बिहार में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही, फ्रैक्चर हुआ था बाएं हाथ में, प्लास्टर चढ़ा दिया दाएं पर

नीति आयोग ने मंगलवार को देश भर के राज्यों का स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया था। इसमें बिहार और उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ता हालत और डॉक्टरों की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने फैजान नाम के एक बच्चे के दाएं हाथ में प्लास्टर कर दिया जबकि फ्रैक्चर उसके बाएं हाथ में हुआ था। फैजान की मां ने कहा, ‘ यह पूरी तरह से लापरवाही है। हमें अस्पताल में एक गोली तक नहीं दी गयी है। इस मामले की जांच की जानी चाहिए।’

बता दें कि नीति आयोग ने मंगलवार को देश भर के राज्यों का स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया है। इसमें बिहार और उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर हैं, जबकि केरल शीर्ष पर है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्वबैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की ‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से यह बात सामने आई है।

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बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ता हालातों का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि चमकी बुखार से अब तक 130 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी हैं। इसके अलावा गर्मी और लू के वजह से भी काफी बच्चों की जान जा चुकी है।

इस मामले में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ मुजफ्फरपुर की एक अदालत में केस भी दर्ज हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी द्वारा मुजफ्फरपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सोमवार को दायर की गयी याचिका में कहा था कि हर्ष वर्धन और मंगल पांडेय, एईएस प्रकोप को नियंत्रित करने की अपने ड्यूटी को पूरा करने में विफल रहे हैं। एईएस से बच्चों की सालों से मौत के बावजूद इन दोनों ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों में जागरूकता और संवेदनशीलता पैदा करने के लिए कुछ नहीं किया।

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