जानिए नोबेल पुरस्कारों को लेकर किन नामों पर हैं अटकलें, 301 उम्मीदवार हैं दावेदार

पुरस्कारों के सप्ताह की शुरुआत सोमवार को हो रही है, चिकित्सा या शरीर विज्ञान के पुरस्कार के साथ। इसके बाद बारी आएगी 8 अक्टूबर को फिजिक्स, 9 अक्टूबर को केमिस्ट्री, 10 को साहित्य, 11 को शांति और 14 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के पुरस्कार की।

फोटो: सोशल मीडिया
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डॉयचे वेले

पिछले साल अकादमी में उभरे यौन उत्पीड़न के मामले की वजह से 2018 के साहित्य नोबेल की घोषणा को अकादमी ने स्थगित कर दिया था। इस मामले से जुड़े कई कशमश भी खड़े हो गए थे जिसकी वजह से संस्था में गहरे मतभेद सामने आए थे। उसके बाद अकादमी में आमूल परिवर्तन भी हुआ। पुरस्कार के विजेताओं को शॉर्टलिस्ट करने वाली नोबेल कमिटी में पांच बाहरी सदस्यों को भी शामिल किया गया। कई सदस्यों ने अकादमी को छोड़ भी दिया जिनमें कवियित्री कैटरीना फ्रोस्टेंसन शामिल थीं। उनके पति, जां क्लोद आर्नो को 2018 में बलात्कार के दो मामलों में अपराधी पाया गया था।

जून से अकादमी के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे मैट्स मॉम ने हाल ही में हुए गोथेनबर्ग पुस्तक मेले में एक चर्चा के दौरान बताया कि अकादमी में मौजूदा माहौल अभी काफी सकारात्मक है। बीती घटनाओं के बारे में उन्होंने कहा, “यह काफी दुखदायी रहा है। अभी भी जख्म ताजा है।” दूसरे प्रतिष्ठित साहित्य पुरस्कारों की तरह स्वीडिश अकादमी अपनी सूची को सार्वजनिक नहीं करती है। ऐसे में उम्मीदवारों का अनुमान लगाना काफी कठिन होता है। 2016 में अमेरिकी गायक और गीतलेखक बॉब डिलन के चुने जाने से कई लोगों को आश्चर्य हुआ था। अकादमी ने डीपीए को बताया कि 2018 के लिए 194 उम्मीदवारों के नाम पर विचार हुआ था और 2019 के लिए 189। सभी नाम और उन नामों पर हुई चर्चा 50 साल तक के लिए गोपनीय रहते है।


बेटिंग वेबसाइट यूनीवैक पर साहित्य नोबेल के लिए जो नाम शीर्ष पर हैं वह हैं कैनेडियन लेखिका और कवयित्री एन कार्सन, कैरिबियाई मूल के मरीसे कोंडे और चीन की कान शू। कुछ और जाने पहचाने नामों में शामिल है केन्याई लेखक गूगी वा थिओनगो, जापान के हारूकी मुराकामी और कनाडा की मार्गरेट एटवुड। स्टॉकहोम विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर स्टेफान हेल्गेसन कहते हैं कि एक बाहरी समिति का शामिल किया जाना एक अच्छा निर्णय था जिसकी मदद से अकादमी के अंदर के मतभेदों से ध्यान हटाया जा सका है। हेल्गेसन का कहना है कि अमेरिकी-कैरेबियाई लेखिका जमैका किनकेड एक स्पष्ट उम्मीदवार थीं हालांकि उनके साथ एक मुश्किल जरूर है कि उनकी लिखने की भाषा अंग्रेजी है जिसे कई बार सम्मान मिल चुका है।

वह यह भी कहते हैं कि कौन्डे, जिन्हें 2018 में वैकल्पिक साहित्य नोबेल मिला था, के नाम पर विचार किया जा सकता था। गोटेबोर्ग्स पोस्टेन अखबार के पूर्व संस्कृति संपादक, मिकाइल फान रीस कहते हैं कि अकादमी ने किसे चुना है ये कहना मुश्किल है। उनके अपने पसंदीदा लेखकों में अपने नॉवेल फ्लाइट्स के लिए 2018 के मैन बुकर पुरस्कार की विजेता पोलिश लेखिका ओल्गा टोकरचुक शामिल हैं। रीस कहते हैं कि वो एक बहुत ही दिलचस्प लेखिका हैं और उन्हें 18वीं शताब्दी की पृष्ठभूमि में लिखी गई 900 पन्नों की बुक्स ऑफ जैकब ग्रन्थ के लिए सराहना भी मिली है और आलोचना भी।


पुरस्कारों के सप्ताह की शुरुआत सोमवार को हो रही है, चिकित्सा या शरीर विज्ञान के पुरस्कार के साथ। इसके बाद बारी आएगी 8 अक्टूबर को फिजिक्स, 9 अक्टूबर को केमिस्ट्री, 10 को साहित्य, 11 को शांति और 14 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के पुरस्कार की। इन पुरस्कारों की स्थापना की थी स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल ने, जो डायनामाइट के आविष्कारक भी थे। सिर्फ अर्थशास्त्र का नोबेल एक अपवाद है जिसे पहली बार 1969 में दिया गया था। हर नोबेल पुरस्कार की कीमत 9 मिलियन क्रोनर या 833,000 यूरो होती है।

इस साल शांति पुरस्कार के लिए नार्वेजियन नोबेल समिति को 301 नामांकन मिले थे, जो कि 1901 में पहले पुरस्कार के दिए जाने के बाद की सबसे बड़ी संख्या है। इंटरनेट पर लगाए गए दावों के हिसाब से अगर अंदाजा लगाएं तो 16-वर्षीय स्वीडिश जलवायु एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग, जिसने जलवायु को बचाने के लिए एक वैश्विक आंदोलन को प्रेरित किया है, सबसे प्रबल दावेदार हैं। कई शोधकर्ताओं को लगता है की थुनबर्ग को शांति नोबेल पुरस्कार मिलेगा और अगर ऐसा होता है तो वो नोबेल पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की विजेता बन जाएगी।


स्टॉकहोल्म अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान के निदेशक दान स्मिथ कहते हैं, “नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने पहले भी पर्यावरण एक्टिविज्म को सम्मानित किया है। ये पुरस्कार हमेशा युद्ध और सशस्त्र द्वन्द के बारे में नहीं होता। मुझे लगता है कि कहीं न कहीं इस किशोरी ने एक तरह का आह्वान किया है, जिसे लोगों ने सुना है।” नार्वेजियन इतिहासकार असले स्वीन, जो शांति पुरस्कार के इतिहास के विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि थुनबर्ग के नाम पर “विचार तो जरूर हो रहा होगा पर मुझे लगता है समिति इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबीय अहमद को चुनेगी।” उन्होंने बताया, “अहमद ने इरीट्रिया के साथ कई वर्षों के युद्ध के बाद शांति समझौता किया है और लोकतांत्रिक सुधार की प्रक्रिया शुरू की है। अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार ये कार्य शांति पुरस्कार के पूरी तरह से लायक है।”

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