'अमेरिका के इस चाल से भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा गंभीर खतरा', जयराम रमेश ने दी चेतावनी
जयराम रमेश ने कहा कि एक साल पहले किसी ने नहीं सोचा था कि भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों को इतने झटके लगेंगे और ‘हायर’ विधेयक उसी का एक और संकेत है।

कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका में यदि ‘हायर’ अधिनियम से संबंधित विधेयक पारित हुआ तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा।
‘हायर (हॉल्टिंग इंटरनेशनल रीलोकेशन ऑफ इम्प्लोयमेंट एक्ट) विधेयक’ एक प्रस्तावित अमेरिकी कानून है जिसका उद्देश्य विदेशी ‘आउटसोर्सिंग’ को हतोत्साहित करना है। इस विधेयक में कहा गया है कि अगर कोई कंपनी किसी विदेशी कंपनी को उन सेवाओं के लिए भुगतान करती है जिनका इस्तेमाल अमेरिका में होता है तो उसे 25 फीसदी कर चुकाना होगा।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, ‘‘छह अक्टूबर 2025 को ओहायो के सीनेटर बर्नी मोरेनो ने अमेरिकी सीनेट में ‘हायर एक्ट’ नाम से एक विधेयक पेश किया। यह विधेयक अभी सीनेट की वित्त समिति को भेजा गया है। इस विधेयक में उन सभी अमेरिकी व्यक्तियों पर 25 प्रतिशत कर लगाने लगाने का प्रस्ताव है, जो ‘आउटसोर्सिंग’ के लिए भुगतान करते हैं।’’
रमेश ने कहा कि इस विधेयक में ‘आउटसोर्सिंग’ भुगतान को इस तरह परिभाषित किया गया है: ‘‘अमेरिकी कंपनी या करदाता द्वारा किसी विदेशी व्यक्ति को दिया गया वह कोई भी भुगतान, जिसका कार्य अमेरिका के उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाता है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इस विधेयक का सीधा और गहरा प्रभाव भारत की आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) सेवाओं, बीपीओ, कंसल्टिंग और जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर) पर पड़ेगा। आयरलैंड, इजराइल और फिलीपीन जैसे अन्य देशों पर भी इसका असर होगा लेकिन इसका सबसे बड़ा असर भारत के सेवा निर्यात पर पड़ेगा जो पिछले 25 वर्षों से भारत की सबसे बड़ी आर्थिक सफलता रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में पास हो भी सकता है और नहीं भी। इसमें संशोधन भी हो सकता है या यह लंबे समय तक लंबित रह सकता है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि यह विधेयक अमेरिका में बढ़ती उस सोच को दर्शाता है कि जब ‘ब्लू-कॉलर’ नौकरियां चीन ‘ले गया’ तो ‘व्हाइट-कॉलर’ नौकरियां ‘भारत के हाथों में नहीं जानी चाहिए’।’’
ब्लू-कॉलर’ नौकरियों से तात्पर्य उन व्यवसायों से है जिनमें शारीरिक श्रम या कुशल व्यापार शामिल होते हैं। इनके लिए अक्सर औपचारिक शिक्षा के बजाय शारीरिक श्रम और व्यावहारिक प्रशिक्षण एवं अनुभव की आवश्यकता होती है। ‘व्हाइट-कॉलर’ नौकरियों में वे कार्यालय-आधारित, प्रशासनिक और प्रबंधकीय कार्य शामिल होते हैं जिनमें बौद्धिक या मानसिक श्रम शामिल होता है। इन नौकरियों के लिए अक्सर उच्च शिक्षा और पेशेवर कौशल की आवश्यकता होती है।
रमेश ने कहा कि एक साल पहले किसी ने नहीं सोचा था कि भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों को इतने झटके लगेंगे और ‘हायर’ विधेयक उसी का एक और संकेत है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कभी यह विधेयक हकीकत बनता है तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करेगा और भारत को अमेरिका के साथ अपने आर्थिक संबंधों में एक ‘न्यू नॉर्मल’ (नई सामान्य स्थिति) का सामना करना पड़ सकता है।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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