लोकसभा चुनाव: महाराष्ट्र में चौथे चरण में बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर, राज्य में सत्ता विरोधी लहर!

चौथे चरण में 11 सीटों पर लड़ाई जिस मोड़ पर है उससे यह तय है कि बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 11 में से 7 सीटों पर बीजेपी लड़ रही है।

महाराष्ट्र में चौथे चरण में बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है।
महाराष्ट्र में चौथे चरण में बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है।
user

नवीन कुमार

महाराष्ट्र में इस बार लोकसभा के चुनाव में तीन चरणों में कम मतदान करके मतदाताओं ने अजीब-सी स्थिति पैदा कर दी। यह माना जा रहा है कि मोदी गारंटी के बावजूद सत्ता विरोधी लहर है। यह लहर चौथे चरण में भी देखने को मिल सकती है। इसलिए 13 मई को चौथे चरण के होने वाले मतदान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीड और नंदुरवार में रैलियां की। नंदुरवार जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है विकास के लिए तरस रहा है। इस नंदुरवार में जनसुविधाओं का अभाव है। शिशु मौत एक सामान्य प्रक्रिया का अंग बन गया है। उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं होने के कारण ही महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित और बच्चों के कुपोषण की समस्याएं यहां हैं। पिछले साल सिर्फ तीन महीने के अंदर ही स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण 179 शिशु की मौत हो गई थी। यहां स्वास्थ्य और कुपोषण के अलावा सड़क, दूरसंचार, शिक्षा, रोजगार और सिंचन की भी समस्या है। स्वास्थ्य और कुपोषण को लेकर बीजेपी की वर्तमान युवा सांसद डॉ. हीना गावित को ज्यादा जागरूक होना चाहिए। क्योंकि, वह स्वयं एक डॉक्टर हैं। वह पिछले दो टर्म से सांसद हैं और इस बार वह हैट्रिक करना चाहती हैं। लेकिन उन्होंने 10 सालों में कुपोषण का कोई इलाज नहीं ढ़ूंढ़ा। इस लोकसभा क्षेत्र के एक विधायक विजय गावित हैं जो डॉ. हीना के पिता हैं। अब डॉ. हीना की जीत के लिए नंदुरवार में मोदी ने रैली करके बड़ी-बड़ी बातें की हैं। उन्होंने कहा कि नंदुरवार में 12 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त में राशन मिल रहा है। लेकिन विपक्ष कह रहा है कि मुफ्त राशन की बात तो ठीक है, यहां की महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल रही है और बच्चों को कुपोषण से मुक्त क्यों नहीं कराया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने बीड में बीजेपी की उम्मीदवार पंकजा मुंडे के पक्ष में रैली की। इस बीड में मराठा आरक्षण की आग अब तक ठंडी नहीं हुई है। धनगर समाज भी आरक्षण नहीं मिलने से गुस्से में है। इस खामियाजा मुंडे को भुगतना पड़ सकता है।

चौथे चरण में 11 सीटों पर लड़ाई जिस मोड़ पर है उससे यह तय है कि बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 11 में से 7 सीटों पर बीजेपी लड़ रही है। उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के तीन और अजित पवार गुट के एनसीपी के एक उम्मीदवार मैदान में हैं। लेकिन विपक्ष की तैयारी टक्कर देने वाली है। महा विकास आघाड़ी में कांग्रेस ने 3, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और शरद पवार के एनसीपी ने 4-4 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इन 11 सीटों में उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के लोकसभा क्षेत्र हैं जहां किसानों की समस्याओं के साथ सिंचाई, सूखा और किसानों की आत्महत्या की समस्या बड़ी है। इन क्षेत्रों के लोग अपने सांसदों के काम से खुश नहीं हैं। मतदाताओं में गुस्सा तो है लेकिन वे खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। संकेत जरूर दे रहे हैं कि उनका जवाब मतदान के दिन जाहिर होगा। नंदुरवार गुजरात सीमा से लगा हुआ है। इस लोकसभा क्षेत्र में नंदुरवार और धुले जिले शामिल हैं। यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ था। लेकिन पिछले दो चुनावों से यहां बीजेपी का कब्जा है। इसलिए आदिवासी लोग बीजेपी से अपने विकास का हिसाब मांग रहे हैं। बीजेपी की डॉ. हीना को कांग्रेस के वकील गोवाल पडवी से सीधी टक्कर मिल रही है। परिवारवाद वाला बीड लोकसभा क्षेत्र बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे का इलाका है। उनके निधन के बाद उनकी बेटी प्रीतम मुंडे यहां से दो बार सांसद चुनी गईं। लेकिन यहां बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत इस बार प्रीतम की बड़ी बहन पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बना दिया है। पंकजा के सामने अपने पिता की राजनीतिक जमीन को बचाने की चुनौती है। इसमें उनकी मदद उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे कर रहे हैं जिनसे पंकजा पिछला विधानसभा चुनाव हार गई थीं। धनंजय इस समय शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार गुट में हैं। लेकिन यहां पंकजा के लिए जीत बहुत आसान नहीं है। वह ओबीसी समाज के लिए लड़ती रही हैं। यहां उन्हें मराठाओं से बड़ी चुनौती मिल रही है। मराठा आंदोलन के लड़ाकू कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटील ने पंकजा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस क्षेत्र में मुंडे परिवार भले ही राजनीति को नियंत्रित करने के लिए मशहूर है। लेकिन यहां के राजनीतिक माहौल में तब्दीली आई है इसलिए पंकजा को शरद पवार गुट के उम्मीदवार बजरंग सोनवणे कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

