हज सब्सिडी खत्म होने से मुसलमान खुश, लेकिन तरीके पर उठाए सवाल

केंद्र सरकार ने एक अहम फैसले में हज यात्रा पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर दी है। इस फैसले का देश के मुसलमानो ने स्वागत किया है, लेकिन इसके तरीके पर सवाल उठाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर दी है। 16 जनवरी को सरकार ने कहा कि उसने वार्षिक हज यात्रा में हजारों मुसलमानों को दी जाने वाली हज सब्सिडी को वापस लेने का फैसला किया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार का यह फैसला बिना तुष्टिकरण किए अल्पसंख्यकों को सशक्त बनाने के उसके एजेंडे के तहत है।

मुख्तार अब्बास नकवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह हमारी नीति का हिस्सा है कि अल्पसंख्यकों का गरिमा के साथ और बिना तुष्टिकरण के सशक्तिकरण हो।” उन्होंने कहा कि सरकार वापस ली गई सब्सिडी राशि का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों, खास तौर से लड़कियों की शिक्षा के लिए इस्तेमाल करेगी।

वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय से 4 साल पहले ही सरकार ने हज सब्सिडी वापस ले ली है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सरकार ने अभी पहला भाग ही लागू किया है। आजाद ने कहा कि मुझे उम्मीद है सरकार कोर्ट के आदेश का दूसरा भाग भी जल्द लागू करेगी। उन्होंने कहा कि मैं यहा साफ करना चाहता हूं कि सब्सिडी से हाजियों को कोई फायदा नहीं पहुंचा, बल्कि इससे विमान कंपनियों को लाभ हुआ है।

केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सलामतुल्लाह ने कहा, “ हज सब्सिडी खत्म होनी चाहिए, हम इसका समर्थन करते हैं। लेकिन साथ ही हाजियों से आईएटीए किराया लिया जाना चाहिए। इससे हाजियों को यह फायदा होगा कि सऊदी एयरलाइन्स और इंडियन एयरलाइन्स मिलकर जो यात्रा किराया लेते हैं वह 1 लाख से डेढ़ लाख के करीब होता है। जबकि 10 महीने तक इसी यात्रा का महज 28,000 रुपये होता है। इसलिए, जब 10 महीने तक जो किराया लिया जाता है हज के मौके पर भी उसी रेट पर किराया क्यों नहीं लिया जाता।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एम) का हमेशा से यह मानना रहा है कि मुसलमानों को हज में किसी तरह की सब्सिडी की जरूरत नहीं है। उनको सिर्फ और सिर्फ हज के दौरान अच्छी व्यवस्था चाहिए होती है, जो उनको मिलनी चाहिए।

मुफ्ती मुकर्रम साहब का कहना है कि असल में बीजेपी का तो शुरू से यही कहना रहा है कि वह मुसलमानों या किसी धर्म के नाम पर कोई काम नहीं करती है। लेकिन इसी सरकार में मौलाना आजाद फाउंडेशन और अन्य सरकारी संस्थाएं भी चल रही हैं। जो सिर्फ कागजों पर हैं और जिनका कहीं कोई फायदा नहीं पहुंच रहा है। मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, “असल में मुसलमानों ने तो कभी सब्सिडी की मांग की ही नहीं थी। सरकार सब्सिडी वापस ले रही है, ये उनका अधिकार है। लेकिन हज कमेटी की तरफ से जो इंतजाम किए जाते हैं, वह बहुत ही खराब होते हैं, इसमें सुधार होना चाहिए। हिंदुस्तानी मुसलमान सब्सिडी नहीं चाहता, लेकिन हज के दौरान अच्छी व्यवस्था चाहता है।”

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2012 में धीरे-धीरे 2022 तक सब्सिडी वापस लेने की बात कहने के बाद सरकार ने इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की नीति बनाई है। सऊदी अरब द्वारा भारत का कोटा पांच हजार बढ़ाए जाने के बाद इस साल सबसे बड़ी संख्या में भारतीयों के हज यात्रा पर जाने की उम्मीद है।

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