दिल्ली सरकार के स्कूलों में महीनों से गरीब छात्राओं को नहीं मिले सैनिटरी पैड, पेरेंट्स बोले- CM करें हस्तक्षेप

दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को जनवरी 2021 से सैनिटरी पैड नहीं मिल रहा है। इससे पहले वर्ष 2020 के कोरोना टाइम में भी सरकारी स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराया गया था।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को जनवरी 2021 से सैनिटरी पैड नहीं मिल रहा है। इससे पहले वर्ष 2020 के कोरोना टाइम में भी सरकारी स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराया गया था। अब इस संबंध में ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि छात्राओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में सेनेटरी पैड तुरंत मुहैया कराए जाएं।

गरीब बच्चों की स्कूली शिक्षा हेतु काम करने वाले शिक्षाविद एवं ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने बताया कि 2021 के पूरे साल और इस साल का तीसरा महीना बीत जाने के बाद भी स्टूडेंट्स को सेनेटरी नैपकिन नहीं दिया गया है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चियों के लिए यह सुविधा बहुत उपयोगी और जरुरी होती है। पर्सनल हाइजीन और हेल्थ से जुड़ी चुनौतियां हमारी इन बच्चियों के जीवन का दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा बनी रहती हैं, ऐसे में स्कूलों में सैनिटरी पैड मिलना उनके लिए जरूरी है। यह स्कूलों में बच्चियों की उपस्थिति और पढ़ाई को प्रभावित करता है। यह हर हाल में इन बच्चियों को मिलना चाहिए।


अशोक अग्रवाल पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से इस संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं दिल्ली के उपराज्यपाल से संपर्क करते हुए इस ओर उनका ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली सरकार से कहा कि इस संबंध में हमारा आपसे अनुरोध है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली गर्ल स्टूडेंट्स को सैनिटरी पैड की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित किया जाए। अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि आइपा के अध्यक्ष के रूप में मैं और हमारी संस्था इन लाखों बच्चियों को ओर से आपकी आभारी होगी।

स्वयं दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाली टीचर्स का भी कहना है कि स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के साथ साथ उनके अभिभावक खासतौर पर इन छात्राओं की मां भी सेनेटरी पैड को लेकर परेशान हैं। छात्राओं की मां कई बार इस विषय में पता करने के लिए स्कूल भी आई लेकिन अभी नैपकिन की डिलीवरी को लेकर कोई जानकारी नहीं है। कई स्कूलों का कहना है कि इस संबंध में उच्च अधिकारियों को सूचित किया गया है।


केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी इस संबंध में जानकारी दी जा चुकी है जिसके बाद 'सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता के बारे में बढ़ती चिंता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के गृह सचिव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को सैनिटरी पैड एक आवश्यक वस्तु होने के बारे में स्पष्टीकरण जारी किया था।

स्कूलों का यह भी कहना है कि जल्द ही दोबारा सरकार द्वारा सैनिटरी नैपकिन का वितरण शुरू किया जा सकता है, दरअसल लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के कारण सैनिटरी पैड का वितरण बाधित हो गया है। इससे कम आय वर्ग वाले परिवारों से आने वाली ज्यादातर छात्राओं की परेशानियां बढ़ गई हैं।

दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की छात्रा का कहना है कि अब स्कूल पूरी तरह से खोले जा रहे हैं और स्कूल खोलने के बावजूद स्वच्छता के नाम पर केवल मास्क और सैनिटाइजर पर ध्यान दिया जा रहा है। हालाकि इतनी ही गंभीरता से सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता पर भी कार्रवाई करनी चाहिए।

वही कोरोना से पहले जब स्कूल खुले थे तो दिल्ली के स्कूलों में नियमित रूप से छात्राओं को इस प्रकार से सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे थे। इतना ही नहीं सैनिटरी नैपकिन को सुरक्षित तरीके से डिस्पोजल के लिए एक विशेष नीति भी तैयार की गई थी। इसके अंतर्गत दिल्ली के सरकारी और नगर निगम के 352 स्कूलों में 1102 सैनिटरी नैपकीन इंसीनरेटर मशीन लगाई जानी थी। ये मशीन स्कूलों के बाथरूम में लगनी थी। इन मशीनों की मदद से उपयोग किए गए नैपकिन को सुरक्षित तरीके से डिस्पोज किया जा सकता है।

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