किस धनवान और नेता ने कहां छिपा रखा है पैसा, पैराडाइज़ पेपर्स ने खोला सबका चिट्ठा, 714 भारतीय भी

कन्‍सोर्टि‍यम ऑफ इनवेस्‍टि‍गेटि‍व जर्नलिस्ट्स (ICIJ) और 96 मीडिया संस्थानों ने मिलकर 1.34 करोड़ लीक दस्तावेजों की छानबीन कर विदेशों में अपना पैसा जमा कराने वाले जिन 714 भारतीयों का पता लगाया है।

बीजेपी से बिहार के राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा/ फोटो: इंटरनेट ग्रैब
बीजेपी से बिहार के राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा/ फोटो: इंटरनेट ग्रैब
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नवजीवन डेस्क

फोटो: ICIJ वेबसाइट
फोटो: ICIJ वेबसाइट

उद्योगपतियों और राजनेताओं के वि‍देश में जमा पैसे की पोल खोलने वाले ‘पैराडाइज पेपर्स’ में जिन लोगों के नाम हैं वे मौन व्रत पर चले गए हैं।

कन्‍सोर्टि‍यम ऑफ इनवेस्‍टि‍गेटि‍व जर्नलिस्ट्स (ICIJ) और दुनिया के 96 मीडिया संस्थानों ने मिलकर 1.34 करोड़ लीक दस्तावेजों की छानबीन कर विदेशों में अपना पैसा जमा कराने वाले जिन 714 भारतीयों का पता लगाया है, उसमें एक दिलचस्प नाम बीजेपी से बिहार के राज्यसभा सांसद और कारोबारी आर के सिन्हा यानी रविंद्र किशोर सिन्हा का है। राजनीति विज्ञान और कानून के स्नातक सिन्हा एक जमाने में पत्रकार रह चुके हैं। सिन्हा ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सेवानिवृत्त सैनिकों की मदद के लिए एक सुरक्षा और खुफिया सर्विस तैयार की जो भारत और ऑस्ट्रेलिया में अपनी सेवाएं देता है। 250 से भी ज्यादा ब्रांच वाली सिन्हा की इस कंपनी ने 2016 में 4000 करोड़ का लेन-देन दिखाया था। सिन्हा 'द इंडियन पब्लिक स्कूल' नाम के स्कूलों के मालिक भी हैं।

ICIJ की वेबसाइट के अनुसार भारत के सबसे रईस सांसद के तौर पर पहचाने जाने वाले सिन्हा ने माल्टा में अपनी ही कंपनी ‘एसआईएस सिक्यॉरिटीज’ की एक सब्सिडियरी कंपनी 'एसआईएस एशिया पैसिफिक होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड' बनाई। इस कंपनी की डायरेक्टर सिन्हा की पत्नी हैं और कुछ शेयर सिन्हा के नाम पर भी हैं।

'एसआईएस एशिया पैसिफिक होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड' ने टैक्स हेवेन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में ‘एसआईएस इंटरनेशनल होल्डिंग’ नाम की एक नई कंपनी बनाई। इस कंपनी के 3,999,999 शेयर सिन्हा की पहली विदेशी कंपनी के पास हैं (जिसकी डायरेक्टर सिन्हा की पत्नी है) और सिर्फ एक शेयर सिन्हा के नाम पर है। अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार सिन्हा ने राज्यसभा चुनाव के अपने हलफनामे में इस कंपनी का जिक्र तक नहीं किया है।

पैराडाइज पेपर्स में नाम आने पर जब सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने दिलचस्प अंदाज में लिख कर यह जवाब दिया कि अभी उनका मौनव्रत चल रहा है।

कुल 180 देशों के राजनेताओं, कारोबारि‍यों और रईसों की एक सूची है जिन्होंने अपना पैसा वि‍देशों में जमा कराया हैं। इस पूरी पड़ताल में उन कंपनियों के बारे में भी बताया गया है जिन्होंने पैसों को इधर से उधर करने का काम कि‍या है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका बरमूडा की लॉ फर्म एप्पलबाई और सिंगापुर की एशि‍यासि‍टी कंपनी ने निभाई है। लॉ फर्म एपलबाई 119 साल पुरानी कंपनी है जो मुख्य रूप से वकीलों, अकाउंटेंट्स, बैंकर्स और अन्य सदस्यों का एक नेटवर्क है। इस नेटवर्क के जरिये ग्राहकों के लिए विदेशों में कंपनियां और बैंक खाते बनाए जाते हैं।

एप्पलबाई के डाटाबेस में जिंदल स्‍टील, अपोलो टायर्स, हैवेल्‍स, हिंदुजा, एम्‍मार एमजीएफ, वीडि‍योकॉन, हीरानंदानी ग्रुप और डीएस कंस्‍ट्रक्‍शंस जैसी कंपनियों का नाम भी है। इनमें केन्द्रीय वि‍मानन राज्‍य मंत्री जयंत सि‍न्‍हा, अभिनेता अमि‍ताभ बच्‍चन, उद्योगपति वि‍जय माल्‍या सहि‍त कई ताकतवर लोगों के नाम हैं।

जयंत सिन्हा/ फोटो: Getty Images
जयंत सिन्हा/ फोटो: Getty Images

पैराडाइज पेपर्स के मुताबिक, जयंत सिन्हा मंत्री बनने से पहले ओमेडियार नेटवर्क के डायरेक्टर थे और इसी ओमेडियार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में एक बहुत बड़ा निवेश किया था। डी लाइट डिजाइन ने टैक्स हेवेन केमैन आइलैंड में अपनी एक सब्सिडियरी कंपनी बनाई थी।

डी लाइड डिजाइन ने केमैन आइलैंड स्थित उसी सब्सिडियरी कंपनी से 3 मिलियन यूएस डॉलर का कर्ज लिया था। कर्ज 2012 में लिया गया और उस वक्त जयंत सिन्हा ओमेडियार के डायरेक्टर के पद पर थे।

जयंत सिन्हा ने अपनी सफाई में कहा है है कि राजनीति में आने से पहले ही उन्होंने ओमेडियार के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इस बात का जयंत सिन्हा के पास कोई जवाब नहीं है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ा तो उन्होंने ओमेडियार के डायरेक्टर पद पर रहने की बात क्यों नहीं बताई।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद भी उन्होंने लोकसभा सचिवालय या पीएमओ को ये बात नहीं बताई।

मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मांग की है कि पैराडाइज पेपर्स की जांच कराई जाए और जो गैर-कानूनी काम करने के दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो। कांग्रेस नेता रणदीव सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि काले धन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने देश की जनता के साथ धोखा किया है।

उधर कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि पैराडाइज पेपर्स लीक में उनका नाम बिना वजह शामिल किया गया है क्योंकि जिस व्यापारिक समझौते की बात कही जा रही है उससे उनका कुछ लेना-देना नहीं है।

केन्द्रीय एजेंसी सीबीडीटी ने एक बयान जारी कर कहा कि जो एजेंसियां पनामा लीक की जांच कर रही हैं, वे ही पैराडाइज पेपर्स की भी जांच करेंगी।

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Published: 06 Nov 2017, 4:17 PM