स्वच्छ भारत पर मोदी सरकार के दावों की खुली पोल, देश के 38% सरकारी अस्पतालों में स्टाफ के लिए भी शौचालय नहीं

ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में स्वास्थ्य सेवा की आधारभूत संरचना का आलम ये है कि देश के 38 प्रतिशत सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों के लिए शौचालय ही नहीं है। ये भी सामने आया है कि देश के लगभग 38% सरकारी अस्पतालों में एक भी सफाई कर्मचारी नहीं है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन को लागू हुए करीब 4 साल पूरे हो चुके हैं और मोदी सरकार लगातार इस योजना के सफल होने के दावे कर रही है। लेकिन हकीकत मोदी सरकार के इन दावों की पोल खोलती है। दरअसल ‘ग्रामीण स्वास्थ्य आधारभूत संरचना’ के आंकड़ों के अनुसार देश में स्वास्थ्य सेवा की आधारभूत संरचना का आलम ये है कि देश के 38 प्रतिशत सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों के लिए शौचालय ही नहीं है। ये भी सामने आया है कि देश के लगभग 38% सरकारी अस्पतालों में एक भी सफाई कर्मचारी नहीं है।

गौरतलब है कि स्वच्छ भारत के प्रचार-प्रसार में पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा खुले में शौच की निंदा करते हुए शौचालय बनाने पर जोर दिया था। मोदी सरकार का दावा रहा है कि साल 2014 के बाद उसने देश भर में लगभग 9.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया है। लेकिन आंकड़े साफ बता रहे हैं कि ग्रामीण भारत के 38 प्रतिशत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों के लिए शौचालय ही नहीं हैं।

खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने 2018 के ‘रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा में लिखित में बताया है कि देश के 10 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित 50 फीसदी से ज्यादा सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों के लिए शौचालय नहीं हैं। खास बात ये है कि ऐसे राज्यों में गुजरात का भी नाम शामिल है, जहां लंबे समय तक पीएम मोदी मुख्यमंत्री रहे हैं और वह हमेशा गुजरात मॉडल की बात करते रहे हैं।

अगर इन आंकड़ों पर भरोसा करें तो देश के सरकारी अस्पतालों की हालत चिंता पैदा करने वाली है। देश की सरकारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ माने जाने वाले स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से जुटाए गए आंकड़े हकीकत से पर्दा हटाने वाले और मोदी सरकार के दावों को झुठलाने वाले हैं। आंकड़े साफ बताते हैं कि ऐसे कम से कम 60 फीसदी स्वास्थ्य उपकेंद्र, 18 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 12% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीज तो छोड़िये स्टाफ तक के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन स्वास्थ्य केंद्र पर काम करने वाली महिला कर्मचारियों की क्या हालत होगी।

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