पुणे की विश्वविद्यालय का अजीबोगरीब फरमान, मांसाहारी छात्रों को नहीं मिलेगा गोल्ड मेडल

सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के सर्कुलर के अनुसार गोल्ड मेडल देने की 10 शर्तें तय की गई हैं और 7वें शर्त में मांसाहारी और शराब पीने वालों को गोल्ड मेडल से वंचित रखने की बात कही गई है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

पुणे की सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय ने छात्रों के लिए नया फरमान जारी किया है। विश्वविद्यालय अब उन्हीं छात्रों का गोल्ड मेडल देगा जो छात्र शाकाहारी होंगे और शराब नहीं पीते होंगे। विश्वविद्यालय की ओर से छात्रों को मिलने वाले गोल्ड मेडल में से एक योग महर्षि रामचंद्र गोपाल शेलर ट्रस्ट की तरफ से दिया जाता है। 2016-17 के मेडल के लिए ट्रस्ट की ओर से छात्रों के लिए यह शर्त रखी गई है।

विश्वविद्यालय ने इन शर्तों के साथ अपने सारे कॉलेजों को सर्कुलर भेज दिया है। सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि जो छात्र प्राणायाम और योग करेंगे उन्हें वरीयता दी जाएगी। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रहने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया जाएगा। गोल्ड मेडल पाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो शर्त दी है उसके मुताबिक आवेदक को 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई में पहली श्रेणी या दूसरी श्रेणी के साथ पास होना चाहिए, लेकिन जिस मुद्दे पर विवाद है वो शर्त संख्या 7 में लिखा गया है। उसके मुताबिक इस मेडल के लिए केवल शाकाहारी और शराब न पीने वाले छात्र ही आवेदन कर सकते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया 
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गोल्ड मेडल के मुद्दे पर बवाल बढ़ता देख विश्वविद्यालय ने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि यह शर्त मेडल के प्रायोजकों द्वारा रखी गई है। अधिकारी ने बताया कि चूंकि सभी पुरस्‍कार बाहरी लोगों द्वारा प्रायोजित किए जाते हैं, तो हम उनके ही नियम व शर्तों का पालन करते हैं।

सर्कुलर पर शिवसेना और एनसीपी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने विश्वविद्यालय के इस फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा, ‘’कोई क्या खाए, क्या ना खाए ये उसका अपना फैसला होना चाहिए। यूनिवर्सिटी को केवल पढ़ाई पर ध्‍यान देना चाहिए।”

एनसीपी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर कहा, “पुणे विश्वविद्यालय का यह निराशाजनक और चौंकाने वाला फैसला है। अपने राज्‍य की शिक्षा पर मझे गर्व है, लेकिन हमारे विश्वविद्यालय को क्‍या हो गया है। कृपया शिक्षा पर ध्‍यान केंद्रित करें, भोजन पर नहीं।”

विश्वविद्यालय के कई लोगों का कहना है कि यह सर्कुलर काफी पुराना है और 10 साल पहले जारी किया गया था। जबकि सर्कुलर की संख्या 225/2017 स्‍पष्‍ट रूप से बताता है कि यह इसी वर्ष जारी हुआ है। सर्कुलर पर 31 अक्‍टूबर 2017 की तारीख है।

पूणे यूनिवर्सिटी भारत के अच्छे शिक्षण संस्थाओं में से एक है। यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1949 में की गई थी। साल 2014 के अगस्त महीने में महाराष्ट्र सरकार ने इस विश्वविद्यालय का नाम राज्य की महान समाज सुधारक और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी काम करने वाली सावित्रीबाई फुले के नाम पर रखा था। इसके बाद यह यूनिवर्सिटी सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के नाम से जानी जाने लगी।

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