राजस्थानः गांवों के बदले जा रहे हैं मुस्लिम नाम, क्या चुनाव से पहले हो रही है ध्रुवीकरण की कोशिश ?

राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने प्रदेश के हिन्दू बहुल गांवों के मुस्लिम नाम बदलने का फैसला किया है। फैसले के बाद कई गांवों के नाम बदल दिए गए हैं और कई अन्य के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

राजस्थान में फिर से सत्ता में वापसी की कोशिशें कर रही बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे उसका मुस्लिम विरोध पर आधारित वोट बैंक और मजबूत हो और चुनाव में उसका सीधा लाभ मिले। दरअसल, प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार ने प्रदेश के मुस्लिम नाम वाले गांवों को बदलने का आदेश दिया है। इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि ऐसे बहुत से मुस्लिम नाम वाले गांव हैं, जहां हिन्दुओं की बहुलता है और मुसलमानों की आबादी ना के बराबर है। बीजेपी सरकार का कहना है कि गांवों वालों की मांग पर पंचायतों की सिफारिश के आधार पर यह कदम उठाया जा रहा है।

सरकार के इस फैसले के बाद राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव 'मियां का बाड़ा' का नाम बदलकर अब महेश नगर कर दिया गया है। नाम बदलने के बाद जिलाधिकारी 'मियां का बाड़ा' नाम का साइन बोर्ड हटाकर नये नाम महेश नगर का बोर्ड लगा रहे हैं। गांव के स्कूल से लेकर पंचायत भवन तक सभी के नये नाम लिखवाए जा रहे हैं। गांव के पूर्व सरपंच हनुवंत सिंह का कहना है कि आजादी के समय इस गांव का नाम महेश बाड़ा था, जिसे बाद में बदलकर 'मियां का बाड़ा' कर दिया गया। गांव का नाम बदलने के बारे में कहा जा रहा है कि मियां शब्द मुसलमानों लोगों के लिए प्रयोग होता है और बाड़ा का मतलब रहने की जगह होती है। ऐसे में इस नाम से ऐसा लगता था कि ये मुस्लिम बहुल गांव है, जबकि गांव में सिर्फ तीन घर मुस्लिमों के हैं। इस बारे में राजस्थान के राजस्व राज्यमंत्री अमराराम का कहना है कि पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद नाम बदल है।

मियां का बाड़ा अकेला गांव नहीं है, जिसका नाम बदला गया है। अजमेर के किसनगढ़ के सलेमाबाद का नाम बदलकर श्री निंबार्क तीर्थ कर दिया गया है। सलेमाबाद का नाम यहां के जागीरदार सलीम खान के नाम पर पड़ा था, लेकिन यहां सिर्फ एक मुस्लिम परिवार के रहने और हिंदूओं के निंबार्क तीर्थ के होने से लंबे समय से इसका नाम बदलने की मांग हो रही थी। प्रदेश के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने पहले ही यहां के स्कूलों के नाम में निंबाकाचार्य जुड़वा दिया था।

वहीं झुंझुनू जिले के इस्माईलपुर नाम के दो गांवों का नाम भी बदल दिया गया है। एक ईस्माईलपुर का नाम पिचनवा खुर्द कर दिया गया है, जबकि दूसरे इस्माईलपुर का नाम कौशल नगर या ईश्वर नगर करने का प्रस्ताव है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इन दोनों जगहों पर केवल हिंदुओं की आबादी है, ऐसे में मुस्लिम नाम रखने का कोई औचित्य नहीं है। गौरतलब है कि राजस्थान में कई गांवों के नाम ईस्माईलपुर हैं, क्योंकि जयपुर के नगर नियोजक का नाम मिर्जा ईस्माईल था और उन्हीं के नाम पर प्रदेश के कई गांवों का नाम ईस्माईलपुर रखा गया था।

इसके अलावा चित्तौड़ जिले के मोहम्मदपुरा का नाम बदलकर मेडी का खेड़ा, नवाबपुरा का नाम नईसरथल और रामपुर-आजमपुर का नाम सीताराम जी का खेड़ा करने का प्रस्ताव है। आने वाले दिनों में और भी कई गांवों के नाम बदले जाने की मांग उठ सकती है। राज्य सरकार के इस कदम से आने वाले दिनों में एक नया विवाद खड़ा हो सकता है।

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