'दलितों के खिलाफ अपराध में 46% और आदिवासियों के खिलाफ 91% की बढ़ोतरी', खड़गे का मोदी सरकार पर हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 2013 से 2023 के बीच दलितों पर अपराध में 46 फीसदी और आदिवासियों पर 91 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खड़गे ने हालिया जातिगत घटनाओं को आरएसएस-बीजेपी की “सामंतवादी सोच” बताया।

देश में दलितों-आदिवासियों के खिलाफ बढ़ रहे अपराध को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र की मोदी सरकर पर तीखा हमला बोला है। खड़गे ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में दलितों-आदिवासियों के खिलाफ देश में बढ़ रहे आपराध का आंकड़ा पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है।
उन्होंने कहा कि 2013 से 2023 के बीच दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराधों में भारी वृद्धि कैसे स्वीकार की जाए। उन्होंने NCRB रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा:
"दलितों के खिलाफ अपराधों में 46% वृद्धि हुई
आदिवासियों के खिलाफ अपराध 91% बढ़े।"
खड़गे ने ताजा घटनाओं का किया जिक्र
खड़गे ने कुछ हालिया घटनाओं का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा, "आरएसएस–बीजेपी की सामंतवादी सोच" का प्रदर्शन है:
"हरियाणा में एक IPS अधिकारी के साथ जातिगत भेदभाव का आरोप
हरिओम वाल्मीकि की कथित प्रताड़ना
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) पर हमला और उसे जायज़ ठहराना
राजस्थान के सवाई माधोपुर में दलित बुजुर्ग महिला कमला देवी रैगर पर अत्याचार।"
इन घटनाओं को खड़गे ने अलग-अलग वारदात न मानकर पूरे सामाजिक ढांचे पर हमला बताया है।
'कट्टर विचारधारा' और संविधान की लड़ाई
खड़गे ने कहा कि यह घटनाएं भारत के संविधान, सामाजिक न्याय और समानता के मूल सिद्धांतों पर सीधा हमला हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्गों को डराकर दबाने की यह राजनीति लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।
हरियाणा IPS अधिकारी की मौत और FIR
अपने पोस्ट में खड़गे ने हरियाणा के एक वरिष्ठ दलित अधिकारी, वाई पूरन कुमार की मौत का भी जिक्र किया है। आरोप है कि अधिकारी ने जातिगत भेदभाव, मानसिक प्रताड़ना और सार्वजनिक अपमान का सामना किया। उनकी पत्नी ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए एफआई दर्ज करने की मांग की है।
बढ़ते अपराध का NCRB डेटा में जिक्र
खड़गे की पोस्ट में NCRB के वर्ष 2013–2023 के लिए आंकड़ें बताए गए हैं। NCRB आंकड़ों पर आधारित अध्ययन बताते हैं कि अत्याचार और जातिगत हिंसा की प्रवृत्ति समय-समय पर बढ़ी है।
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