जयपुर: डर है कि कहीं फिर न हो जाएं ’89 जैसे हालात

जयपुर के लोगों को यह डर सता रहा है कि कहीं मामूली सी बात हुए विवाद से शुरू हुई हिंसा पूरे शहर में न फैल जाए।

रामगंज इलाके में हिंसा के बाद तैनात पुलिस बल/ फोटोः Twitter
रामगंज इलाके में हिंसा के बाद तैनात पुलिस बल/ फोटोः Twitter
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भाषा सिंह

8 सितंबर को देर रात बाइक सवार एक दंपति और पुलिस के बीच हुए विवाद के बाद जयपुर शहर के रामगंज इलाके में हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में आगजनी, पत्थरबाजी के बाद पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें आदिल नाम के नौजवान की मौत हो गई। घायलों में कुछ पुलिस वाले भी शामिल हैं। हिंसा पर काबू पाने के लिए शहर के चार थाना क्षेत्रों – सुभाष चौक, मानस चौक, रामगंज चौक और जलसा गेट पर कर्फ्यू लगा दिया गया था। अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं। खबरों के मुताबिक कुछ अन्य क्षेत्रों में भी कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिसमें एमआई रोड भी शामिल है।

जयपुर के लोगों को यह डर सता रहा है कि कहीं मामूली सी बात हुए विवाद से शुरू हुई हिंसा पूरे शहर में न फैल जाए। जयपुर के इस इलाके में 1989 में भी पुलिस और स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय में तनाव हुआ था जिसमें छह मुसलमान मारे गए थे।

उस समय बनाई गई शांति कमिटी ने कल की घटना के बाद रामगंज थाने में बैठक की, जिसमें इलाके के विधायक मोहनलाल गुप्ता, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, जयपुर उत्तरी इलाके के एसपी समेत शांति कमेटी के 60-70 लोग और जमात-ए-इस्लामी के नेता मौजूद थे।

इस बैठक में शामिल हुईं शांति कमेटी की निशात हुसैन ने नवजीवन को बताया कि छोटी सी बात हिंसा में बदल गई और उसके बाद पुलिस ने गोली चला दी। शांति कमिटी का साफ तौर पर मानना है कि इसमें पुलिस को गोली चलाने की जरूरत नहीं थी। गोली 22 साल के आदिल के गले में लगी। यह नौजवान शादी के जलसे से लौट रहा था।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की कविता श्रीवास्तव ने कहा, ‘पुलिस को गोली नहीं चलानी चाहिए थी। पहले से यह इलाका संवेदनशील रहा है। आगजनी को काबू करने के बहुत तरीके हो सकते हैं, जो पुलिस ने नहीं आजमाए। अब पुलिस मृत शख्स का पोस्ट मार्टम नहीं कर रही है, जिसकी वजह से संदेह पैदा हो रहा है।’

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Published: 09 Sep 2017, 3:55 PM