छतीसगढ़: रमन सिंह के राज में ठंड में ठिठुर रहे हैं गरीब, पीएम आवास योजना के पैसे से घर बनवा रहे हैं दबंग

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में पीएम आवास योजना में धांधली का मामला सामने आया है। यहां के एक गांव में दबंग ने योजना के पैसे से अपना घर बनवा लिया, जबकि गरीबों का घर नहीं बन पा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ 2022 तक देश के सभी गरीबों को घर देने का सपना दिखा रही है, तो दूसरी तरफ बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ में पीएम आवास योजना का में धांधली हो रही है। कड़कड़ाती ठंड में गरीब सामुदायिक भवन में रात गुजारने को मजबूर हैं और दबंग पीएम आवास योजना के पैसे से इमारत खड़ी कर रहे हैं। यह मामला छत्तीसगढ़ के बालोद जिले का है, जहां के कलंगपुर के गांव में एक दबंग पर योजना के पैसे से दो-मंजिला घर बनाने का आरोप लगा है, जबकि गरीबों और आदिवासियों को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

गांव में 147 परिवार ऐसे हैं, जिनके मकान मिट्टी से बने हैं। गांव में कई ऐसे गरीब भी हैं जिनके मकानों पर छत तक नहीं है। उनका छत गिर गया है। ऐसे में गरीबों के पास छत की मरम्मत के लिए पैसे भी नहीं है। इनका कहना है कि जब इस बारे में सरपंच से शिकायत की गई तो उसने बताया कि फरवरी महीने के बाद उन्हें कुछ पैसे मुहैया हो पाएंगे।

जिले के ज्यादातर गरीब आदिवासी जहां घर नहीं होने की वजह से ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं वहीं कलंगपुर के गांव में एक दबंग अपने घर की पहली मंजिल को पीएम आवास योजना के पैसे से बनवा लिया है। गांव के लोगों का आरोप है कि अधिकारियों ने इसकी मंजूरी भी दे दी। लोगों का यह भी आरोप है कि पीएम आवास योजना में लोगों का चयन उनकी हालत नहीं बल्कि शक्ल देखकर होता है। उन्हीं आवेदकों की फाइल आगे बढ़ती है जिनका राजनीतिक रसूख है।

वहीं मामले में शिकायतकर्ता वकील चंदन ने बताया “पीएम आवास योजना के तहत मकान आधा अधूरा है, कई बार आवेदन दिया गया लेकिन मकान नहीं बने। और मकान बनाया भी गया तो उन लोगों का जिनका ढलाई वाला मकान पहले से ही था।”

मामला सामने आने के बाद प्रशासन पूरे मामले में कार्रवाई की बात कर रहा है। बालोद के कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत पात्रता की शर्तें बेहद कड़ी हैं। नियमों का उल्लंघन कर कैसे घर बने इसे देखा जाएगा और पूरे मामले की जांच की जाएगी।

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