पुलवामा शहीदों के परिवारों से किया वादा नहीं निभा पाई मोदी सरकार, 40 में से सिर्फ 12 परिवारों को नौकरी की पेशकश

गृह मंत्रालय से मिले आरटीआई के एक जवाब से सामने आया है कि शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों में से सिर्फ 12 के परिवारों को ही नौकरी की पेशकश की गई है, वह भी सिर्फ राज्य सरकारों द्वारा। केंद्र सरकार की तरफ से इस बारे में कोई पेशकश नहीं की गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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विश्वदीपक

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की हर संभव मदद करने का वादा किया था, लेकिन आरटीआई से साफ हुआ है कि सरकार इस मोर्चे पर एक बार फिर नाकाम साबित हुई है।

ध्यान रहे कि पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह और तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण तक सभी ने इस हमले का बदला पाकिस्तान से लेने का ऐलान किया था। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि हमले के बाद अगले दो दिनों तक किसी ने भी इस आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों का कोई जिक्र नहीं किया था।

ऐसे में चौंकने वाली बात नहीं है कि पुलवामा हमले को चुनावी फायदे के लिए राष्ट्रवाद का मुलम्मा पहनाने में जुटी मोदी सरकार ने शहीदों और उनके परिवारों को न तो कोई माकूल मुआवजा दिया, और न ही किसी को नौकरी मिली।

गृह मंत्रालय से मिले आरटीआई के एक जवाब से सामने आया है कि शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों में से सिर्फ 12 के परिवारों को ही नौकरी की पेशकश की गई है, वह भी सिर्फ राज्य सरकारों द्वारा। केंद्र सरकार की तरफ से इस बारे में कोई पेशकश नहीं की गई है।


गौरतलब है कि देश में हुए आत्मघाती आतंकी हमलों में से एक पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे, जब एक आतंकी ने विस्फोटक से भरी गाड़ी उनके काफिले से टकरा दी थी।

जिन 12 परिवारों को नौकरी की पेशकश हुई है, उनमें से 9 उत्तर प्रदेश की हैं, जबकि एक जवान का परिवार केरल में और एक का असम में रहता है। याद दिला दें कि इस हमले में सबसे ज्यादा जवान उत्तर प्रदेश से ही शहीद हुए थे। आरटीआई एक्टिविस्ट ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उसने मंत्रालय से ऐसे परिवारों के पते और कांटेक्ट नंबर मांगे थे, ताकि सरकार के दावे की पुष्टि की जा सके। लेकिन सरकार ने सुरक्षा कारणों से यह पते और नंबर देने से इनकार कर दिया।

इसके अलावा पुलवामा हमले के 36 घंटे के भीतर ही ‘वीर भारत कोर’ फंड में करीब 7 करोड़ रुपए जमा हो गए थे। वैसे इस फंड में अगस्त 2019 तक 258 करोड़ रुपए जमा थे। इस फंड का मकसद शहीद सैनिकों के परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाना है। लेकिन, आरटीआई जवाब के मुताबिक, इसमें से सिर्फ 5 करोड़ 68 लाख रुपए ही शहीदों को परिवारों में बांटे गए हैं। यानी एक परिवार औसतन करीब 15 लाख रुपए की मदद दी गई है।

ध्यान रहे कि इस फंड में दान के लिए बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार तक ने लोगों से दान देने की अपील की थी। वहीं तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि इस फंड का मकसद हर परिवार को कम से कम एक करोड़ रुपए की मदद करना है। लेकिन आरटीआई जवाब से साफ होता है कि सरकार ने मुट्ठी भर पैसा ही शहीदों के परिवारों को दिया है।

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Published: 04 Oct 2019, 7:29 PM