दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन, हिरासत में लिए गए कई लोग, जयराम रमेश ने सरकार से पूछा सवाल

लोगों का कहना है कि सांस से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए जीना मुश्किल हो गया है। लेकिन, सरकार केवल बयानबाजी कर रही है और प्रदूषण के असली आंकड़े छिपा रही है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

ठंड का मौसम शुरू होते ही राजधानी दिल्ली की हवा फिर से जहरीली हो गई है। राजधानी और इसके आस-पास के शहरों में पिछले कई दिनों से प्रदूषण की स्थिति खतरनाक है। हवा में 'जहर' का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इसी मुद्दे को लेकर रविवार को बड़ी संख्या में लोग कर्तव्य पथ पर जमा हुए और विरोध प्रदर्शन पहुंचे। लेकिन पुलिस ने उन्हें प्रदर्शन से रोका और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पुलिस के इस एक्शन को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। जयराम रमेश ने सवाल किया कि लोगों को वायु की खराब गुणवत्ता पर अपनी चिंता व्यक्त करने से क्यों रोका जा रहा है? 

जयराम रमेश का सरकार से सवाल

कांग्रेस नेता ने सोमवार को सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा, “प्रतिष्ठित इंडिया गेट, कर्त्तव्य पथ पर स्थित है - जिसका नाम स्वयं प्रधानमंत्री ने रखा है। दिल्ली के नागरिक, जो बेहतर वायु गुणवत्ता के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-ए (जी) के तहत अपना कर्त्तव्य निभाना चाहते हैं, जो उन्हें "प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने" का अधिकार देता है...।

तो फिर, दिल्ली पुलिस उन्हें अपने निवास और कार्यस्थल पर वायु की खराब गुणवत्ता पर अपनी चिंता व्यक्त करने से क्यों रोक रही है?”

जयराम रमेश ने कहा कि जब सरकार अपने कर्त्तव्य में बुरी तरह विफल हो रही है, तो लोगों को अपना कर्त्तव्य निभाना ही होगा।  


वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नीतियां बनाने की मांग

बता दें कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता को लेकर रविवार को लोगों ने कर्तव्य पथ पर प्रदर्शन किया। जिसके बाद पर्यटकों के लिए कर्तव्य पथ बंद कर दिया गया। इस बीच कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया। लोगों की मांग है कि सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नीतियां बनाए। 

लोगों का कहना है कि हमारा शहर गैस चेंबर बन गया है, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं और बुजुर्ग के लिए स्थिति खराब होती जा रही है। सांस से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए जीना मुश्किल हो गया है। लेकिन, सरकार केवल बयानबाजी कर रही है और प्रदूषण के असली आंकड़े छिपा रही है।

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