वसंधरा राजे के तानाशाह विधेयक के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर, 27 अक्टूबर को सुनवाई, वकील-पत्रकार भी लामबंद
राजस्थान के सीआरपीसी संशोधन विधेयक 2017 के खिलाफ याचिका राजस्थान हाई कोर्ट में दायर हो गई है। जयपुर में वकीलों और पत्रकारों ने भी इसके खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी कर ली है।
राजस्थान विधानसभा में पेश किए सीआरपासी संशोधन विधेयक 2017 को चुनौती देने वाली याचिका आज राजस्थान उच्च न्यायलय में दायर हो गई, जिसकी सुनवाई 27 अक्टूबर को है। जयपुर में वकीलों ने भी इसका जमकर विरोध किया है और 24 अक्टूबर को अदालत की कार्रवाई का बहिष्कार करने की घोषणा की है। जयपुर में पत्रकार भी इसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस विधेयक को चुनौती देने वाली भगवत गौर द्वारा दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस याचिका से जुड़े अजय कुमार जैन ने नवजीवन को बताया, “राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके वरिष्ठ अधिकारी इस कानून को लाने की तैयारी पिछले दो सालों से कर रहे हैं। वह अपने प्रभावशाली मंत्रियों और खासतौर से वरिष्ठ अधिकारियों को किसी भी तरह के आरोपों से बचाना चाहती हैं। तमाम भ्रष्ट लोग किसी भी तरह के सवाल और जवाबदेही से बचे रहें, इसी मकसद से सारे प्रभावशाली वर्ग को इस विधेयक में शामिल किया गया है। निहालचंद जैसे मंत्री घोर भ्रष्टाचार मामलों में फंसे हुए हैं और उनके साथ जो अधिकारी तबका शामिल है, वह भी खुद को बचाने के लिए हर तरह का प्रयास कर रहा है। ये विधेयक सरासर गैर-कानूनी है और इसीलिए हम इसे चुनौती दे रहे हैं।”
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) भी इस विधेयक को चुनौती देने के लिए जल्द ही कानूनी पहल करने जा रहा है। इस बारे में पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव से कहा, “वसुंधरा राजे अपने साथ-साथ तमाम लोगों - अधिकारियों, न्यायधीशों, सेवानिवृत न्यायाधीशों को बचाने के लिए किस तरह से बैचेन है यह विधेयक उसका ही एक नमूना है। इसे पहले अध्यादेश के रूप में लाना यह दर्शाता है कि सत्ता में बैठी मुख्यमंत्री पूरी तरह से निरंकुश हो गई हैं और किसी भी तरह के विरोध को कुचलना चाहती हैं। इसीलिए इसकी परिधि में मीडिया को रखा गया है।”
द डिस्ट्रिक एडवोकेट्स बार एसोसिएशन, जयपुर ने इस विधेयक के विरोध में तमाम अधिवक्ताओं से साथ आने की अपील की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुनील शर्मा और महासचिव गजराज सिंह राजावत के हस्ताक्षर से पांच बिंदुओं के साथ एक बयान जारी किया गया है, जिसमें बाकायदा यह बताया गया है कि किस तरह से यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 का उल्लंघन है।
पत्रकारों के भी कई संगठन भी 24 अक्टूबर को काली पट्टी बांध कर विधानसभा के सामने विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इसमें पिंकसिटी प्रेस क्लब, राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ, राजस्थान पत्रकार संघ, राजस्थान पत्रकार परिषद. आईएफडब्ल्यूजे, काउंसिल ऑफ जर्नलिस्ट, पत्रकार ट्रस्ट ऑफ इंडिया आदि संगठन शामिल हैं।
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Published: 23 Oct 2017, 6:48 PM