महाराष्ट्र: किसानों की मदद के लिए आवंटित पैसों का इस्तेमाल ही नहीं करती बीजेपी सरकार, सीएजी रिपोर्ट से खुलासा

महाराष्ट्र में सरकार की लापरवाही के चलते किसानों की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है। हद यह है कि राज्य सरकार न सिर्फ किसान संकट का खुद हल निकाल पा रही है, बल्कि केंद्रीय योजनाओं के पैसे को भी इस्तेमाल नहीं कर रही है। यह खुलासा हुआ है सीएजी रिपोर्ट में।

फोटो: सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार भले ही किसानों की हितौषी होने का दावा करे, लेकिन वास्तविकता यह है कि महाराष्ट्र के किसानों के लिए घोषित रकम सबसे कम खर्च होती है। यह खुलासा हुआ है सीएजी की उस रिपोर्ट में जिसमें महाराष्ट्र की आर्थिक क्षेत्र का ब्योरा दिया गया है। पिछले सप्ताह जारी हुई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2013 से 2018 के बीच महाराष्ट्र में किसान पैसे की तंगी, बेहद लचर सिंचाई व्यवस्था और बीज की कमी से दो-चार हैं।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में किसानों को जितने बीजों की जरूरत होती है किसानों को उससे कहीं कम बीज उपलब्ध होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र बीज उपलब्ध कराने की व्यवस्था बेहद खराब है और सोयाबीन के मामले में तो हालात बदतर हैं।

गौरतलब है कि 2014-15, 2015-16 और 2017-18 में कुल आवश्यक बीजों की तुलना में बेहद कम बीजों की आपूर्ति की गई। 2017-18 में राज्य में कुल 24,65,302 कुंतल बीजों की जरूरत थी, लेकिन इसमें 1,04,561 कुंतल कम बीज की आपूर्ति की गई। इसका सीधा अर्थ है कि बीज के लिए किसानों को निजी कंपनियों या फिर खुद के साधनों पर निर्भर होना पड़ा।

इतना ही नहीं, ऐसे बीज भी किसानों को दे दिए गए जो अधिसूचित नहीं थे, नतीजतन किसानों की पैदावार में काफी कमी आई। इससे एक और नुकसान हुआ कि राज्य में बीज आपूर्ति की श्रंखला भी कमजोर हुई।


सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार

सर्वविदित है कि महाराष्ट्र सूखा प्रभावित राज्यों में से एक है। राज्य में सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने की कई कोशिशें भी की जा चुकी हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हुई हैं। सूक्ष्म सिंचाई और एक और तरह की सिंचाई व्यवस्था के जरिए सिंचाई को दुरुस्त करने की कोशिशें की गई, लेकिन वे नाकाफी साबित हुई हैं।

एससी-एसटी किसानों के फंड का इस्तेमाल नहीं

सीएजी रिपोर्ट से साफ हुआ है कि एससी-एसटी किसानों के लिए आवंटित फंड का इस्तेमाल ही नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक एससी-एसटी किसानों के लिए केंद्र की योजनाओं से जो पैसा मिला वह इस्तेमाल न होने के कारण वापस भेज दिया गया। आंकड़ों के मुताबिक 2013-18 के कुल 187.46 करोड़ रुपए मंजूर हुए लेकिन इसमें से सिर्फ 39.78 करोड़ रुपए इस्तेमाल हुए, बाकी पैसा वापस कर दिया गया।


किसानों के मद का करीब 21 फीसदी पैसा का ऐसे समय में इस्तेमाल नहीं हुआ जबकि महाराष्ट्र में किसानों का संकट बेहद बढ़ा हुआ है। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सरकारी योजनाओं के ध्वस्त होने और कमजोर मानसून ने किसानों के हालात बदतर कर दिए हैं।

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