मराठवाड़ा का जालना लोकसभा क्षेत्र मराठा आंदोलन से प्रभावित है। यह मराठा आंदोलन का केंद्र है। मराठाओं का गुस्सा बीजेपी के खिलाफ है। इसलिए पांच बार से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने जाने वाले रावसाहेब दानवे के लिए जालना लोकसभा सीट अब बहुत सुरक्षित नहीं है। छठी बार चुनाव लड़ रहे दानवे के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार कल्याण काले चुनौती की दीवार बनकर खड़े हैं। केंद्र में मंत्री रहने के बावजूद दानवे अपने चुनाव क्षेत्र को सूखा और जलसंकट से मुक्त नहीं करा पाए हैं। आज भी यहां लोगों को टैंकर से पानी मुहैया कराया जा रहा है। दानवे के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने रैली की है। बीजेपी के गढ़ रावेर भी परिवारवाद वाला लोकसभा क्षेत्र है। यहां पर बीजेपी के पूर्व नेता एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे पिछले दो टर्म से सांसद हैं और अब वह तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। एकनाथ खडसे भूमि विवाद के बाद बीजेपी से अलग हो गए थे और बाद में शरद पवार गुट से विधान परिषद के सदस्य भी बने। लेकिन बहू के बीजेपी से टिकट मिलने के बाद उनके प्रचार के लिए विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस सीट पर रक्षा खडसे के खिलाफ शरद पवार ने एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में उद्योगपति श्रीराम पाटील को मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा रक्षा खडसे के लिए पार्टी की अंदरूनी नाराजगी भी परेशानी पैदा किए हुए है। छत्रपति संभाजीनगर में त्रिकोण लड़ाई है। यहां इम्तियाज जलील (एआईएमआईएम), चंद्रकांत खैरे (उद्धव ठाकरे गुट शिवसेना) और संदुपन भुमरे (शिंदे गुट शिवसेना) के बीच मुकाबला है। बीजेपी के पारंपरिक क्षेत्र जलगांव में राजनीतिक समीकरण तब बदल गए जब बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद उन्मेश पाटील का टिकट काटकर पूर्व विधायक स्मिता वाघ को उम्मीदवार बना दिया। इससे नाराज होकर पाटील ने उद्धव गुट की शिवसेना का दामन थाम लिया। पाटील के समर्थन से उद्धव गुट के उम्मीदवार करण पवार की स्थिति मजबूत हो गई है। इस लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी और शिवसेना (उद्धव गुट) पहली बार आमने-सामने है। पश्चिम महाराष्ट्र का मावल शिवसेना की पुरानी सीट है। लेकिन शिवसेना में विभाजन के बाद उद्धव गुट और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच सीधा मुकाबला है। संजोग वाघेरे उद्धव गुट के तो श्रीरंग बार्ने शिंदे गुट के उम्मीदवार हैं। पुणे में दिलचस्प लड़ाई है। बीजेपी इस लोकसभा क्षेत्र को अपनी पारंपरिक सीट मानती है। बीजेपी के सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव भी नहीं हुए। लेकिन अब यहां पर त्रिकोणात्मक लड़ाई होने वाली है। मुरलीधर मोहोल (बीजेपी), रवींद्र धांगेकर (कांग्रेस) और वसंत मोरे (वीबीए) के मैदान में होने से लड़ाई काफी रोमांचक है। पश्चिम महाराष्ट्र का शिरुर लोकसभा क्षेत्र भी काफी लोकप्रिय हो गया है। शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के बाद इस चुनाव क्षेत्र में पहली बार चाचा-भतीजे की पार्टी के बीच मुकाबला है। शरद पवार की पार्टी से मराठी अभिनेता और सांसद अमोल कोल्हे के सामने अजित गुट के उम्मीदवार शिवाजीराव अघलराव पाटील एक-दूसरे के सामने ताल ठोक रहे हैं। अहमदनगर भी बीजेपी का परिवारवाद वाला लोकसभा क्षेत्र है। यहां से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद सुजय विखे पाटील को टिकट दिया है। सुजय पुराने कांग्रेसी और वर्तमान में राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील के बेटे हैं। सुजय के खिलाफ शरद पवार ने नई पीढ़ी के विधायक नीलेश लंके को मैदान में उतारा है। मोदी तो कई बार शिर्डी आ चुके हैं और पैकेज भी जाहिर कर चुके हैं। लेकिन शिर्डी लोकसभा क्षेत्र पर शिवसेना का कब्जा रहा है। शिवसेना में विभाजन के बाद पहली बार दोनों शिवसेना आमने-सामने है। शिंदे गुट के सदाशिव लोखंडे का मुकाबला उद्धव गुट के भाऊसाहेब वाकचौरे से है। लेकिन लड़ाई को त्रिकोण बनाने के लिए उत्कर्षा रूपवते (वीबीए) भी मैदान में हैं। अब इन 11 सीटों पर जो स्थिति बनी हुई है उससे संभावित बारिश या गरमी के मौसम के हिसाब से भी मतदाताओं का रूझान अपने रंग में होगा।  

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia