माया कोडनानी का अमित शाह पर दांव

माया कोडनानी खुद को बेकसूर साबित करने के लिए अमित शाह को उनके पक्ष में गवाही के लिए अदालत में पेश करना चाहती हैं। उनका दावा है कि जब नरसंहार हो रहा था, तब वह अमित शाह के साथ ही थीं।

फोटो : Getty Images
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भाषा सिंह

गुजरात दंगों में नरोडा पाटिया के भीषण कत्ल-ए-आम की दोषी गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार की मंत्री माया कोडनानी ने अपने बचाव के लिए एक बार फिर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर दांव खेला है। उन्होंने एक बार फिर अदालत से गुहार लगायी है कि खुद को बेकसूर साबित करने के लिए वे अमित शाह को उनके पक्ष में गवाही देने के लिए अदालत में पेश करना चाहती हैं। उनका दावा है कि जब कत्लेआम हो रहा था, तब वह अमित शाह के साथ ही थीं। अमित शाह के जरिए वह सीधे सवाल उठाना चाहती हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में, जो इस नरसंहार के समय राज्य के मुख्यमंत्री थे।

माया
कोडनानी का अमित शाह पर दांव

माया कोडनानी को 2012 में इस कत्ल-ए-आम के लिए दोषी पाया गया था और 28 साल की सजा सुनायी गयी थी। नरोडा पाटिया नरसंहार में कम से कम 100 मुसलमानों की हत्या हुई थी। 2014 में माया को सुप्रीम कोर्ठ से जमानत मिली थी, और फिलहाल उन्होंने इस सजा को चुनौती दी है।

सवाल यह है कि माया कोडनानी आखिर अमित शाह को अपनी मासूमियत के गवाह के तौर पर क्यों पेश करना चाहती हैं? इससे वह कौन सा तीर छोड़ रही हैं, जिसके सीधे निशाने पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं। गुजरात में यह आम चर्चा है कि अमित शाह और माया कोडनानी के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे। दोनों को अलग-अलग ध्रुवों का माना जाता है। माया कोडनानी के करीबियों का कहना है कि अमित शाह ने ही माया को फंसवा दिया और उनको घेरकर ही वह बाहर निकल सकती हैं।

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कोडनानी का अमित शाह पर दांव
पत्रकार, लेखिका राना अय्यूब और उनकी किताब “गुजरात फाइल्स” के हिंदी संस्करण का मुखपृष्ठ

पत्रकार और “गुजरात फाइल्स” किताब की लेखिका राना अय्यूब ने नवजीवन को बताया कि माया कोडनानी को अब लग रहा है कि वह तो डूब ही रही हैं, तो साथ में गुजरात के तत्कालीन मुखियाओं और उनके विश्वासपात्रों को भी साथ लपेट लें। राना अय्यूब का कहना है कि, “….मैं जब उनसे स्टिंग ऑपरेशन के दौरान मिलने गई थी, तो माया कोडनानी ने खुलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। आज भी वह अमित शाह को गवाह के तौर पर बुलाकर ये दोहरा रही हैं कि उन्हें अकेले ही बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। निश्चित तौर पर उनके (माया कोडनानी) इस कदम के पीछे कई लोगों का दिमाग होगा, या हो सकता है।”

माया कोडनानी का अदालत में यह कहना कि जब उनपर कत्लेआम का आरोप लगा, तब वह अमित शाह के साथ थीं, इसके गंभीर अर्थ हैं। माया जानती हैं कि अमित शाह, नरेंद्र मोदी के खास हैं और वह उन्हें बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ऐसा वह राना अय्यूब के स्टिंग ऑपरेशन में कह चुकी हैं। राना अय्यूब की किताब “गुजरात फाइल्स” के हिंदी संस्करण के कुछ अंश पढ़कर अमित शाह और माया कोडनानी के बीच के इस पेचो-खम को समझा जा सकता है। इस अंश में माया कोडनानी और राना अय्यूब की वह बातचीत है, जिसमें वह बेबाकी से अपनी बात रखती हैं:

सवाल: अमित शाह वाली बात के बाद मोदी के साथ क्या हो रहा है?

जवाब: मेरी गिरफ़्तारी और ज़मानत के बाद उनसे मेरी बात नहीं हुई है। हम दो बार मिले हैं, मेरे ख़्याल से दो मौक़ों पर।

सवाल: आपको देखने पर उनकी कैसी प्रतिक्रिया होती है?

जवाब: वह कोई प्रतिक्रिया नहीं करते। कुछ भी नहीं कहते। और मैं भी कुछ नहीं कहती। खैर यह मेरी दिक्कत है। मैं ही उससे निपटूंगी। भगवान मेरी मदद करेंगे। मुझे किसी से मदद की उम्मीद क्यों करनी चाहिए।

...

सवाल: इस अमित शाह का क्या चक्कर है?

जवाब: वह उनका आदमी है, एकदम क़रीबी।

सवाल: मुझे लगता था कि आनंदीबेन उनकी ख़ास हैं?

जवाब: आनंदीबेन दायां हाथ है, अमित शाह बायां। उन्होंने अमित शाह को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की। आडवाणी उनसे मिलने आए, सुषमा स्वराज उनके घर पर गईं।

सवाल: तो मोदी से पूछताछ में हुआ क्या?

जवाब: एसआईटी की पूछताछ में वह भी गए थे, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया।

सवाल: लेकिन जिस पैमाने पर आपको गिरफ़्तार किया गया, उस तरह से तो उन्हें भी करना चाहिए था?

जवाब: हां हां…(सहमति में सिर हिलाते हुए)

इस बातचीत को अगर अदालत में माया कोडनानी के कदम से जोड़कर देखा जाए, तो यह साफ उभरता है कि वह अपना पुराना हिसाब-किताब चुकता करने के मूड में हैं।

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कोडनानी का अमित शाह पर दांव

हालांकि बीजेपी सूत्रों के अनुसार 12 सितंबर को अमित शाह अदालत में माया कोडनानी के बचाव में गवाह के तौर पर पेश नहीं होने जा रहे हैं। गौरतलब है कि अदालत ने अमित शाह को पेश करने के लिए माया कोडनानी को 12 सितंबर तक का ही समय दिया है।

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Published: 10 Sep 2017, 8:40 PM