क्या मोदी सरकार में काम नहीं करना चाहते अधिकारी? कार्मिक मंत्रालय ने राज्यों से नौकरशाहों के लिए लगाई गुहार

कार्मिक मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि खासकर उप सचिव या निदेशक स्तर में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की उपलब्धता बेहद कम है। इससे पहले भी कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में प्रतिनियुक्ति के लिए सभी राज्यों से अधिकारियों को भेजने को कहा था।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र में काम करने के इच्छुक अधिकारियों की संख्या नगण्य बताते हुए सभी राज्यों से और नौकरशाहों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए नामित करने के लिए कहा है। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि करियर में आगे बढ़ने और प्रासंगिक अनुभव का आदान-प्रदान सुनिश्चित करने के लिए जरूरी संख्या में नौकरशाहों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए नामित किया जाए।

मिली जानकारी के अनुसार कार्मिक मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि खासकर उप सचिव या निदेशक स्तर में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की उपलब्धता बेहद कम है। इससे पहले कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय कर्मचारी योजना के तहत पदों और मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के पदों पर प्रतिनियुक्ति के लिए सभी राज्यों को अधिकारियों को भेजने को कहा था।


लेकिन इसके बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकारियों के बहुत कम आवेदन आए। जिसके बाद एक बार फिर ने मंत्रालय ने राज्यों को भेजे एक पत्र में कहा है कि 2019 के लिए आवेदन आमंत्रित करने के छह महीने बीतने के बावजूद अब तक मिले आवेदनों की संख्या ‘शून्य’ से नगण्य तक है। खास तौर से उपसचिव और निदेशक स्तर पर केंद्र में विभिन्न कैडरों और सेवाओं से अधिकारियों का प्रतिनिधित्व बहुत कम होने के संबंध में ध्यान भी दिलाया गया है।

पत्र में कहा गया है कि इसीलिए, केंद्रीय कर्मचारी योजना के तहत उपसचिव/निदेशक/संयुक्त सचिव स्तर पर नियुक्ति के लिए बड़ी संख्या में अधिकारियों की सिफारिश का अनुरोध किया जाता है ताकि इसके लिए रिजर्व केंद्रीय प्रतिनियुक्ति/रिजर्व प्रतिनियुक्ति का इस्तेमाल किया जा सके।

अगर आंकड़ों की बात करें तो इस समय पश्चिम बंगाल कैडर के आठ अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं जबकि राज्य से अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की संख्या 78 निर्धारित है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश कैडर के लिए निर्धारित 134 अधिकारियों की तुलना में केवल 44 अधिकारी केंद्र में काम कर रहे हैं। वहीं केंद्र में इस समय कर्नाटक के केवल 20 अधिकारी हैं, जबकि यहां की निर्धारित संख्या 68 है। इसी तरह के हालात कई अन्य राज्यों के भी हैं, जहां से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों की संख्या बहुत कम है।

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