लखनऊ में भूख से मरने से किसी तरह बच गया एक गरीब परिवार: अफसरों ने कहा, चुनाव हैं, अभी नहीं हो सकती मदद

ऐन वक्त पर अगर मानवाधिकार कार्यकर्ता और समाजसेवी संगठन सामने नहीं आते तो लखनऊ की पूजा और उसका परिवार भूखमरी का शिकार हो जाता, क्योंकि अफसरों ने तो चुनाव के बहाने पल्ला झाड़ लिया था।

फोटो सौजन्य : अमित आंबेडकर
फोटो सौजन्य : अमित आंबेडकर
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नवजीवन डेस्क

झारखंड में भूख से एक बच्ची की मौत की खबर अभी तक रोंगटे खड़ी करती है। वहां एक परिवार को सिर्फ इसलिए राशन नहीं दिया गया था क्योंकि उसके पास आधार नहीं था। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो पूजा के पास आधार कार्ड भी है, वोटर कार्ड भी और राशन कार्ड भी। फिर भी उसके राशन नहीं मिल रहा है। नतीजतन वह और उसके बच्चे 4 दिनों तक भूखे रहे। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समाजसेवी संगठनों ने राजधानी के सभी आला अफसरों से गुहार लगाई, लेकिन कोई उसकी मदद को सामने नहीं आया। आखिरकार इन्हीं एक्टिविस्ट ने चंदा जमा करके उसे राशन मुहैया कराया।

लखनऊ में भूख से मरने से किसी तरह बच गया एक गरीब परिवार: अफसरों ने कहा, चुनाव हैं, अभी नहीं हो सकती मदद

यह कहानी है अनुसूचित जाति के उस परिवार की जो राजधानी लखनऊ से महज 25 किलोमीटर दूर बंथरा गांव में रहता है। पूजा जब चार माह की गर्भवती थी तो उसका पति बिना बताए कहीं चला गया और आजतक वापस नहीं लौटा। अपना और अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए पूजा ने कूड़ा बीनकर कुछ पैसे का जुगाड़ करना शुरु किया।

लखनऊ में भूख से मरने से किसी तरह बच गया एक गरीब परिवार: अफसरों ने कहा, चुनाव हैं, अभी नहीं हो सकती मदद

लेकिन अभी कोई एक सप्ताह से पूजा और उसका एक माह का बच्चा बेहद बीमार है, जिसकी वजह से वह कूड़ा बीनने नहीं जा पा रही। ऐसे में इलाज तो दूर, उसके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं है।

पूजा के पास आधार कार्ड है और वोटर कार्ड भी है। लेकिन फिर भी उसे राशन नहीं मिलता। पूजा बताती है कि पहले उसके पास राशन कार्ड था, लेकिन ऑनलाइन होने के बाद उसका नाम राशन की सूची से काट दिया गया।

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पूजा जिस गांव थारू में रहती है, उसने उस गांव के प्रधान कमला सिंह के पास जाकर कई बार गुहार लगाई, लेकिन उसे प्रधान का आश्वासन और गालियां तो मिलीं, लेकिन राशन नही मिला। जिसके कारण उसके घर में दो-तीन दिन तक चूल्हा नहीं जला। उसकी झोपड़ी में राशन का एक भी दाना नहीं था, और उसने सिर्फ पानी पिलाकर ही बच्चों को आश्वासन दिया।

पूजा की हालत की खबर मिलने पर मानवाधिकार कार्यकर्ता अमित ने गांव जाकर पूजा का हालचाल जाना और पूजा की हालत की तस्वीर के साथ उसकी मदद की गुहार लगाते हुए मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को ट्वीट कर सूचना दी। उन्होंने पूजा के बारे में लिखित सूचना भी जिलाधिकारी को भेजी और उनसे फोन पर बात भी की।

लेकिन जिलाधिकारी ने पूरी बात सुनकर सिर्फ इतना कहा कि चूंकि उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, इसलिए वे सरकारी तौर पर कुछ नहीं कर सकते, हां मानवीय आधार पर कुछ मदद हो सकती है। जिलाधिकारी ने कोटेदार से तत्काल पूजा को राशन दिलाने की बात की। लेकिन कोटेदार ने बिना पैसे के पूजा राशन देने से इनकार कर दिया।

लखनऊ में भूख से मरने से किसी तरह बच गया एक गरीब परिवार: अफसरों ने कहा, चुनाव हैं, अभी नहीं हो सकती मदद

आखिरकार समाजसेवी संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पूजा की आर्थिक मदद कर उसे राशन दिलाया, और एक परिवार भूखमरी का शिकार होने से बचा।

यह हाल सिर्फ पूजा का ही नहीं, बल्कि लखनऊ में हजारों परिवार राशन न मिलने की वजह से भूखे सो रहे है। मानवाधिकार कार्यकर्ता अमित का कहना है कि पूजा का मामला सामने आने के बाद उसे अब हर दिन कभी तहसील, तो कभी किसी सरकारी दफ्तर में बुलाया जाता है, लेकिन उसकी मदद करने के बजाय उससे कहा जाता है कि वह अपनी हालत किसी को न बताए। अमित कहते हैं कि यह कहानी अकेले पूजा की नहीं है। उस जैसे बहुत से परिवार हैं जो कभी भी भूखमरी का शिकार हो सकते हैं।

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Published: 08 Nov 2017, 3:25 PM