मध्य प्रदेश में न तो स्वास्थ्य मंत्री है, न गृहमंत्री और ना ही खाद्य मंत्री, फिर कोरोना के कहर से कैसे बचेगा यह राज्य?

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया ने कहा “राज्य में कोरोना महामारी फैली है और कोई स्वास्थ्य मंत्री नहीं है। कानून व्यवस्था बड़ा सवाल है और गृहमंत्री नहीं है। लोगों को खाने की जरुरत है और राज्य में खाद्य और आपूर्ति मंत्री नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि चौहान जल्दी से मंत्री बनाएं।

फोटो: सोशल मीडिया
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आईएएनएस

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। इंदौर का सबसे बुरा हाल है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया का अनुभव है कि स्वास्थ्य विभाग को समझना किसी भी राजनेता के लिए आसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी ऐसा ही है, यही कारण है कि राज्य में कोरोना काबू में आने की बजाय बेकाबू होता जा रहा है।

दिग्विजय सिंह की सरकार में चार साल तक स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी निभाने वाले सोजतिया ने आईएएनएस से कहा, " एक अनुभवी एमबीबीएस चिकित्सक का पुत्र और खुद कैमिस्ट रहा हूं। उसके बावजूद जब मुझे स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई तो मैं भी यह जानकर चकित था कि, इस विभाग में इतने तरह के विशेषज्ञ होते हैं। उनकी कार्यशैली और उपयोग में आने वाले उपकरण और तरह-तरह की जांचें होती है। तब कहीं जाकर इंसान की बीमारी का पहचाना जा पाता है।"


सोजतिया कहते हैं कि चिकित्सा शिक्षा जगत में विभिन्न विभाग होते हैं, जिन्हे समझना हर किसी के लिए आसान नही होता। ऐसा इसलिए क्योंकि कई वर्षो की चिकित्सा शिक्षा की पढाई करने के बाद चिकित्सक उसे जान पाता है। इसलिए मुख्यमंत्री चौहान इन्हें इतनी जल्दी समझ गए होंगे, यह बड़ा सवाल है।

वे आगे कहते हैं, "राज्य में कोरोना महामारी फैली है और कोई स्वास्थ्य मंत्री नहीं है। कानून व्यवस्था बड़ा सवाल है और गृहमंत्री नहीं है। लोगों को खाने की जरुरत है और राज्य में खाद्य और आपूर्ति मंत्री नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि चौहान जल्दी से मंत्री बनाएं। चाहें तो बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप दें ,ताकि वे जनता की सेवा कर सकें।"

अपने अनुभव को साझा करते हुए सोजतिया स्वास्थ्य विभाग का महत्व बताते हुए कहते हैं, "तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद, जब पहली विभागीय समीक्षा ली तो चकित था कि मुझे कितनी बड़ी जिम्मेदारी दी गयी थी। हर रोग के अलग-अलग प्रोग्राम थे जिन्हे भारत सरकार द्वारा या डब्ल्यूएचओ के द्वारा अपनी निगरानी मे चलाया जाता है, उसकी जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य मंत्री की होती है।"

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