प्रेरणा : एक भी बालिका विद्यालय नहीं फिर भी छोटे शहर की बेटी को अमेरिका से मिली 2.30 करोड़ की स्कॉलरशिप

मुस्कान अंसारी की इस कामयाबी में बुलंदशहर के विद्याज्ञान संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 2014 में मुस्कान ने विद्याज्ञान संस्थान की प्रवेश परीक्षा पास करके वहां पढ़ाई की थी। यह संस्थान आर्थिक रूप कमज़ोर प्रतिभावान बच्चों को अवसर देता है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

दिल्ली से देहरादून जाने वाले यात्री मुजफ्फरनगर शहर से गुजरने के बाद मशहूर चाट खाने के लिए जिस पुरकाज़ी कस्बे में ब्रेक लेते हैं उस कस्बे की एक राजमिस्त्री की बेटी ने सुनहरे अक्षरों से एक सफलता की प्रेरक कहानी लिख दी है। बेटी का नाम मुस्कान अंसारी है। उसके पिता अय्यूब अंसारी और मां कभी स्कूल नहीं गए मगर बेटी को अमेरिका के बॉबसन कॉलेज से बुलावा आया है। आमंत्रण भी ऐसा-वैसा नही है। मुस्कान अंसारी को 2.30 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप प्रदान की जा रही है। इस पैसे की मदद से मुस्कान दुनिया की सबसे आधुनिक और बेहतरीन शिक्षा को प्राप्त कर पाएगी। मुस्कान अंसारी उधमिता के क्षेत्र में पढ़ाई करेगी।

प्रेरणा : एक भी बालिका विद्यालय नहीं फिर भी छोटे शहर की बेटी को अमेरिका से मिली 2.30 करोड़ की स्कॉलरशिप

सबसे बड़ा आश्चर्य यह है जिस पुरकाज़ी की बेटी ने यह करिश्मा कर दिखाया है, 40 हजार की आबादी वाली उस पुरकाज़ी में लड़कियों को पढ़ाने के लिए एक भी स्कूल नहीं है। यहां सिर्फ प्राइमरी तक एक स्कूल है जिसमे मुस्कान पांचवी तक पढ़ी है। इसके अलावा जूनियर स्कूल है जिसमे लड़के-लड़कियां दोनों पढ़ते हैं। पुरकाज़ी के मौजूदा चेयरमैन ज़हीर फारूकी चहकते हुए बताते हैं कि अब शायद शासन को समझ मे आए और पुरकाज़ी को एक बालिका इंटर कॉलेज मिले, जिसके लिए वो लगातार प्रयास कर रहे हैं।

प्रेरणा : एक भी बालिका विद्यालय नहीं फिर भी छोटे शहर की बेटी को अमेरिका से मिली 2.30 करोड़ की स्कॉलरशिप

मुस्कान अंसारी की इस कामयाबी में बुलंदशहर के विद्याज्ञान संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 2014 में मुस्कान ने विद्याज्ञान संस्थान की प्रवेश परीक्षा पास करके वहां पढ़ाई की थी। यह संस्थान आर्थिक रूप कमज़ोर प्रतिभावान बच्चों को अवसर देता है। यहां मुस्कान ने अपनी काबिलियत दर्शाते हुए हाईस्कूल में 97.5 फ़ीसद अंक प्राप्त किए। मुस्कान को अमेरिकी यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई के लिए अब यह फुलटाइम स्कॉलरशिप मिली है। वो देशभर में ऐसे 6 छात्रों में से एक है जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष किया है।

इस स्कॉलरशिप में छात्र के आने जाने का खर्च, रहने -खाने का खर्च और पढ़ाई का सम्पूर्ण खर्च शामिल होता है।

