट निशा शर्मा कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास में आज का दिन भी जरूर दर्ज किया जाएगा, जब पंजाब में इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं ने घरों से बाहर आकर ऐसा विरोध प्रदर्शन किया और नारी शक्ति को एक नया मुहावरा दिया। 8 मार्च को मानसा के शाहीन बाग का 26वां दिन था। यहां भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 'विरोध दिवस' के रूप में मनाया गया। मानसा के शाहीन बाग में भी हजारों महिलाओं का हुजूम उमड़ा। 101 वर्षीया बुजुर्ग बेबे (माता) मुख्त्यार कौर, पंजाबी के मरहूम नाटककार अजमेर सिंह औलख की पत्नी मनजीत कौर औलख, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्र संगठन की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन की महासचिव प्रोफेसर कंवलजीत कौर ढिल्लों ने दुनिया भर में मनाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को बाकायदा विरोध दिवस के तौर पर मनाने की रस्मी घोषणा की।

जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी ने कहा कि दुनियाभर में जहां-जहां बेइंसाफी और इंकलाब हुआ है, महिलाओं ने अति अहम भूमिका निभाई है। आज भारत में महिलाओं की अगुवाई में एकबारगी फिर जंग-ए-आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही है। महिलाओं का आज का विरोध दिवस मानवाधिकारों की हिफाजत की जद्दोजहद का गवाह बनेगा। पंजाब मंच की नेता एडवोकेट हरमीत कौर बराड़ के अनुसार पंजाब में केंद्र के कतिपय जनविरोधी कानूनों का इस तरह का विरोध बेमिसाल है। जबकि एडवोकेट बलवीर कौर कहती हैं कि हम इसलिए यहां आए हैं कि यह संदेश जा सके, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ उत्सव के तौर पर नहीं मनाया जाना चाहिए बल्कि विरोध दिवस के रूप में मना कर साथ साथ यह संदेश भी दिया जाना चाहिए कि ज्यादतियों के खिलाफ महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे के साथ कंधा मिलाकर मैदान में हैं।


मानसा में महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को, 'अंतरराष्ट्रीय महिला आवाज' दिवस का नाम भी दिया। यहां 10,000 से ज्यादा महिलाओं ने शिरकत की। यहां पुरुषों की संख्या भी कम नहीं थी। 28वें दिन में प्रवेश कर गए मलेरकोटला के शाहीन बाग में भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को विरोध दिवस के रूप में मनाया गया। बड़ी तादाद में महिलाएं सड़कों पर उतरीं। मलेरकोटला की नजमा अख्तर कहती हैं, “8 मार्च को जहां विश्व परंपरागत तौर पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा था वहीं हमने 'खिलाफत दिवस' मनाया। पूरे देश में पंजाब जैसा ऐसा मंजर कहीं नहीं मिलेगा जहां सब समुदायों की महिलाएं बढ़-चढ़कर केंद्र के काले कानूनों का मुखर विरोध कर रही हैं।” इंकलाबी मजदूर यूनियन से जुड़ीं रहमत कौर मिन्हास के मुताबिक, "समूची विश्व बिरादरी को पता चलना चाहिए कि 8 मार्च का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महज फैशन नहीं है, सांझे हितों के एहसास के लिए भी यह दिन इस तरह मनाया जा सकता है।" बाहरहाल, पंजाब में 2020 का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस इतिहास में नया अध्याय जोड़ गया है।

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