क्या फर्जी है मोदी सरकार के नए एचआरडी मिनिस्टर निशंक की डॉक्ट्रेट की डिग्री? आरोप तो कई घोटाले के भी हैं

निशंक पर भ्रष्टाचार के भी कई गंभीर आरोप हैं। उनके नाम कई घोटालों में आए। चर्चित उत्तराखंड बिजली परियोजना आवंटन घोटाले में भी इनका नाम आया। निशंक पर कुंभ के आयोजन में ठेकेदारों और प्रभावशाली लोगों और कंपनियों को फायदा पंहुचाने के आरोप भी लगे।

फोटो: सोशल मीडिया
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आसिम खान

मोदी सरकार में जो भी मानव संसाधन मंत्री बनता है उसके साथ कोई न कोई विवाद जरूर जुड़ा होता है। नए बने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी कथित फेक डिग्री विवाद में घिर गए हैं। नाम के आगे डॉक्टर लगाने के उनके शौक ने उन्हें श्रीलंका स्थित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से दो-दो मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। जबकि यह विश्वविद्यालय श्रीलंका में पंजीकृत ही नहीं है।

निशंक के मुताबिक 90 के दशक में कोलंबो की ओपेन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने उन्हें शिक्षा में योगदान के लिए एक डी लिट की डिग्री दी। इसके कुछ वर्षों बाद उन्हें एक और डी लिट डिग्री उसी विश्वविद्यालय से मिली। इस बार विज्ञान में योगदान के लिए उन्हें दूसरी डिग्री दी गई।

हैरानी की बात यह है कि यह विश्वविद्यालय न तो श्रीलंका में और न ही विदेशी विश्वविद्यालय के तौर पर रजिस्टर्ड है। इस बात की पुष्टि श्रीलंका के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी की है। इतना ही नहीं उनकी सीवी और पासपोर्ट में अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज है। सीवी के अनुसार पोखरियाल का जन्म 15 अगस्त 1959 को हुआ, जबकि उनके पासपोर्ट में 15 जुलाई 1959 है।

5 जुलाई 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पिनानी गांव में जन्मे निशंक ने हेमवती बहुगुना गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। उनके पास पीएचडी (ऑनर्स) और डी. लिट (ऑनर्स) की भी डिग्री है। वह जोशीमठ स्थ‍ित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संचालित सरस्वती श‍िशु विद्या मंदिर में श‍िक्षक के रूप में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।

निशंक पर भ्रष्टाचार के भी कई गंभीर आरोप हैं। उनके नाम कई घोटालों में आए। चर्चित उत्तराखंड बिजली परियोजना आवंटन घोटाले में भी इनका नाम आया। निशंक पर कुंभ के आयोजन में ठेकेदारों और प्रभावशाली लोगों और कंपनियों को फ़ायदा पंहुचाने के आरोप भी लगे। इनके इन कारनामों की वजह से ऐसे तमाम मौके आए हैं जब न सिर्फ पार्टी बल्कि खुद प्रधानमंत्री मोदी तक शर्मिंदा हुए हैं।

भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से निशंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। तब केंद्र सरकार ने उन्हें हटाकर खंडूरी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था।

निशंक अपने बयानों की वजह से भी चर्चा में रहे हैं। निशंक ने ज्योतिष को विज्ञान से भी बड़ा बताया था। उन्होंने कहा था कि, 'विज्ञान ज्योतिष के सामने बौना है। ज्योतिष ही सबसे बड़ी साइंस है। असल में तो ज्योतिष, साइंस से बहुत ऊपर है। हमें इसे प्रमोट करना चाहिए। हम आज न्यूक्लियर साइंस की बात करते हैं लेकिन कश्यप ऋषि ने एक लाख साल पहले ही न्यूक्लियर टेस्ट कर लिया था। हमें ट्रांसप्लांट की भी जानकारी थी।' इसके बाद उनपर अंधविश्वास को बढ़ावा देने के भी आरोप लगे।

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