जींद उपचुनाव: सुरजेवाला को मिल रहे जनसमर्थन से उड़ी बीजेपी-लोकदल की नींद

हरियाणा के जींद उपचुनाव में कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला सबसे मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। इस चुनाव में कुल 21 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन सुरजेवाला की मौजूदगी ने सत्तारूढ़ बीजेपी समेत सभी दलों और उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है।

फोटो सौैजन्य : @rssurjewala
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बिपिन भारद्वाज

हरियाणा की जींद विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला के समर्थन में एकजुट नेताओं की मौजूदगी से सत्तारूढ़ बीजेपी समेत सभी उम्मीदवारों की नींद उड़ी हुई है। कांग्रेस मीडिया सेल प्रभारी सुरजेवाला सबसे मजूबत उम्मीदवार के तौर पर उभरे हैं, जिन्हें हर तबके का समर्थन मिल रहा है। सुरजेवाला की मौजूदगी से सबसे ज्यादा दिक्कत में सत्तारूढ़ बीजेपी है जिसने डॉ किशन मिड्ढा को मैदान में उतारा है।

इस चुनाव में यूं तो भारतीय नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी के भी मैदान में है, लेकिन दांव पर साख लगी है बीजेपी की। यूं भी जींद उपचुनाव का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद विधानसभा चुनाव।

बीजेपी के लिए यह साख की लड़ाई है तो लोकदल और जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) के लिए गौरव की। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की लोकदल में हाल ही में दोफाड़ हुआ है। चौटाला परिवार में कलह के बाद दुष्यंत चौटाला को लोकदल से निकाल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने जननायक जनता पार्टी बनाई थी।

इस उपचुनाव में दुष्यंत चौटाला ने अपने भाई दिग्विजय चौटाला को मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतारा है। जबकि लोकदल ने उमेद रेधू को उम्मीदवार बनाया है। इस चुनाव में बीएसपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।

यूं तो जननायक जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार की कोई खास हवा नहीं है, लेकिन आम आदमी पार्टी द्वारा उन्हें समर्थन की घोषणा से उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। बताया जाता है कि दिग्विजय के पिता अजय सिंह चौटाला से हाल ही में दिल्ली के दो विधायकों ने मुलाकात की थी।

जींद को परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। कांग्रेस ने 1967 के बाद से यहां पांच बार जीत हासिल की है। वहीं 2009 और 2014 में लोकदल उम्मीदवार pe’ विजय मिली है। इस सीट पर बीजेपी हमेशा परास्त होती रही है। इस बार बीजेपी ने यहां से डॉ किशन मिड्ढा को उतारा है। डॉ मिड्ढा के पिता यहां से लोकदल के विधायक थे। पिछले साल उनकी मृत्यु हो गई।

चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक 2009 के चुनाव में लोकदल के हरिचंद मिड्ढा ने 34 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता रहे थे। भजन लाल की हरियाणा जनहित कांग्रेस के ब्रिजमोहन सिंगला तीसरे नंबर पर आए थे।

2014 के चुनाव में लोकदल के हरिचंद मिड्ढा फिर से विधायक चुने गए। उन्होंने बीजेपी के सुरिंदर सिंह बरवाला को हराया था, जबकि कांग्रेस के प्रमोद सहवाग तीसरे नंबर पर रहे थे। इस चुनाव में बीएसपी चौथे नंबर पर रही थी।

जाट बहुल इस सीट पर एक लाख 70 हज़ार से ज्यादा वोटर हैं। इनमें से 1 लाख 5 हजार वोटर शहरी इलाकों में हैं। माना जा रहा है कि इनमें से करीब सवा लाख वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।

इस सीट पर जाट वोटरों की संख्या करीब 45,000 और ब्राह्मणों की संख्या करीब 15000 है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 5000 के करीब फ्लोटिंग वोटर (जो किसी भी तरफ जा सकते हैं) यहां के उम्मीदवार की किस्मत का फैसला करेंगे।

इस सीट को बीजेपी ने साख का सवाल बना लिया है इसीलिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लगातार जींद में प्रचार कर रहे हैं। लेकिन, बीजेपी उम्मीदवार डॉ मिड्ढा को स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस बात को लेकर है कि स्थानीय और पुरान नेताओं की अनदेखी कर बीजेपी ने एक बाहरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है जो हाल ही में पार्टी में आया है।

उधर कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला की स्थित मजबूत होती जा रही है क्योंकि कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर उनके समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। इस बीच कलायत से निर्दलीय विधायक जय प्रकाश ने भी सुरजेवाला को बिना शर्त समर्थन का ऐलान किया है। जय प्रकाश का जींद विधानसभा क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है।

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