मोदी सरकार का ढकोसला है ‘नमामि गंगे’ परियोजना, कैग रिपोर्ट का खुलासा- नहीं इस्तेमाल किए 2600 करोड़ रुपये 

चुनाव प्रचार के दौरान “न मैं आया, न मुझे भेजा गया, मुझे मां गंगा ने बुलाया है” कहने वाले पीएम मोदी की सरकार गंगा सफाई के लिए आवंटित 2600 करोड़ का उपयोग करने में नाकाम रही है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार जो अनगिनत वादे कर सत्ता में आई थी, उनमें से एक अहम वादा गंगा की सफाई का भी था। लेकिन इन तीन वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार गंगा की सफाई का लोगों से किया अपना वादा पूरा नहीं कर पाई है। मोदी सरकार गंगा सफाई को लेकर कितनी गंभीर है, इस का पता नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से चलता है। गंगा नदी की सूरत बदलने को लेकर शुरू की गई नमामि गंगे परियोजना पर आए कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ गंगा मिशन के लिए आवंटित 2600 करोड़ रुपये का ये सरकार इस्तेमाल ही नहीं कर पाई है।

कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा नदी की सफाई के राष्ट्रीय मिशन के लिए जारी 2133.76 करोड़ 422.13 करोड़ और 59.28 करोड़ रुपये सरकार खर्च ही नहीं कर पाई है। गंगा की सफाई के लिए आवंटित की गई यह रकम 31 मार्च 2017 तक खर्च की जानी थी। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 46 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन प्रोजेक्ट्स और नहर परियोजनाओं की लागत 5,111.36 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2,710 करोड़ रुपये की लागत वाली 26 परियोजनाओं में देरी की गई है। इसकी वजह जमीन नहीं होना और ठेकेदारों का धीमी गति से काम करना बताया गया है।

मोदी सरकार का तीन साल का कार्यकाल निकल चुका है। लेकिन गंगा सफाई को लेकर नतीजा सिफर रहा है। साल 2014 में सरकार बनने के बाद पीएम मोदी ने उमा भारती को नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय का जिम्मा सौंपा था। जिस वक्त केंद्र सरकार ने गंगा सफाई मंत्रालय का सृजन कर उमा भारती को इसका प्रभार दिया था, उस वक्त लोगों को लगा था कि सरकार गंगा की सफाई को लेकर गंभीर है। लेकिन सरकार कितनी गंभीर है, ये बात कैग कि रिपोर्ट से सामने आ गई है। इससे पहले आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में से यह खुलासा हुआ था कि सरकार ने गंगा सफाई के लिए बीते तीन सालों में 12 हजार करोड़ रुपये का बजट देने की बात कही थी। लेकिन सरकार ने बजट में इसके लिए सिर्फ 5378 करोड़ रुपये ही आवंटित किए और आवंटित 5378 रुपये में से सिर्फ 3633 करोड़ रुपये खर्च के लिए निकाले गए और इसमें से भी मात्र 1836 करोड़ 40 लाख रुपये ही खर्च किए गए।

मोदी सरकार की गंगा सफाई को लेकर नाकामी और लापरवाही पर कई बार अदालतें फटकार लगा चुकी हैं। गंगा नदी में फैल रही गंदगी पर इसी साल राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने नाराजगी जाहिर की थी। एनजीटी ने तल्ख टिप्पणी करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से कहा था, “आप कोई भी ऐसी जगह बता दें जहां गंगा की दशा में कोई सुधार आया हो, ये शर्मनाक है।”

हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी में भी गंगा नदी की सूरत नहीं बदली है। जबकि मोदी सरकार ने यहां सफाई को लेकर तमाम दावे और वादे किए थे। लेकिन अब आलम यह है कि सरकार के सारे वादों और दावों की हवा निकल गई है। खुद को 'गंगा पुत्र' कहकर साल 2014 में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी। उस समय जब वे वाराणसी पहुंचे थे तो उन्होंने कहा था, “न मैं आया, न मुझे भेजा गया, मुझे मां गंगा ने बुलाया है” बनारस में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने गांगा नदी की सफाई का मुद्दा उठाया था। और गंगा नदी को साफ करने के लिए लोगों से वादे भी किए थे। लेकिन तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद भी मोदी सरकार यह बताने में नाकाम है कि आखिर कब तक गंगा नदी की सफाई पूरी हो पाएगी।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 20 Dec 2017, 6:30 PM