शरद पवार के कारण नरेंद्र मोदी की आत्मा बेचैन, पीएम को महाराष्ट्र के हाथ से फिसलने का होने लगा है आभास

पवार की बातों में लोग इसलिए वजन मान रहे हैं क्योंकि मोदी अपनी रैलियों में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार जिस किस्म के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, उससे लगता है कि शायद बीजेपी, और खुद मोदी को भी, महाराष्ट्र के हाथ से फिसलने का आभास होने लगा है।

चुनाव सभा को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो : पीटीआई)
चुनाव सभा को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो : पीटीआई)
user

नवीन कुमार

इसे ही कहते हैं दांव उलटा पड़ना।

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 अप्रैल को पुणे की जनसभा में शरद पवार को 'भटकती आत्मा' कहा था। इसे लेकर पवार ने कहा कि 'मेरी उंगली पकड़कर राजनीति में आए प्रधानमंत्री' सही ही कह रहे होंगे क्योंकि 'मैं किसानों का दर्द, महंगाई से परेशान आम आदमी का दर्द बताने के लिए भटकता हूं।' लेकिन पवार मौके पर सही चोट करने वाले माने जाते हैं और उन्होंने अब जो कहा है, उससे मोदी-अमित शाह समेत पूरी बीजेपी हड़बड़ा गई है। पवार भले ही एनडीए में नहीं हैं, पर वह देश के उन राजनीतिज्ञों में हैं जिन्हें सबसे अधिक अनुभव है। ऐसे में, पवार के 9 मई के दावे ने एनडीए नेताओं की नींद उड़ा दी है। पवार ने कहा कि इस बार महा विकास आघाड़ी के हिस्से में महाराष्ट्र में 30 से 35 सीटें आ रही हैं। ध्यान रहे कि बीजेपी ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ अपनी महायुति गठबंधन में 45 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया हुआ है।

 महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। पवार की बातों में लोग इसलिए वजन मान रहे हैं क्योंकि मोदी अपनी रैलियों में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार जिस किस्म के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, उससे लगता है कि शायद बीजेपी, और खुद मोदी को भी, महाराष्ट्र के हाथ से फिसलने का आभास होने लगा है। दरअसल, बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी में विभाजन कराने के बाद अब उद्धव ठाकरे की शिव सेना को नकली, यहां तक कि उद्धव को बाला साहेब ठाकरे का नकली पुत्र और पवार की एनसीपी को नकली कह रहे हैं, उसे लोग बाल ठाकरे और शरद पवार को अपमानित करना मान रहे हैं। इससे खुद बीजेपी को ही नुकसान होता दिख रहा है। राज्य में चार चरणों में वोटिंग हो चुकी है जबकि अंतिम चरण में मुंबई की 6 सीटें समेत 13 सीटों पर वोटिंग 20 मई को है। अब तक वोटिंग के दौरान मतदाताओं का उत्साह और रुझान पार्टियों को परेशान करने वाला है।

 सब मानते हैं कि शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के नब्ज को अच्छी तरह समझते-जानते हैं। लोकमत के पुणे संस्करण के संपादक और राजनीतिक विश्लेषक संजय आवटे कहते हैं कि पवार में इस तरह के आत्मविश्वास के पीछे पूरे महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के प्रति सहानुभूति की लहर का अंडरकरंट है। वह कहते हैं कि इस चुनाव में तीन चीजें निश्चित हैंः एक, बीजेपी, यानी महायुति की सीटें घटने वाली हैं; दो, विपक्ष की सीट बढ़ने वाली है; और तीन, एकनाथ शिंदे से ज्यादा सीट उद्धव ठाकरे को मिलने वाली है जबकि अजित पवार से ज्यादा सीट शरद पवार को मिलने वाली है। 

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विवेक भावसार बताते हैं कि शरद ने पश्चिम महाराष्ट्र पर फोकस किया हुआ है जहां उनका प्रभाव है। एनसीपी के विभाजन के बाद भी शरद का प्रभाव बरकरार है। उन्होंने कास्ट फैक्टर वगैरह को ध्यान में रखकर अपने प्रत्याशी दिए हैं। भवसार यह तक कहते हैं लोकसभा चुनाव के बाद अजित पवार के विधायक शरद के पास वापस आ सकते हैं। शरद पर की गई मोदी की टिप्पणी से अजित पवार ने जिस तरह टालमटोल की, उसकी वजह यही है। वह यह भी कहते हैं कि अगर महा विकास आघाड़ी को 30-35 सीटें मिल जाती हैं तो महाराष्ट्र विधानसभा में सत्ता परिवर्तन तय है।


राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र थोरात भी मानते हैं कि शिव सेना और एनसीपी में विभाजन को लेकर लोगों में बीजेपी के खिलाफ गुस्सा तो है ही, आरएसएस का एक गुट भी मोदी के एकाधिकार को पसंद नहीं करता है और बदलाव चाहता है इसलिए पुणे और शिरूर में ज्यादातर स्वयंसेवक वोटिंग के लिए घर से बाहर ही नहीं निकले। उद्धव और शरद के प्रति अंडरकरंट सहानुभूति लहर की बात तो अजित पवार गुट के मंत्री छगन भुजबल और दिलीप वलसे पाटील ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार की है।

 शरद पवार गर्म लोहे पर सही समय पर चोट करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने यह जता दिया कि देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय और विपक्षी पार्टी कांग्रेस ही है। पवार ने एक 7 मई को एक इंटरव्यू में दो बातें प्रमुख रूप से कहींः एक, आम चुनाव के बाद कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस के करीब आएंगे; और दो, कुछ राजनीतिक दल तो कांग्रेस में विलय भी कर जाएंगे। भले ही पवार ने अपनी एनसीपी के बारे में कुछ नहीं कहा, पर आवटे को लगता है कि चुनाव के बाद एनसीपी भी कांग्रेस में मर्ज हो सकती है। ऐसी चर्चा पहले भी होती रही है। दरअसल, शरद ने खुद ही कहा है कि हम नेहरू-गांधी की फिलॉस्फी मानते हैं और वही कांग्रेस की भी है। भावसार कहते हैं कि शरद की खासियत पत्थर फेंककर प्रतिक्रिया जानने की रही है।

 अंततः लग तो यही रहा है कि शरद की चाल में मोदी फंस रहे हैं। मोदी ने खुले मंच से ऑफर दिया है कि कांग्रेस के साथ मरने से अच्छा है कि उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ और शरद पवार को अजित पवार की एनसीपी के साथ आ जाना चाहिए। आवटे का मानना है कि मोदी अब कमजोर दिख रहे हैं और वह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें उद्धव ठाकरे और शरद पवार की जरूरत पड़ेगी। अजित को महायुति में शामिल करने से बीजेपी को कोई फायदा नहीं हुआ इसलिए वह चाहते हैं कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार उनके साथ आ जाएं। वैसे, भावसार मोदी के ऑफर को वोटरों में भ्रम फैलाने की कोशिश के तौर पर भी देखते हैं। मोदी यह कहकर उद्धव से मुस्लिम वोट दूर करना चाहते हैं कि अगर उद्धव को कोई समस्या आती है तो उन्हें मदद करने वाला सबसे पहला व्यक्ति मैं रहूंगा। थोरात तो यह तक कहते हैं कि मोदी को कम सीटें मिलने का खतरा दिख रहा है इसलिए उन्होंने ऑफर के नाम पर दोनों के आगे अपनी लाचारी भी जाहिर की है।


 इसमें शक नहीं कि वोटिंग पैटर्न को लेकर सभी दलों के अपने आकलन और कयास हैं। पर ये अटकलें जोर पकड़ रही हैं कि अगर एनडीए को कुछ सीटें कम पड़ेंगी, तो मोदी सरकार उद्धव और शरद के सांसदों को ईडी का भय दिखा सकती है। महाराष्ट्र में इसी बल पर सत्ता-परिवर्तन की मिसाल है ही। वैसे, आवटे की दो टूक राय है कि उद्धव किसी भी हालत में बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे क्योंकि वह जेल जाकर हीरो बन जाएंगे। शरद भी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।

दरअसल, मुंबई का मिजाज भी इस दफा थोड़ा बदला हुआ है। राज ठाकरे और बीजेपी के गठबंधन से उत्तर भारतीय अपने पुराने जख्म की टीस को हरा महसूस कर रहे हैं, तो मराठी और गुजराती का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। इसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है। वैसे भी, मुंबई के स्थानीय मुद्दों के अलावा लोकल ट्रेनों की समस्याएं, धारावी सहित अन्य झोपड़ पट्टियों की समस्याएं, महाराष्ट्र से गुजरात उद्योग ले जाने के मुद्दे, मेट्रो और बुलेट ट्रेन पर बीजेपी की परेशानी बोल रही है।  

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia