झारखंड का केंद्र के पास 1 लाख 32 हजार करोड़ का बकाया, पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक में भुगतान की मांग करेंगे CM सोरेन

झारखंड सरकार राज्य में नक्सल नियंत्रण के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के एवज में राज्य सरकार की ओर से केंद्र को राशि के भुगतान की व्यवस्था समाप्त करने की भी मांग उठा सकती है।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

आगामी 10 दिसंबर को पटना में होने वाली पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में झारखंड सरकार एक बार फिर केंद्र के पास राज्य के एक लाख 36 हजार करोड़ रुपए की बकाया राशि का मामला उठाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में होने वाली इस अहम बैठक में झारखंड और बिहार के बीच पेंशन की देनदारी विवाद का मामला भी उठेगा। इस बैठक में बिहार, झारखंड, ओडिशा, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के मौजूद रहने की संभावना है।

झारखंड की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में राज्य वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, मुख्य सचिव एल खियांग्ते, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह भी इस बैठक में शिरकत करेंगे।

पिछले साल कोलकाता में हुई बैठक में भी सीएम सोरेन ने विभिन्न कोयला कंपनियों पर लैंड कंपनसेशन और रॉयल्टी के मद में झारखंड की बकाया राशि के भुगतान की मांग उठाई थी। तब से लेकर अब तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।


झारखंड सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राज्य में खनन का काम करने वाली कोयला कंपनियों सेंट्रल कोलफील्ड्स लि.(सीसीएल), भारत कोकिंग कोल लि. (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड् लि (ईसीएल) के पास भूमि मुआवजे के मद में झारखंड सरकार के एक लाख करोड़, सामान्य मद में 32 हजार करोड़ और धुले हुए कोयले की रॉयल्टी के एवज में 2900 करोड़ रुपए लंबे वक्त से बकाया हैं।

झारखंड सरकार राज्य में नक्सल नियंत्रण के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के एवज में राज्य सरकार की ओर से केंद्र को राशि के भुगतान की व्यवस्था समाप्त करने की भी मांग उठा सकती है। इसके अलावा झारखंड सरकार पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के जरिए बिहार के साथ पेंशन देनदारी का भी विवाद सुलझाना चाहती है। यह विवाद 22 साल पुराना है।


बिहार की सरकार ने पेंशन मद में झारखंड से 847 करोड़ रुपये की मांग को लेकर हाल में पत्र भेजा है। झारखंड का कहना है कि बिहार उसपर अनुचित और अतार्किक तरीके से बोझ लाद रहा है।

झारखंड सरकार छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का हवाला देते हुए जनसंख्या के आधार पर 25 फीसदी राशि का भुगतान करना चाहती है, जबकि बिहार सरकार चाहती है कि झारखंड को सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के लिए एक तिहाई राशि भुगतान करना चाहिए।

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