भीमा कोरेगांव मामला: प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े को पुणे सत्र न्यायालय से रिहा करने का आदेश, मुंबई से हुए थे गिरफ्तार

बीते साल 28 अगस्त, 2018 को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस ने 7 लोगों के घरों पर छापेमारी की थी। इसमें आनंद तेलतुंबड़े भी शामिल थे। तेलतुंबड़े गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में पढ़ाते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार दलित प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े को पुणे सत्र न्यायालय ने रिहा करने का आदेश दिया। पुलिस ने मुंबई से तेलतुंबड़े को आज ही गिरफ्तार किया था। तेलतुंबड़े पर नक्सलियों के संपर्क में रहने का आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, आनंद तेलतुंबड़े को 11 फरवरी तक अंतरिम संरक्षण प्राप्त है। बावजूद इसके पुणे पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार कर लिया था। उनकी गिरफ्तरी के बाद लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

गुजरात के निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने तेलतुंबड़े की गिरफ्तारी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “तेलतुंबड़े को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस को उन्हें 11 फरवरी से पहले गिरफ्तार नहीं करना था, यह न्याय पर बहुत बड़ा आघात है। हमें एक होकर मजबूती से खड़ा होना चाहिए और इसके खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए। मैं अपने सभी बड़े बहुजन नेताओं से अपील करता हूं कि वे इसके खिलाफ बोलें।”

बीते साल 28 अगस्त, 2018 को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस ने 7 लोगों के घरों पर छापेमारी की थी। इसमें आनंद तेलतुंबड़े भी शामिल थे। जिन लोगों के घरों पर छापेमारी की गई थी, उनमें सुधा भारद्वाज, पी वरवारा राव, वर्नन गोंजाल्विस और अरुण परेरा अभी भी पुलिस हिरासत में हैं। पुणे पुलिस ने पिछले साल सभी लोगों को गिरफ्तार किया था। सभी पर नक्सलियों से संपर्क में रहने का आरोप है।

1 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा फैली थी। इस मामले की जांच पुणे पुलिस कर रही है। इसी सिलसिले में 28 अगस्त, 2018 को इन सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। फिलहाल पूरे मामले की जांच जारी है।

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Published: 02 Feb 2019, 11:23 AM