मध्य प्रदेशः बुजुर्ग कमलनाथ की ‘युवा पारी’

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने कमलनाथ भले ही 70 पार कर चुके हैं, लेकिन उनके तेवर युवा नेता की तरह हैं। सत्ता संभालते ही उन्होंने संदेश दे दिया है कि वह ठीक उसी तरह धुंआधार ‘बल्लेबाजी’ करने जा रहे हैं, जैसे कोई युवा खिलाड़ी करियर की शुरुआत में करता है।

फोटोः सोशल मीडिया
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संदीप पौराणिक, IANS

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी भले ही उम्र के लिहाज से 70 पार कर चुके बुजुर्ग नेता कमलनाथ ने संभाली है, लेकिन उनके तेवर किसी युवा नेता की तरह हैं। सत्ता की बागडोर संभालते ही उन्होंने संदेश दे दिया है कि वह राज्य में ठीक उसी तरह धुंआधार ‘बल्लेबाजी’ करने जा रहे हैं, जैसे कोई युवा खिलाड़ी अपने करियर की शुरुआत में करता है।

राज्य में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। कांग्रेस ने सत्ता की बागडोर 72 वर्षीय कमलनाथ को सौंपी है। कमलनाथ के कुर्सी संभालने से पहले उनके सामने कई तरह के सवाल थे, जो राजनीति में लाजिमी भी हैं। राज्य लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। ऐसे में उन वादों पर अमल कैसे संभव होगा, जो कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में लोगों से किये हैं।

इसी साल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद से कमलनाथ एक ही बात कहते आए हैं कि कांग्रेस में गुटबाजी नहीं रहेगी और वह उसे खत्म करने में काफी हद तक सफल भी हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने सरकारी मशीनरी पर हमला करते हुए कहा था कि ‘उनकी चक्की देर से जरूर चलती है, मगर पीसती बारीक है।’

कमलनाथ ने सत्ता की कमान संभालते हुए एक तरफ किसानों की कर्जमाफी का फैसला कर डाला तो दूसरी ओर कन्या विवाह की अनुदान राशि बढ़ाकर 51 हजार रुपये कर दी। उन्होंने प्रदेश में सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने का भी फैसला लिया है।

इतना ही नहीं उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भी चेतावनी भरे लहजे में कह दिया है कि गांव, विकासखंड और जिलों की समस्याएं भोपाल स्थित मंत्रालय या बल्लभ भवन तक नहीं आनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। कमलनाथ ने साफ तौर पर कहा है कि बीजेपी यह मानती है कि उसने कांग्रेस को खाली खजाना सौंपा है, मगर कांग्रेस सरकार अपने वचन पर खरा उतरेगी।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है, “कमलनाथ की राजनीति का अंदाज अन्य नेताओं से अलग है। कमलनाथ ने दूसरे प्रदेश से आकर छिंदवाड़ा को अपना गढ़ बना लिया है, अब वह छिंदवाड़ा के परिवारों के नेता बन गए हैं। कमलनाथ की कार्यशैली जल्द फैसले करने की रही है। राज्य की कमान संभालते ही वही संदेश देने की उन्होंने कोशिश की है। उम्र भले ही 70 पार कर गई है, मगर उन्होंने फैसले युवा नेताओं की तर्ज पर लिए हैं।”

लंबे अरसे तक महाकौशल में पत्रकारिता करने वाले थॉमस कहते हैं, “कमलनाथ चुनाव लड़ने का मामला हो या विकास की बात, हर मसले पर अपने ही तरह से सोचते हैं और किसी को भी नाराज करने में भरोसा नहीं करते। यही उनकी सफलता का राज है। कमलनाथ के स्तर की राजनीतिक और प्रशासनिक समझ का नेता फिलहाल राज्य में दूसरा आसानी से खोजा नहीं जा सकता। राज्य में चुनौतियां बहुत हैं, अब कमलनाथ की असली परीक्षा का समय आ गया है।”

वहीं कमलनाथ के पहले दिन के फैसलों पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट कर कहा, “कमलनाथ का पहला दिन, पहला निर्णय ‘किसानों का कर्जा माफ’। राहुल गांधी ने 10 दिन दिए थे, कमलनाथ ने यह निर्णय लेने में 10 घंटे नहीं लगाए। इसे कहते हैं ‘बुलडोजर’, जय-जय कमलनाथ।”

कमलनाथ ने राज्य की सियासत में बदलाव के संकेत दे दिये हैं। उन्होंने किसानों की कर्जमाफी का वह बड़ा फैसला किया है, जिसके जरिये बीजेपी कमलनाथ को घेरने की तैयारी कर रही थी। आने वाले दिनों में देखना होगा कि बीजेपी कमलनाथ को किन मुद्दों को लेकर घेर पाती है।

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