पुरकाज़ी के मौहल्ले पीरपूरा में रहने वाले मुस्कान के पिता अय्यूब अंसारी और मां रुखसाना दोनों में से कोई भी इसका पूरा मतलब नही जानता है। अय्यूब अंसारी कहते हैं कि कुछ लोग यह समझ रहे हैं कि यह पैसा हमें मिलेगा और हमसे उधार मांगने लगे हैं। हम तो यह भी नहीं जानते कि जिस पढ़ाई को मुस्कान पढ़ने के लिए अमेरिका जा रही है उसका नाम और काम क्या है ! हमने तो बस एक ख्वाब देखा था कि हमारी बेटी को पढ़ना चाहिए! अब यह तो हमारे ख्वाब से भी बड़ा हो गया कि हमारी बेटी अमेरिका में पढ़ेगी। अय्यूब अंसारी चिनाई मिस्त्री काम करते हैं, मगर अभी तक उनका घर पूरी तरह पक्का नहीं बन पाया है। अय्यूब और उनकी पत्नी रुखसाना कभी स्कूल नहीं गए हैं। अय्यूब बताते हैं कि हम 'मियां बीवी' दोनों एक ही बात करते रहे हैं कि हम नहीं कर पाए वो हमारे बच्चे करेंगे।


मुस्कान ने फ़िलहाल विद्याज्ञान से 12 वीं की परीक्षा दी है। जिसके परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है। मुस्कान बताती है कि एक बार विद्याज्ञान बुलन्दशहर में ही अमेरिका के बॉबसन कॉलेज का एक प्रतिनिधिमंडल आया था। तब उन्होंने उनसे बात की थी। आज स्कॉलरशिप के लिए उनका चुना जाना एक निहायत ही बड़ी बात है और इससे वो बहुत ज्यादा खुश है। मुस्कान इंट्रोप्रिंन्योरशिप उधमिता में स्नातक की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जाएगी। मुस्कान बताती है कि उनके पुरकाज़ी में लड़कियों के लिए कोई स्कूल नहीं है यह बात उन्हें बहुत परेशान करती है। हमारे आसपास के गांवों में भी स्कूल है मगर वो समझ नहीं सकती है कि हमारे कस्बे में बालिका विद्यालय नहीं है। मुस्कान कहती है वो पुरकाज़ी की लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए हमेशा सहयोग करेंगी।

मुस्कान के पड़ोसी तनवीर अंसारी कहते हैं कि मुस्कान ने पढ़ाई बहुत खामोशी से की थी मगर उसकी सफलता ने शोर मचा दिया है। पुरकाज़ी बहुत बड़े लोग रहते हैं, मगर इस तरह की कामयाबी पहली बार किसी को मिली है। निश्चित तौर पर अब पुरकाज़ी की लड़कियों में एक प्रेरणा पैदा होगी। आखिर पुरकाज़ी की बेटी अमेरिका पढ़ने जा रही हैं। पुरकाज़ी के चेयरमैन एडवोकेट जहीर फारूकी मुस्कान की सराहना करते हुए कहते हैं अब शायद कुछ लोग नींद से जागेंगे और अपनी बेटियों को पढ़ाएंगे, क्योंकि पुरकाज़ी में बेटियों को स्कूल भेजने का अनुपात काफी कम है।


मुस्कान अंसारी डॉक्टर एपीजे अबुल कलाम और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को अपना आदर्श मानती हैं। वो कहती है कि नेहरू जी बाहर पढ़कर आए और उसके बाद देश सेवा में जुट गए। मैं भी पढ़ने जा रही हूं जो कुछ भी ज्ञान हासिल करूंगी उसे अपने ही देश की लड़कियों में बांटने की विशेषकर प्रयास करूंगी ! मुस्कान अमेरिका में बोस्टन के जिस बाबसन कॉलेज में पढ़ने जा रही है उस कॉलेज को इंट्रोप्रिन्योरशिप की पढ़ाई के लिए दुनिया मे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मुस्कान इससे पहले भी अमेरिका जा चुकी है। 18 साल की मुस्कान अंसारी पुरकाज़ी में ही महिलाओं में सेनिटरी नैपकिन को लेकर जागरूक अभियान चला चुकी हैं और उसकी सामाजिक कार्यो में बहुत रुचि है। मुस्कान की अम्मी रुखसाना मुस्कान की कामयाबी पर बहुत खुश है वो कहती है "मुस्कान हमारी सोच से भी आगे निकल गई है, सिर्फ अमीरों के ही बच्चे नही पढ़ते, मेहनत और लगन हो तो गरीब के पढ़ते हैं"।

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