जम्मू-कश्मीर, राजस्थान से लेकर केन्द्र तक, सरकारी कर्मचारियों को चुप कराने में जुटी सरकारें

जम्मू-कश्मीर की महबूबा सरकार ने सोशल मीडिया पर राजनीतिक विचार पोस्ट करने पर रोक सरकारी कर्मचारियों के लिए लगा दी है। इससे पहले राजस्थान सरकार और पीएसयू के कर्मचारियों पर भी ऐसी ही रोक लगाई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

वसुंधरा सरकार के तुगलकी फरमान के बाद अब जम्मू-कश्मीर की सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए विवादित फरमान जारी किया है। महबूबा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को उनके निजी सोशल मीडिया अकाउंट पर राजनीतिक विचार पोस्ट करने पर रोक लगा दी है। प्रदेश सरकार के प्रशासनिक विभाग ने बताया कि सरकार को नुकासान पहुंचाने वाली किसी भी चीज पर कोई सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह के राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं रखेंगे। आदेश में कहा गया है कि सरकार द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय या किसी नीति की आलोचना कोई भी सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर नहीं कर सकते।

सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारी आचार नियमों में एक उप नियम जोड़ा है। नियम के मुताबिक कर्मचारी किसी राजनीतिक गतिविधि के लिए अपने निजी सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के पोस्ट, ट्वीट या ब्लॉग का प्रचार नहीं कर सकते। राज्य सरकार के इस आदेश का चारों तरफ कड़ी आलोचना हो रही है। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने यह फरमान इस लिए जारी किया है ताकि उसकी नीतियों को लेकर उससे सवाल करने वाले शांत हो जाएं और किसी भी तरह का सरकार को असहज करने वाले सवाल न पूछें।

देश में इस तरह का विवादित फरमान जारी करना किसी सरकार की ओर से यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने इसी तरह का एक तुगली फरमान 12 अक्टूबर 2017 को जारी किया था। सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगा दी है। सरकार ने सर्कुलर जारी कर कहा था कि अगर किसी भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी ने सरकार की किसी भी नीति या फैसले की आलोचना की तो उसकी खैर नहीं। सर्कुलर में कहा गया था, “ कुछ अधिकारी / कर्मचारियों के द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है और प्रेस और सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मनगढ़ंत और अनर्गल आरोप प्रचारित और प्रसारित किए जा रहे हैं। उनके इस अनुचित और अशोभनीय आचरण से कार्यालय की छवि धूमिल होती है।”

जम्मू-कश्मीर, राजस्थान से लेकर केन्द्र तक, सरकारी कर्मचारियों को चुप कराने में जुटी सरकारें

सर्कुलर में चेतावनी दी गयी थी कि सभी अधिकारी और कर्मचारी सुनिश्चति करें कि वे सार्वजनिक तौर पर किसी व्यक्ति विशेष या किसी पार्टी अथवा संस्थान के खिलाफ तथ्यहीन, निराधार, असत्यापित, गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां न प्रसारित या प्रचारित करें। ऐसा न करने पर कठोर अनुशास्नात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गयी थी। राजस्थान सरकार के शासन सचिव भास्कर ए सावंत की तरफ से ये सर्कुलर सभी आयुक्तों, जिलाधिकारियों और पुलिस महानिदेशक को भेजा गया है। इस पत्र की एक कॉपी राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी भेजी गई थी।

केंद्र सरकार ने भी पीएसयू कर्मचारियों के लिए आदर्श आचरण के नियम बनाए हैं। नियमों के मुताबिक, कोई भी कर्मचारी ऐसे बयान नहीं देगा, जिसमें केंद्र या राज्य सरकार की आलोचना की गई हो। इसमें कर्मचारी के नाम से प्रकाशित दस्तावेज या प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से किसी भी तरह बातचीत शामिल है।

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