MBA पर्चा लीक मामला: कांग्रेस ने महाविद्यालय के संचालक बीजेपी नेता की गिरफ्तारी की मांग की
कांग्रेस की प्रदेश समिति के मुख्य प्रवक्ता मृणाल पंत ने इंदौर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़े एमबीए पर्चा लीक मामले में डीएवीवी प्रशासन की यह कार्रवाई सरासर नाकाफी है।’’
कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) के मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) पाठ्यक्रम का पर्चा लीक होने के मामले में एक स्थानीय महाविद्यालय के संचालक बीजेपी नेता को बचाने की कोशिश की जा रही है।
राज्य के प्रमुख विपक्षी दल ने इस मामले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और महाविद्यालय संचालक अक्षय कांति बम की गिरफ्तारी के साथ ही डीएवीवी के कुलपति और कुलसचिव को उनके पदों से हटाए जाने की मांग भी की।
अधिकारियों ने बताया कि एमबीए के पहले सेमेस्टर के ‘‘परिमाणात्मक तकनीकें’’ विषय का प्रश्नपत्र 25 मई को परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया पर आने के मामले में पुलिस ने ‘आइडिलिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के एक कंप्यूटर ऑपरेटर और इस संस्थान के दो छात्रों को सात जून को गिरफ्तार किया था।
अधिकारियों के मुताबिक इस महाविद्यालय का संचालन एक समिति द्वारा किया जा रहा है और स्थानीय कारोबारी अक्षय कांति बम इस संस्थान के अध्यक्ष हैं।
उन्होंने बताया कि डीएवीवी प्रशासन ने एक जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर 12 जून को इस महाविद्यालय पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने और अगले तीन साल तक इस संस्थान को परीक्षा केंद्र नहीं बनाने का फैसला किया था।
कांग्रेस की प्रदेश समिति के मुख्य प्रवक्ता मृणाल पंत ने इंदौर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़े एमबीए पर्चा लीक मामले में डीएवीवी प्रशासन की यह कार्रवाई सरासर नाकाफी है। इस मामले में बम को कानूनी प्रावधानों के तहत तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।’’
पंत ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हम पूछना चाहते हैं कि महाविद्यालय संचालक बम को एमबीए पर्चा लीक मामले में बचाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है? क्या उन्हें ऐन चुनावों के वक्त कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने का पुरस्कार दिया जा रहा है?’’
उन्होंने मांग की कि डीएवीवी की कुलपति रेणु जैन और कुलसचिव अजय वर्मा को उनके पदों से हटाकर एमबीए पर्चा लीक मामले में दोनों की भूमिका की जांच भी की जानी चाहिए क्योंकि पारदर्शी तरीके से परीक्षा आयोजित करना उन्हीं की जिम्मेदारी है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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