‘न्यायपालिका की साख बचाए रखने के लिए जरूरी है जज लोया की संदिग्ध मौत की जांच’ 

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध हालत में हुई मौत की जांच की मांग जोर पकड़ने लगी है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत की निष्पक्ष जांच की मांग तेज होती जा रही है। सिविल सोसायटी के विभिन्न सदस्यों और वामपंथी दलों के नेताओं के बाद अब न्यायपालिका से जुड़े लोगों की तरफ से भी आवाजें उठने लगी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एपी शाह का मानना है कि सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध हालत में हुई मौत की जांच होनी चाहिए।

वेबसाइट ‘द वायर’ से बातचीत में जस्टिस शाह ने कहा कि जरूरी है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले में संज्ञान लें और फैसला करें कि जांच होनी चाहिए या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर इन आरोपों की जांच नहीं हुई तो ये न्यायपालिका की साख पर कलंक लगने जैसा होगा। जस्टिस शाह ने कहा, “न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए न्यायपालिका द्वारा खुद संज्ञान लिया जाना बेहद जरूरी है।” उन्होंने दिवंगत जज लोया को एक ईमानदार और सच्चा व्यक्ति बताते हुए कहा कि लोया के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच नहीं होने से न्यायपालिका, विशेषकर निचली अदालतों को गलत संकेत जाएगा।

इस बीच कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी जज लोया की मौत की जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “परेशान करने वाला पर्दाफाश। हो सकता है कि जज लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं हुई हो। न्यायाधीश चुप हैं। क्या डरे हुए हैं? क्यों? अगर हमारी सुरक्षा नहीं कर सकते तो कम से कम अपन लोगों की रक्षा तो करें।” वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी लोया की मौत की जांच की मांग की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “जज लोया की मौत में कुछ गड़बड़ है। बहुत सारे सवाल हैं और इत्तेफाक भी हैं। पूरे मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए।”

इस बीच मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने भी जज लोया की मौत को संदिग्ध बताते हुए इस पर उठ रहे सवालों की जांच की मांग की है। पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्विटर पर लिखा, “सीबीआई जज लोया की मौत के मामले में हत्या, रिश्वतखोरी, कानून के विध्वंस और हमारे संसदीय लोकतंत्र की संस्थाओं में उच्च स्तर पर हेर-फेर के सवाल खड़े हो गए हैं, जिसकी गंभीरता से जांच की जानी चाहिए।”

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के जज बृजगोपाल लोया की 30 नवंबर, 2014 को मौत हो गई थी। वे एक साथी जज की बेटी की शादी में शामिल होने नागपुर गए थे, जहां कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। जज लोया सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और अन्य कई अधिकारियों के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई कर रहे थे।

हाल ही में ‘कैरावन’ पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जज लोया के परिवार का कहना है कि अमित शाह के खिलाफ चल रहे मामले को लेकर जज लोया बहुत तनाव में थे। ‘कैरावन’ द्वारा जारी एक वीडियो में जज लोया की बहन ने आरोप लगाया कि इस मामले में आरोपियों के पक्ष में फैसला देने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस मोहित शाह ने लोया को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की थी।

जस्टिस एपी शाह ने यह भी कहा कि ऐसे मामले जिनमें पहली नजर में जांच की गुंजाइश नजर आती है, वहां जांच का आदेश देना बेहद जरूरी है।

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