क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी चमक खोते जा रहे हैं?

उत्तर प्रदेश के सीएम के तौर पर उनके सार्वजनिक आचरण, सहकर्मियों और आम जनता के साथ बर्ताव की शिकायतों ने गोरखपुर से पांच बार लोकसभा सांसद रहे योगी आदित्यनाथ की चमक तेजी से फीकी की है।

फोटोः आईएएनएस
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मोहित दूबे, IANS

क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक साल से अधिक समय से सत्ता पर काबिज रहने के बाद तेजी से अपनी चमक खोते जा रहे हैं? बहुत से लोगों को ऐसा ही लगता है। उनके सार्वजनिक आचरण, सहकर्मियों और आम जनता के साथ उनके बर्ताव की शिकायतों ने गोरखपुर से पांच बार लोकसभा सांसद रहे योगी की चमक तेजी से फीकी की है।

पिछले सप्ताह, 24 वर्षीय अयुष बंसल ने गोरखपुर में मीडिया के सामने आकर योगी द्वारा जनता दरबार में उसका मजाक बनाने का खुलासा किया था। बंसल जनता दरबार में जमीन हड़पने के मामले की शिकायत लेकर गए थे। इस मामले में नौतनवा से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी संलिप्त हैं। उसने मुख्यमंत्री पर उसे अवारा कहने और उसकी फाइल को हवा में उछालने के साथ ही उसे धक्का देने का भी आरोप लगाया। बंसल ने बताया, "महाराजजी गुस्से में मेरी तरफ बढ़े और कहा कि तेरा काम कभी नहीं होगा और मुझे अपनी नजरों के सामने से जाने के लिए कहा।"

हालांकि, अधिकारियों ने मामले को संभालने की कोशिश की और कहा कि मामले की जांच की जा रही है। तथ्य यह है कि आदित्यनाथ के बतौर मुख्यमंत्री इस बर्ताव का न तो अधिकारियों ने खंडन किया और न ही सत्ताधारी पार्टी ने।

इस घटना को बीते कुछ वक्त ही हुआ था कि सत्ताधारी बीजेपी के दो सांसदों ने भी योगी के इसी तरह के बर्ताव की शिकायत की। रॉबर्ट्सगंज से बीजेपी सांसद छोटेलाल खरवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में आदित्यनाथ पर उन्हें डांटने और बाहर निकलने के लिए कहने का आरोप लगाया। सांसद ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के बर्ताव से बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा कि वह सीएम का ध्यान पार्टी के वफादारों के सामने खड़े मुद्दों पर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे।सांसद ने अपने पत्र में कहा है, "स्थानीय प्रशासन ने कभी मेरी शिकायतें नहीं सुनी और जब मैं कई मुद्दों पर मुख्यमंत्री से दो बार मिलने गया तो उन्होंने मुझे डांटकर भगा दिया।"

एक ऐसे शख्स के साथ इस तरह का बर्ताव होना चौंकाने वाला है, क्योंकि वह बीजेपी के एससी-एसटी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। वहीं इटावा के सांसद अशोक दोहरे ने भी भारत बंद को लेकर एससी-एसटी समुदाय के लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का राज्य की पुलिस पर आरोप लगाया और मोदी को इसकी लिखित शिकायत की। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा कि वह मोदी को अपना नेता मानते हैं और इसलिए उन्होंने उनसे शिकायत की है।

पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी ‘महाराज जी’ के बदलते बर्ताव को महसूस किया है। उन्हें लगता है कि योगी का बदलता मिजाज और फिसलती जुबान के पीछे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को संभालना एक कारण हो सकता है। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने भी मुख्यमंत्री पर अधिकारियों के साथ बहुत कटु रहने का आरोप लगाया है। योगी के एक करीबी ने बताया, "मुख्यमंत्री के वफादारों ने महसूस किया है कि योगी को अपने आसपास लोग पसंद नहीं हैं और वह अधिकारियों से तेज और स्थापित प्रणाली के तहत काम करने को कहते हैं। जब भी कोई हादसा होता है तो वह अपना आपा खो देते हैं।"

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