सुप्रीम कोर्ट में आज से जज लोया केस की सुनवाई, जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच में ही रहेगा मामला

सुप्रीम कोर्ट में जज लोया केस की 16 जनवरी यानी मंगलवार से सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा सवाल उठाने के बावजूद जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच में ही केस की सुनवाई होगी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट जज बृजगोपाल लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाली याचिका पर 16 जनवरी यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा। खास बात यह है कि इस केस की सुनवाई वही बेंच करेगी जिसने पिछले हफ्ते सुनवाई की थी और जिसके बाद विवाद को तूल मिला था। 15 जनवरी को इस केस की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएन शांतनगौडार की अदालत में होनी थी। जस्टिस शांतागौडार के छुट्टी पर रहने की वजह से सुनवाई नहीं हो पाई थी।

जो बेंच जज लोया की मौत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करेगी, उसमें जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएन शांतनगौडार शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा संकट में जज लोया के मामले को विवाद की जड़ माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इसका जिक्र किया था और कहा था कि चीफ जस्टिस अपने तौर पर खास मामलों को चुनिंदा बेंच में सुनवाई के लिए दे रहे हैं।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने भी जस्टिस अरुण मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि सीबीआई के विशेष जज रहे लोया की मौत के मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा के बीजेपी और सीनियर नेताओं से करीबी संबंध हैं। उन्होंने कहा है कि जस्टिस मिश्रा को इस केस की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

जज लोया की 1 दिसंबर, 2014 को रहस्यमय हालात में दिल का दौरा पड़ने से नागपुर में मौत हो गई थी। जज लोया वहां एक साथी की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे। उस समय जज लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में कई पुलिस अफसरों के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी शामिल था।

मुंबई के एक पत्रकार बीआर लोन और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

कहा जाता है कि 12 जनवरी को 4 सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने चीफ जस्टिस से मिलकर मामलों की सुनवाई वरीयता क्रम में 10वें नंबर की बेंच के बजाए दूसरी बेंच में करने का अनुरोध किया था। जब चीफ जस्टिस ने उनकी यह बात नहीं मानी तो, इसके बाद चारों जजों ने 12 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी और गंभीर मुद्दे उठाए थे। चारों जजों ने लोकतंत्र पर खतरे की बात कहते हुए माना था कि जिन मामलों की सुनवाई वरीयता क्रम की ऊपरी बेंच में कराने की बात थी, उनमें जज लोया की मौत से जुड़ी याचिका का मामला भी था। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब जजों से पूछा गया था कि जिन मामलों की बेंच बदलने की आपने मांग की थी, क्या उनमें जज लोया का मामला भी था, तो जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हां, यह मामाल भी था।

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Published: 16 Jan 2018, 12:29 PM