मध्य प्रदेशः शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष के बीच मतभेदों पर लगी मुहर, नंद कुमार चौहान को देना पड़ा इस्तीफा

पिछले कई दिनों से जारी अटकलों के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद से नंद कुमार सिंह चौहान के इस्तीफे ने प्रदेश बीजेपी के नेताओं के मतभेद को खुलकर उजागर कर दिया है। 

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले कई दिनों से जारी अटकलों और बयानबाजी के बाद आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने इस्तीफा दे दिया और पार्टी की ओर से भी नये प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान कर दिया गया। जबलपुर से सांसद राकेश सिंह को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हालांकि, पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव का फैसला लिया गया है।

हालांकि, निवर्तमान अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कार्यकाल 2019 में खत्म हो रहा था, लेकिन उससे पहले ही उन्हें पद से हटाए जाने को लेकर कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। नंद कुमार सिंह चौहान पहली बार 16 अगस्त 2014 को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। उसके बाद चौहान जनवरी 2016 में दूसरी बार निर्वाचित होकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने। उनका कार्यकाल 2019 में खत्म हो रहा है। लेकिन उससे पहले राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और माना जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान चुनाव के लिहाज से नंद कुमार चौहान को हटाना चाहते थे।

हालांकि, नंदकुमार चौहान ने खुद सार्वजनिक तौर पर अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया था, लेकिन माना जा रहा है कि शिवराज सिंह ने ऐसी स्थितियां पैदा कर दी थीं कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। शिवराज सिंह चौहान पिछले कई दिनों से सार्वजनिक मंच से लगातार इस बात का ऐलान करते आ रहे थे कि नंदकुमार चौहान अपने पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। पिछले दिनों खरगौन जिले के भीकनगांव में श्रमिक सम्मेलन के दौरान भी शिवराज सिंह ने उनकी मौजूदगी में जब यही बात दोहराई तो नंद चौहान काफी असहज नजर आए, लेकिन फिर भी उन्होंने कई प्रतिक्रिया नहीं दी।

भीकनगांव के कार्यक्रम में शिवराज सिंह ने कहा कि नंद चौहान ने पहले भी 4 बार फोन पर यह इच्छा जताई है कि वे पद से हटना चाहते हैं। शिवराज ने कहा कि वे अपने संसदीय क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वे काफी व्यस्त रहते हैं और अपने संसदीय क्षेत्र में ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए वे हटना चाहते हैं। इसके बाद नंद चौहान ने 17 अप्रैल की देर शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

बता दें कि राज्य में पिछले दिनों हुए उपचुनावों में बीजेपी को मिली हार के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की चर्चा चल रही थी। चार विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में मिली करारी हार और पार्टी में उभरी गुटबाजी को नंदकुमार चौहान काबू नहीं कर पा रहे थे। इसके अलावा बीते दो सालों से एक के बाद बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंदसौर आंदोलन, किसानों की कर्ज माफी, फसलों का उचित मूल्य ना मिलना, राज्य में गिरती कानून-व्यवस्था और पार्टी के विधायकों में बढ़ती नाराजगी जैसे मुद्दे पार्टी के सामने आगामी चुनाव के लिए चुनौती बनकर खड़े हैं। यही वे कारण हैं जिनकी वजह से शिवराज सिंह चौहान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश नेतृत्व में बदलाव चाहते थे।

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष को लेकर पिछले काफी समय से पार्टी में खींचतान चल रही थी। नंद चौहान को बदलने की सुगबुगाहट इसलिए भी तेज हुई क्योंकि चौहान आए दिन अपने विवादित बयानों से पार्टी की भारी फजीहत करवाते रहते हैं। हाल ही में जम्मू के कठुवा में हुए रेप को लेकर ङी नंद चौहान ने विवादित बयान दिया था जिससे पार्टी को भी भारी फजीहत का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर का कोई हिंदू किसी अबोध लड़की से रेप के बाद वहां भगवान राम का नाम नहीं लेगा। अगर ऐसा हुआ है, तो ये समाज में भेद पैदा करने के लिए किया गया है। इस घटना के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादियों और घुसपैठियों की साजिश हो सकती है।

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