कठपुतली कॉलोनी पर दिल्ली पुलिस का कहर, लाठीचार्ज कर बेघर किया, तोड़े मकान

दिल्ली में खेल-तमाशा वालों के साथ सोमवार को दिल्ली पुलिस ने बेरहमी का खेल खेलते हुए उनके आशियानों को बुलडोजर से उजाड़ दिया।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

नई दिल्ली के शादीपुर डिपो से सटे कठपुतली कॉलेनी में लोगों पर सोमवार का दिन दुखों का पहाड़ बनकर टूटा। दिन की शुरुआत होते ही अचानक से भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवानों ने कॉलोनी को चारों तरफ से घेर लिया और घरों से लोगों का सामान निकाल कर बाहर फेंकने लगे। लोग जब तक कुछ समझ पाते डीडीए के बुलडोजर उनके घरों के सामने आकर तैनात हो गए। पुलिस की इस अचानक कार्रवाई से हैरान-परेशान लोगों को जब सारा माजरा समझ में आया तो उन्होंने एकजुट होकर विरोध करना शुरू कर दिया। महिलाओं ने आगे आकर अपने घरों को बचाने के लिए मोर्चा संभाल लिया।

लेकिन सरकार और पुलिस के सामने किसी की क्या बिसात। थोड़ी ही देर में पुलिस ने अंधाधुंध लाठीचार्ज कर सबको इधर-उधर जान बचाकर भागने पर मजबूर कर दिया। पुलिस की ओर से कई राउंड आंसू गैस के गोले भी दागे गए। पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई में कई लोग घायल हुए हैं। कई महिलाओं को गंभीर चोटें आई हैं। पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता एनी राजा और एनएफआईडब्ल्यू की दिल्ली सचिव फेनोमेना को भी गंभीर चोटें आई हैं। दोनों वहां बेहोश हो गईं जिसके बाद किसी तरह स्थानीय लोगोें ने उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया।

कठपुतली कॉलोनी पर दिल्ली पुलिस का कहर, लाठीचार्ज कर बेघर किया, तोड़े मकान

पुलिस ने वहां किसी को भी नहीं बख्शा। इनमें कई महिलाएं भी पुलिस ज्यादती का शिकार हुईं। पुलिस ने वहां रह रहे लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा और उनके घरों के सामानों को निकाल कर बाहर फेंक दिया। पुलिस ने बर्बरता की सारी हदें पार करते हुए महिलाओं पर भी जमकर लाठियां भांजी। सरकारी बुलडोजरों ने सालों से यहां रह रहे लोगों के आशियानों को जमींदोज करना शुरू कर दिया।

कठपुतली कॉलोनी पर दिल्ली पुलिस का कहर, लाठीचार्ज कर बेघर किया, तोड़े मकान

दरअसल पूरा मामला कठपुतली कॉलोनी में रहने वालों के पूनर्वास से जुड़ा है। सरकार ने कठपुतली कॉलोनी के लोगों के पूनर्वास के लिए पक्की इमारत बनाने की जिम्मेदारी डीडीए को दी है। डीडीए ने कठपुतली कॉलेनी की जमीन पर इमारत बनाने का ठेका रहेजा बिल्डर्स को दिया है। परियोजना के मुताबिक बस्ती के लोगों को दो साल के लिए आनंद पर्वत इलाके में बनाए गए ट्रांजिट कैम्प में जाना होगा। ताकि कॉलोनी की जमीन पर इन दो सालों में उनके लिए इमारत का निर्माण हो सके। कॉलोनी के कई लोग वहां चले भी गए।

लेकिन बहुत सारे लोग अब भी कठपुतली कॉलोनी में ही रह रहे हैं। यह मामला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। डीडीए की नियमावली के अनुसार वहां बनने वाली इमारत में घर उन्हें ही आवंटित किया जाएगा जिन्होंने पहले हो चुके पंजीकरण में अपना नाम दर्ज कराया है। लेकिन वहां रहने वालों का कहना है कि पंजीकरण सूची में बहुत सारी खामियां हैं। कई ऐसे लोग हैं जिनका नाम उस सूची में दर्ज ही नहीं किया गया है और कई बड़े परिवार ऐसे हैं जिनके वहां दो तीन घर हैं लेकिन सूची में उन्हें एक ही परिवार के तौर पर दर्ज किया गया है जिससे उन्हें एक ही मकान आवंटित होगा।

बंगाल, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, से आए लगभग 3500 कलाकारों का परिवार इस कॉलोनी में बसा हुआ है। हालांकि गंदगी और कीचड़ से बजबजाती यह कॉलोनी किसी भी सूरत में इंसानों के रहने लायक कभी नहीं रही। पहले भी कई बार यहां रहने वालों के पुनर्वास की बात हो चुकी है। साल 1986 में इस कॉलोनी को वसंत कुंज में ले जाने की बात हुई, पर बात आई गई हो गई। 1996 में इसे महरौली में स्थानांतरित करने की कोशिश की गई, जो सफल नहीं हो पाई। 2002 में कठपुतली कॉलोनी के पुनर्वास से संबंधित एक सवाल पर तत्कालीन शहरी विकास मंत्री ने संसद को बताया था कि कठपुतली कॉलोनी के लोगों के लिए द्वारका के सेक्टर-16 में 1446 जनता फ्लैट चिन्हित किये गए हैं। 2007 में इस कॉलोनी के पुनर्वास पर फिर से काम शुरू हुआ। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी तर्ज) के तहत इस कॉलोनी के विकास की परियोजना के लिए निविदाएं मंगाई गई। जिसमें रहेजा बिल्डर्स को इस कॉलोनी के विकास की जिम्मेदारी मिली।

2009 में डीडीए और रहेजा बिल्डर्स के बीच हुए अनुबंध के अनुसार कॉलोनी में दो कमरे के 2641 फ्लैट, एक पार्क, ओपन एयर थियेटर, दो स्कूल बनाने की बात कही गई है। हालांकि वहां की कुल 5.22 हैक्टेयर जमीन में से 3.4 हैक्टेयर जमीन का ही कॉलोनी के पुनर्वास में इस्तेमाल होगा। बाकी 1.7 हैक्टेयर जमीन पर निर्माण का अधिकार रहेजा बिल्डर्स के पास होगा। डीडीए के छह साल पुराने सर्वे के मुताबिक कॉलोनी में 3100 झुग्गियां थीं लेकिन बिल्डर सिर्फ 2641 फ्लैट बना रहा है। बस्ती के लोगों और कुछ गैर सरकारी संगठनों के सर्वेक्षण के हिसाब से इस कॉलोनी में झुग्गियों की संख्या 3500 के लगभग है।

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Published: 30 Oct 2017, 3:42 PM