मध्य प्रदेशः जूनियर डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से सरकार नाराज, कई डॉक्टरों को किया बर्खास्त और निष्कासित

अपनी मांगों को लेकर पिछले कुछ दिनों से हड़ताल कर रहे प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। जूनियर डॉक्टरों के इस कदम पर सख्ती दिखाते हुए राज्य सरकार ने कई डॉक्टरों को बर्खास्त और कुछ को निष्कासित कर दिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश में अपनी मांगो के लिए हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ राज्य सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। एक दिन पहले राज्य सरकार द्वारा एस्मा लगाने के विरोध में सामूहिक इस्तीफा देने वाले जूनियर डॉक्टरों को अब सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से नाराज सरकार ने हड़ताल का नेतृत्व कर रहे 20 डॉक्टरों को पीजी कोर्स से निष्कासित कर दिया है। कहा जा रहा है कि जिन डॉक्टरों को निष्कासित किया गया है वे हड़ताल और प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। वहीं, ग्वालियर में गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के 5 जूनियर डॉक्टरों को डीन ने बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों को शोकॉज नोटिस दिया गया है। यह कार्रवाई राज्य में लागू एस्मा के तहत की गई है।

बता दें कि मध्य प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर अपना मानदेय बढ़ाने के साथ ही मेडिकल यूनिवर्सिटी की फीस कम करने तथा पीजी के बाद डॉक्टरों को ग्रामीण सेवा बांड के तहत दिया जा रहा मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

मंगलवार को भोपाल में जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच कई दौर की बातचीत चली, मगर कोई नतीजा नहीं निकला। उल्टे सरकार ने उनकी और पैरा मेडिकल स्टाफ की सेवाओं को अति आवश्यक घोषित करते हुए प्रदेश में एस्मा लगा दिया। इससे नाराज डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे का ऐलान कर दिया। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जूडा) ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सरकार को उनकी मांग को लेकर चर्चा करनी थी लेकिन सरकार ने एस्मा लगा दिया, जिससे साफ हो गया कि सरकार डॉक्टरों की मांगों को लेकर कोई बात नहीं करना चाहती है। इसके बाद डॉक्टरों के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

उधर राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन का कहना है कि राज्य में एस्मा लागू होने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे दिए हैं, जिस पर सरकार को अभी विचार करना है। उन्होंने कहा कि मरीजों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से वैकल्पिक इंतजाम किए जा रहे हैं। वहीं जूनियर डॉक्टरों के संगठन के अध्यक्ष सचेत सक्सेना का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग और सरकार उनकी जायज मांगों को पूरा नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा, कुछ जूनियर डॉक्टर को निष्कासित किया गया है। उनकी जब तक वापसी नहीं होती है, तब तक काम पर लौटने का सवाल ही नहीं है।

इधर प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। राज्य के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा स्थित मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में इलाज कराने आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रायसेन से भोपाल अपने परिजन का इलाज कराने आए संतोष मालवीय ने बताया, "मरीजों का बुरा हाल है। कोई देखने वाला नहीं है। अस्पताल में मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं और ऑपरेशन की तारीख बढ़ाई जा रही है।" हड़ताल की वजह से अधिकांश मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

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