मोदी सरकार का लेखा-जोखा पेश, चार साल में भारत को किया विखंडित

हर्ष मंदर ने दंगों और लिचिंग में अंतर रेखांकित करते हुए कहा कि लिचिंग कहीं भी किसी के भी साथ हो सकती है, इस समय जबर्दस्त भय का माहौल है, लेकिन बहुसंख्यक समाज इससे परेशान नहीं है।

फोटोः सोशल मीडिया
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भाषा सिंह

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल के कामकाज पर 14 जुलाई को दिल्ली में एक अहम रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें समाज के तमाम हिस्सों, जिसमें अर्थव्यवस्था से लेकर न्याय, शिक्षा, कानून-व्यवस्था, दिलत-आदिवासी-मुसलमानों की स्थिति पर पड़े नकारात्मक असर की आकंड़ों और तथ्यों की रौशनी में गंभीर चर्चा की गई है। ‘डिसमैंटलिंग इंडिया’ (विखिंडित भारत) के नाम से जारी इस रिपोर्ट में विश्लेषणात्मक लेखों के अलावा तारीखवार घटनाओं के ब्यौरे हैं। मोदी शासनकाल में किस तरह से देश नफरत के गणतंत्र में तब्दील हो गया है और लोग बड़े पैमाने पर बेरोजगारी-गरीबी और अधिकारों से महरूम हो रहे हैं, इसका ब्यौरा यह रिपोर्ट देती है।

इस रिपोर्ट को तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाली शबनम हाशमी ने नवजीवन को बताया कि ये रिपोर्ट मोदी सरकार के तमाम दावों का पर्दाफाश करती है। इसमें बड़े पैमाने पर आंकड़े, टेबल और डाटा हैं, जो बताते है कि पिछले चार सालों में देश को बुरी तरह से नफरत और बर्बादी में झोंका दिया गया है।

दिल्ली के कॉन्सटीट्यूशन क्लब में दिन भर विखंडित भारत पर अलग-अलग सत्रों में चली चर्चा के बाद इस रिपोर्ट को जारी किया गया। अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने इस मौके पर कहा कि मोदी सरकार में सबसे ज्यादा मार असंगिठत क्षेत्र पर पड़ी है, किसान बुरी तरह से परेशान हैं और नौकरियों का पूरा ढांचा बैठ गया है। नोटबंदी के बाद जीएसटी ने पूरी तरह से तबाह कर दिया है। हाल यह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में नोटबंदी पर एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। रिजर्व बैंक से लेकर संसद तक सारे संस्थानों को नष्ट किया जा रहा है।

फोटोः भाषा सिंह
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सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने देश के लिंचिस्थान, नफरत के गणतंत्र में तब्दील होने की बात कही। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि बच्चों तक में नफरत फैल रही है और वे हिंसा में भाग ले रहे हैं। दंगे और लिचिंग में अंतर रेखांकित करते हुए हर्ष मंदर ने कहा कि लिचिंग कहीं भी किसी के भी साथ हो सकती है, इस समय जबर्दस्त भय का माहौल है, लेकिन बहुसंख्यक समाज इससे परेशान नहीं है।

मोदी सरकार का लेखा-जोखा पेश, चार साल में भारत को किया विखंडित

योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद ने बेहद दुख के साथ कहा कि आज उनकी पहचान सिर्फ मुस्लिम औरत में तब्दील हो गई है, जबकि उन्होंने पूरी जिंदगी खुद को एक हिंदुस्तानी के तौर पर देखा। उन्होंने कहा, बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात और मुजफ्फरनगर से लेकर अब तक जो नफरत फैलाई जा रही है, उसने उन्हें हिला दिया है। पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर ने विस्तार से बताया कि मोदी सरकार ने अपने पड़ोसियों का एतबार खो दिया है। उन्होंने मालदीव से शुरू करते हुए अफगानिस्तान और पाकिस्तान का हवाला दिया कि तमाम पड़ोसी देशों में भारत ने इन चार सालों में अपने हितों का जबर्दस्त नुकसान किया है। नेपाल, भूटान, मालदीव, श्रीलंका सीधे-सीधे चीन के करीब हो गए हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री की विध्वंसक विदेश नीति जिम्मेदार है।

मोदी सरकार का लेखा-जोखा पेश, चार साल में भारत को किया विखंडित

इससे पहले न्यायविद उषा रमानाथन ने आधार में हुई बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह से केंद्र सरकार बिजनेस हितों की रक्षा करने पर उतारू है। आम नागरिकों के अधिकारों-सुरक्षा और सुविधाओं को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। सीपीआई (एमएल) की नेता कविता कृष्णन ने मोदी सरकार के महिला विरोधी और लोकतंत्र विरोधी चरित्र को उजागर किया। उन्होंने कहा कि कठुआ कांड में किस तरह से बीजेपी के लोग बलात्कारियों के पक्ष में उतरे थे, उससे साफ है कि सरकार कहां खड़ी है। बीजेपी सरकार लोगों को बांटने-तोड़ने और नफरत फैलाने में लगी है।

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Published: 14 Jul 2018, 9:36 PM