नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर बोले राहुल- नेहरूजी की पहचान उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके कर्म के कारण

संदीप दीक्षित ने भी नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा,'यह नाम इसलिए नहीं बदला गया है कि दूसरे प्रधानमंत्रियों का काम दिखाना चाहते हैं, बल्कि वह नेहरूजी का नाम दबाना चाहते हैं।'

राहुल गांधी ने कहा कि नेहरूजी की पहचान उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके कर्म (काम) के कारण है।
राहुल गांधी ने कहा कि नेहरूजी की पहचान उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके कर्म (काम) के कारण है।
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नवजीवन डेस्क

नाम बदलने में माहिर मोदी सरकार ने नेहरू मेमोरियल का भी नाम बदल दिया है। केंद्र के इस फैसले की कांग्रेस ने आलोचना की है, वहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का भी बयान सामने आया है। मीडिया के एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि नेहरूजी की पहचान उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके कर्म (काम) के कारण है।

ये ओछापन दुर्भाग्यपूर्ण: शशि थरूर

इससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी मोदी सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की थी। थरूर ने कहा किकि, अफसोस की बात है कि नौबत यहां तक आ गई। उन्होंने कहा, एक प्रचंड बहुमत वाली पार्टी से इस तरह का छोटापन दुर्भाग्यपूर्ण है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा, 'अफसोस की बात है कि नौबत यहां तक आ गई। मुझे लगता है कि अन्य प्रधानमंत्रियों को शामिल करने के लिए इमारत (तीन मूर्ति भवन) का विस्तार करने का आइडिया एक असाधारण विचार है, लेकिन इस प्रक्रिया में देश के पहले प्रधानमंत्री, जिन्होंने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया, आजादी के बाद देश के पीएम बने और अब तक सबसे ज्यादा समय तक पद रहने वाले प्रधानमंत्री हैं, का नाम हटाना ओछापन है।'


मनगढ़ंत कहानियों से इतिहास नहीं बदला जा सकता: संदीप दीक्षित

वहीं, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा,'यह नाम इसलिए नहीं बदला गया है कि दूसरे प्रधानमंत्रियों का काम दिखाना चाहते हैं, बल्कि वह नेहरूजी का नाम दबाना चाहते हैं।' कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि हर कोई कहता है कि नेहरू मेमोरियल फंड अच्छा काम करता था। मनगढ़ंत कहानियों से इतिहास नहीं बदला जा सकता है।

अखिलेश यादव ने भी साधा था निशाना

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकार के इस कदम पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि नाम बदलने की जो राजनीति हो रही है, वह दिल्ली वालों ने उत्तर प्रदेश से सीखी है। यहां इकाना स्टेडियम, जो भगवान विष्णु के नाम पर था। अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया गया। हमें इससे कोई नाराजगी नहीं है। हमें खुशी तब होती, जब उनके गांव बटेश्वर में भी एक यूनिवर्सिटी बन जाती। उनके परिवार के लोगों को और शुरुआती समय में जिन्होंने उनको राजनीति में आगे बढ़ाया उनका भी सम्मान हो जाता।

15 अगस्त को बदला गया नाम

बता दें कि केंद्र सरकार ने 15 अगस्त को नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया। नेहरू मेमोरियल का नाम बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (पीएमएमएल) कर दिया गया है। स्वतंत्रता दिवस पर नाम परिवर्तन को औपचारिक रूप दिया गया था।

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